Weekly News Roundup Jamshedpur : पैसा और पावर बोलता है, पढ़िए चिकित्सा जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur.स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ईमानदारी व न्याय की बात करते हैं यह अच्छी बात है। लेकिन...
जमशेदपुर, अमित तिवारी। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ईमानदारी व न्याय की बात करते हैं, यह अच्छी बात है। लेकिन, उनके ही शहर व विभाग में एक पूर्व पदाधिकारी ऐसे भी हैं जिनके ऊपर ढेर सारे आरोप हैं। गड़बड़ी भी सामने आई। इसके बावजूद वह शेर की तरह बिंदास घूम रहे हैं। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री की मंशा पर सवाल खड़ा होता है, बल्कि कर्मचारियों का मनोबल भी घटा है।
पूर्व पदाधिकारी पर गलत ढंग से क्वार्टर आवंटन करने, टीबी विभाग में गलत ढंग से नियुक्ति, कायाकल्प अवार्ड की राशि में गड़बड़ी, कोल्ड चेन हैंडलर की गलत ढंग से बहाली सहित अन्य आरोप हैं। इसकी शिकायत डीसी से भी की गई, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होना कई सवालों को जन्म देता है। जिला स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यालयों में ये साहब अभी भी मंडराते हैं, लेकिन उनकी छवि ऐसी बन गई है कि जो देखता वही बोलता है ‘पैसा व पावर बोलता है’।
सिस्टम बदला है, बदलने वाला चाहिए
सिस्टम बदलता है, बदलने वाला चाहिए। जी हां, इसकी चर्चा इन दिनों आपको जिला सर्विलांस व यक्ष्मा विभाग में सुनने को मिल जाएगी। दोनों विभाग में साहब नए-नए आए हैं। इसलिए थोड़ा जोश, जुनून भी अधिक दिखा रहे हैं। काम करने का अंदाज भी बदला-बदला सा नजर आ रहा है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. साहिर पॉल व जिला यक्ष्मा एवं कुष्ठ रोग निवारण पदाधिकारी डॉ. एके लाल ने एक सप्ताह पूर्व ही प्रभार ग्रहण किया है, लेकिन उनकी कार्य संस्कृति से कई बदलाव दिखने लगे हैं। जिला सर्विलांस विभाग में अब सबकी जिम्मेदारी तय कर दी गई है। यहां तक कि उनका फोन नंबर भी सार्वजनिक कर दिया गया है। इसके साथ ही कोरोना जांच सेंटरों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। वहीं, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी कोरोना के साथ-साथ टीबी उन्मूलन में भी जुटे हुए हैं। उन्होंने सहियाओं की बकाया राशि भी दिला दी।
ईमानदार हैं तो फायदा उठाइए साहब
सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा की सरलता व ईमानदारी की चर्चा जिला स्वास्थ्य विभाग में खूब होती है। इसी कारण से डॉक्टर से लेकर कर्मचारी तक उन्हें इज्जत देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते, लेकिन जब बात काम की आती है तो वह इसमें पिछड़ जाते हैं। कर्मचारियों के मनमाने रवैये व अव्यवस्थित व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सिविल सर्जन को कड़े अंदाज में आगे बढ़ने की जरूरत है। लेकिन, इस काम में वह नरम पड़ जाते हैं, जिसका फायदा वहां के कर्मचारी उठा रहे हैं। कर्मचारियों का न तो कार्यालय आने का समय तय है और न ही जाने का। मनमाने ढंग से वह नौकरी कर रहे हैं। यहां तक कि एक कर्मचारी ने यह भी बताया कि भले ही सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा हैं, लेकिन अभी भी कई काम पूर्व सिविल सर्जन के इशारे पर हो रहे हैं। उनकी लॉवी अभी भी टाइट है, जिसका नुकसान विभाग को रहा है।
जेआरडी पूछ रहा, कब लगेगा आक्सीजन बेड
सत्रह अगस्त को जिले के मुखिया सहित सभी आला अधिकारियों की बैठक साकची स्थित रवींद्र भवन में हुई। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर की गई और उन्हें बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के मकसद से जेआरडी कॉम्पलेक्स में 250 ऑक्सीजन-बेड लगाने का निर्णय हुआ। मेडिका को टीएमएच लेगा, ऐसी बात कही गई। इससे लोगों की उम्मीद बढ़ गई। उन्हें लगा कि अब इलाज में ज्यादा परेशानी नहीं होगी, लेकिन आज 11 दिन हो गए। अब तक न तो जेआरडी में ऑक्सीजन-बेड लगा और न ही मेडिका को टाटा स्टील ने लिया। इधर, मरीजों को बेड नहीं मिलने की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से लेकर विधायक सरयू राय तक चिंता जाहिर कर चुके हैं। भाजपा नेता हराधन दास की मौत के बाद उनके घर रघुवर दास पहुंचे थे और कहा कि बेड नहीं मिल रहा था तो एकबार मुझसे संपर्क करना चाहिए था।