Weekly News Roundup Jamshedpur : ऊपरी कमाई को मचल रहा मन, पढ़िए पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. थानों के संरक्षण में फलने-फूलने वाले गैर कानूनी धंधे कुछ बंद हैं तो कुछ नहीं के बराबर रेंग रहे हैं। ऐसे में ऊपरी मासिक आमदनी पर ग्रहण लग गया है।
जमशेदपुर,अन्वेष अंबष्ठ। Weekly News Roundup Jamshedpur लॉकडाउन के करीब एक माह पूरे हो रहे हैं। थानों में लोगों का आना-जाना नहीं हो रहा। वाहन भी सड़क पर नहीं दौड़ रहे। कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सब बंद है।
थानों के संरक्षण में फलने-फूलने वाले गैर कानूनी धंधे कुछ बंद हैं तो कुछ नहीं के बराबर रेंग रहे हैं। ऐसे में ऊपरी मासिक आमदनी पर ग्रहण लग गया है। इस ऊपरी आमदनी के लिए कुछ पुलिस कर्मियों का मन मचल रहा है। जुगाड़ लगा रहे हैं। भरपाई के लिए हाथ-पैर मार रहे। बात बनती नहीं दिख रही। उधर, ऊपरी कमाई देने वाले धंधेबाज भी अपना रोना-रो रहे हैं। कह रहे- कमाई होगी तभी तो देंगे। हां, किस्त में देने के लिए तैयार हैं, लेकिन लेने वाले मान नहीं रहे। कह रहे हैं कि धंधा करते हो तो एक माह बर्दाश्त करना होगा। व्यवस्था तो बनती बिगड़ती रहती है। नहीं दोगे तो थाने की व्यवस्था कैसे चलेगी?
रिहाई से खिल उठा चेहरा
कोरोना (covid 19 ) के कारण जमशेदपुर के घाघीडीह सेंट्रल जेल के विचाराधीन बंदियों की अंतरिम जमानत पर 45 दिनों के लिए रिहाई हो रही है। इससे परिजन खुश हैं। बंदी जेल की जगह घर में रहेंगे। उधर, जेल प्रशासन के लिए भी राहत की बात है। क्योंकि, बंदी उनके यहां क्षमता से अधिक नहीं रहेंगे तो व्यवस्था में परेशानी नहीं होगी। शारीरिक दूरी का भरपूर पालन होगा। पहले ओवरलोड के कारण नहीं हो पाता था। लेकिन, पुलिस के लिए यह परेशानी वाली खबर है। कारण, बंदियों को घर से वापस लाने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होगी। विशेष कर परसुडीह थाना की पुलिस को। घाघीडीह जेल इसी थाना क्षेत्र के अधीन है। पुलिस को रिहा होनेवाले बंदियों का रिकार्ड तैयार करना पड़ रहा है। नई फाइल में हर दिन लिखा-पढ़ी की जा रही है, ताकि नाम-पता और केस संख्या में कोई गड़बड़ी ना हो। अलग से अधिकारी की डयूटी लगानी पड़ रही है।
लॉकडाउन के बीच अतिक्रमण का खेल
लॉकडाउन के बीच अतिक्रमण का खेल भी धड़ल्ले से जारी है। जहां नजर दौड़ाइए, वहीं निर्माण कार्य चल रहा है। कहीं कोई रोक-टोक नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। तभी तो कोई कार्रवाई नहीं हो रही। बिरसानगर, सुंदरनगर, गोलमुरी, सीतारामडेरा, कदमा, रेलवे क्षेत्र जैसे किसी भी इलाके में चले जाइए, कहीं नाले का तो कहीं नदी किनारे जमीन का अतिक्रमण कर निर्माण दिख जाएगा। खेल में लेन-देन का खेल भी शामिल है। भुइंयाडीह नदी किनारे तो पहले बांस-बल्ले से जमीन की घेराबंदी की गई। प्लास्टिक डाला गया। फिर पक्का निर्माण शुरू कर दिया गया। अधिकारियों तक मामला संज्ञान में आया। कार्रवाई की बात कही गई। सप्ताह बीत गए, हुआ कुछ नहीं। आदेश जारी होते हैं कि कहीं जमीन का अतिक्रमण होगा तो संबंधित थाने की पुलिस जिम्मेवार होगी। पुलिस कार्रवाई शुरू करती है तो अक्षेस के पदाधिकारी कन्नी काट जाते हैं। कारण, उन पर राजनीतिक हस्तक्षेप हावी है।
नई छवि गढ़ रही पुलिस
लॉकडाउन में कानून के रखवाले बढ़चढ़ कर इस समय अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। खूब सेवा कर रहे हैं। चाहे ड्यूटी हो या जरूरतमंदों और बेजुबानों तक मदद पहुंचाना, न धूप की परवाह कर रहे, न प्यास की। पुलिस का मानवीय चेहरा इस दौर में उभरकर सामने आया है। समर्पण और सेवा भाव उन्हें सलाम का हकदार बना रहा है। उनके प्रति आम लोगों की धारणा बदल रही है। हर जगह अच्छे और सराहनीय शब्द सुनने को मिल रहे हैं। यह उनके लिए सुखद अहसास की तरह है। आलम यह है कि पुलिस की हर बैठक में हर संप्रदाय के लोग शामिल हो रहे हैं। जो अपील पुलिस कर रही है, उसे मानने को तैयार दिख रहे हैं। सहयोग का वायदा भी कर रहे हैं। कितने पर्व-त्योहार सादगी में बीत गए। किसी ने कोई सवाल नहीं खड़ा किया। लोग मान रहे कि पुलिस उनके लिए ही सबकुछ कर रही है।