Weekly News Roundup Jamshedpur : जमीन पर सो रहे बेचारे रसूखदार, पढ़िए पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur . कोई जुगाड़ काम नहीं आ रहा। 58 दिनों से ये जेल में बंद हैं। तारीख पर तारीख पड़ रही। एसी-कूलर और गद्दों पर सोने वाले उमस भरी गर्मी में सो रहे हैं।
जमशेदपुर, अन्वेश अम्बष्ठ। Weekly News Roundup Jamshedpur बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर में देह व्यापार संचालित करने के मामले में सात रसूखदारों को राहत नहीं मिल पाई है। कोई जुगाड़ काम नहीं आ रहा। 58 दिनों से ये जेल में बंद हैं। तारीख पर तारीख पड़ रही। एसी-कूलर और गद्दों पर सोने वाले उमस भरी गर्मी में सो रहे हैं। खाना-पीना, सोना सब पर आफत है। बेचारे जमीन पर सोने के लिए बाध्य हैं। मिलने-जुलने पर रोक है।
आरोप भी साख पर बट्टा लगाने वाला है। प्रतिदिन दुआ-सलाम करने वाले इनके करतूत की चर्चा चौक-चौराहे पर कर मजा ले रहे हैं। हथकड़ी लगाकर जब जेल भेजे जा रहे थे तो इन्हें यह आभास कराया गया कि प्राथमिकी में कोई दम नहीं है। साक्ष्य नहीं है। जमानत मिल जाएगी। प्रक्रिया की जब शुरुआत हुई, कागजात पर हस्ताक्षर कराने में भी धनवर्षा करनी पड़ी। कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। ऐसे में बच कर रहने में ही समझदारी है।
सोचिए, कैसे होती होगी पेट्रोलिंग
समाज में पुलिस की भूमिका व जिम्मेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए थाना क्षेत्रों में टाइगर मोबाइल टीम तैनात है। दोपहिया से 24 घंटे पेट्रोलिंग की जिम्मेदारी है। प्रतिदिन एक दोपहिया को पहले एक लीटर पेट्रोल मिलता था। यानी महीने में 30 लीटर का आवंटन था। बीते माह इसमें भी कटौती कर दी गई है। इसे महज 20 लीटर कर दिया गया है। ऐसे में पूरे थाना क्षेत्र का एक बार में गश्ती कर पाना मुश्किल है। इलाके में जब घटना होती है या कोई विवाद होता है तो जवानों की खोजबीन होती है। जब नहीं पहुंच पाते तो सक्रियता पर सवाल खड़े किए जाते हैं। लेकिन व्यवस्था की खामियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। चौक-चौराहे पर सही तरीके से गश्ती नहीं होती, जिससे छिनतई और चोरी की घटना होती है। ऐसे में समझ सकते हैं कि जवानों कौन भ्रष्ट बना रहा है।
यह आदत तो ठीक नहीं
पूर्वी सिंहभूम की पुलिस में कुछ दिनों में नए ट्रेंड विकसित हुए हैं। मोबाइल नहीं उठाने का। विशेष कर मीडिया वालों का। यदि उठा भी लिया तो सही तरह से जवाब नहीं देने का। टाल-मटोल करते हैं। जब जिद करो तो कहेंगे फलां साहब से पूछ लीजिए। हम अधिकृत नहीं हैं। जब पूछिए- कौन बता सकते हैं इस बारे में? तो यह भी बताने से परहेज करते हैं। यह बात हो रही है बिष्टुपुर व गोलमुरी थाने की। गोलमुरी थाना क्षेत्र में लगातार दो दिन फायरिंग की घटना हुई। फोन पर उपलब्ध अधिकारी का फोन पहले तो स्वीच ऑफ मिला। समय बीतने पर ऑन हुआ। रिसीव करने वाले अधिकारी ने कहा कि साहब तो बैठक में हैं। घटना की जानकारी नहीं है। इसी तरह बिष्टुपुर थाना क्षेत्र में चेन छिनतई व दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज हुई। पूछने पर बताया गया कोई युवती से छिनतई हुई है। नाम-पता नहीं मालूम।
अदालत का काटना होगा चक्कर
लॉकडाउन उल्लघंन की प्राथमिकी जिन लोगों पर दर्ज हुई है और थाने से ही निजी मुचलके पर रिहा हो गए थे, वे गफलत में नहीं रहे कि अब कुछ नहीं होगा। मामला बहुत आसानी से पीछा छोड़ने वाला नहीं है। लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। अदालत के चक्कर लगाने होंगे। कारण, पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध अदालत में आरोपपत्र समर्पित करना शुरू कर दिया है। अब उपस्थिति के लिए नोटिस जारी होगा। जवाब भी देने होंगे। पक्ष भी रखना होगा। नियमित जमानत लेनी होगी। अभियोजन का सामना करना होगा। आरोप सिद्ध होने पर सजा और जुर्माना भी भरना होगा। जेब भी ढीली होगी। पुलिस परेशान भी करेगी। कोल्हान प्रमंडल में सर्वाधिक जमशेदपुर के विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज हुई है। इसमें तब्लीगी जमात से जुड़े 11 विदेशी नागरिक भी कानूनी जद में हैं। विगत डेढ़ माह से घाटशिला जेल में बंद हैं। जमानत नहीं मिली है।