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Weekly News Roundup Jamshedpur : इसे कहते हैं नहले पे दहला, पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur.कहीं सौरव गांगुली की तरह महेंद्र सिंह धौनी झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन में धमक ना जाए इसी खौफ के साये में जी रहे अधिकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 08:56 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur :  इसे कहते हैं नहले पे दहला, पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : इसे कहते हैं नहले पे दहला, पढ़‍िए खेल जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। कहीं सौरव गांगुली की तरह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके महेंद्र सिंह धौनी झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन में धमक ना जाए, इसी खौफ के साये में जी रहे हैं पदाधिकारी। इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि वार्षिक लेखा में माही के नाम पर 1800 रुपये बकाया दिखाया जाता है। जेएससीए ने सोचा, धौनी की बदनामी होगी और संघ की ईमानदारी की ब्रांडिंग भी होगी।

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लेकिन यह दांव भी उल्टा पड़ गया। पूरी दुनिया में छीछालेदर होने लगी। इसी बीच जेएससीए के गलत कामों को उजागर करने वाले शेषनाथ पाठक ने चंदा कर 1800 रुपया जुटाया और कीनन स्टेडियम स्थित कार्यालय पहुंच बकाया रकम लेने को कहा। कर्मचारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। तुरंत आकाओं को फोन लगाया। आदेश आया, नहीं-नहीं, कोई पैसा नहीं लेना है। लेकिन तबतक देर हो चुकी थी। जनाब ने मीडिया में ढिढ़ोरा पीट दिया और फिर छीछालेदर। इसे कहते हैं नहले पर दहला।

ई बायो बबल का होता है भईया

कोविड-19 के बीच झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन 15 सितंबर से टी-20 लीग का आयोजन कराने जा रहा है। कीनन स्टेडियम स्थित जेएससीए कार्यालय के बाहर कुछ पदाधिकारी इसी का दंभ भर रहे थे कि हम कोरोना संक्रमण के बीच क्रिकेट लीग कराने वाले देश का पहला राज्य संघ है। तभी बगल में खडे़े एक महाशय ने पूछा, अच्छा, बायो बबल का होता है भईया। हम तो बचपन से पानी का बुलबुला का नाम सुने। फिर थोड़ा बड़ा हुए तो बबल गम आया। वही बबल गम, जिसको चबाने के बाद फुलाने से मुंह में गुब्बारा टाइप बन जाता था। लेकिन कोविड ने ई कइसा बबल लाया। अधिकारी का सिर चकराने लगा। बोले, भाई, मेरे को भी नहीं पता। होगा कुछ। तभी बगल में खड़े दूसरे ने पूछ दिया। ई एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) का होता है। साहब, चिढ़ गए। बोले-भक मरदे, दिमाग मत खराब कीजिए, चलिए जॉगिंग करने।

चलो कुछ तो रोजगार मिला

जैसे ही पता चला, अंडर-17 फीफा महिला विश्वकप का राष्ट्रीय शिविर के लिए जेआरडी टाटा स्पोट् र्स कांप्लेक्स का नाम भी प्रस्तावित है, खेल विभाग के अधिकारियों के चेहरे ‘रोजगार मिले, दिल खिल’ टाइप से खिल उठे। पिछले पांच महीने से खेल की सारी गतिविधियां बंद है और घर में बैठकर दिमाग पक गया है। राज्य खेल विभाग के निदेशक अनिल कुमार सिंह जैसे ही स्टेडियम का निरीक्षण करने पहुंचे, अधिकारियों ने पलक पांवड़े बिछाए अगवानी की। अनिल बाबू भी इस अगवानी से आह्लादित दिखे। लेकिन उन्हें क्या पता, अनिल बाबू की भी यह मजबूरी है। पहले यह राष्ट्रीय शिविर रांची में लगना था। इसकी तैयारी के लिए कैटरिंग, मैदान का ग्रास कटिंग, ड्रेसिंग रूम का रखरखाव और खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था के लिए ऑनलाइन निविदा निकाली थी, लेकिन किसी ठेकेदार ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। मरता क्या ना करता। थक-हारकर टाटा स्टील की शरण लेनी पड़ी।

अब गुरुजी की भी हो रही ऑनलाइन क्‍लास

खिलाड़ी तो खिलाड़ी, कोरोना काल में अब गुरुजी (कोच) की भी ऑनलाइन क्लास हो रही है। झारखंड राज्य बास्केटबॉल एसोसिएशन इसमें सबसे आगे हैं। अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल कोच जेपी सिंह ने हाल ही में प्रशिक्षकों की ऑनलाइन क्लास ली। जेपी सिंह कड़क मिजाज के हैं। ऐसे में अनुशासन में रहना जरूरी है। ड्रेस सेंस अच्छी होनी चाहिए, वरना ना जाने कब सिंह साहब का मूड उखड़ जाए और फिर सभी के सामने ऑनलाइन बेइज्जती। ऐसे में प्रशिक्षकों ने भी जुगत भिड़ा ली। ऊपर अच्छी सी टी शर्ट पहन ली और नीचे हाफ पैंट से ही काम चला लिया। साहब भी खुश और हम भी खुश। हालांकि ऑनलाइन क्लास में अच्छी खासी भीड़ जुट रही थी तो कोच साहब भी गदगद। रविवार को गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, सिंगरौली के स्पोट् र्स ऑफिसर डॉ. उमाकांत सिंह ऑनलाइन प्रशिक्षकों को बास्केटबॉल की बारीकियों का गुर सिखाएंगे। अब गुरुजी अभी से ही ताल ठोक तैयार हैं।


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