Weekly News Roundup Jamshedpur : लॉकडाउन में साहब का मन बेचैन,पढ़िए नौकरशाही की दुनिया की अंदरूनी खबरें
Weekly News Roundup Jamshedpur. लॉकडान में हर कोई घर में कैद है लेकिन एक साहब ऐसे हैं जिनका मन नहीं लग रहा है। साहब अपनी सेहत पर खूब ध्यान दे रहे हैं।
जमशेदपुर, मनोज सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur Daphtar Daphtar लॉकडाउन में अपने घर से नहीं निकल पा रहे हैं। जरूरी काम हुआ तो उसे आवासीय कार्यालय से ही निपटा रहे हैं। साहब ने समय काटने का अब नया तरीका भी निकाल लिया है।
लॉकडाउन में साहब का मन बेचैन
कोरोना संक्रमण रोकने को सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन कर दिया है। हर कोई घर में कैद है। इस बीच एक साहब ऐसे हैं कि उनका मन नहीं लग रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के डीएफओ चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा की। साहब प्रतिदिन दलमा जंगल जाते थे, वह हाथियों व हिरण के साथ ही जंगल को निहारते थे, लेकिन लॉकडाउन में अपने घर से नहीं निकल पा रहे हैं। जरूरी काम हुआ तो उसे आवासीय कार्यालय से ही निपटा रहे हैं। साहब ने समय काटने का अब नया तरीका भी निकाल लिया है। घर में कसरत और योग से सेहत बनाने में जुट गये हैं। कहते हैं कि जब तक लॉकडाउन समाप्त नहीं हो जाता, तब तक क्यों नहीं सेहत पर ही ध्यान दिया जाए। यही कारण है कि साहब अपनी सेहत पर खूब ध्यान दे रहे हैं। सुबह-शाम योग व कसरत कर रहे हैं।
कह रहे जान है तो जहान है
झारखंड में जब से कोरोना के तीन लोग पॉजिटिव मिले हैं, सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। जमशेदपुर के तीनों नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारी भी अब पहले से कहीं अधिक सतर्क नजर आ रहे हैं। पहले तो कार में बैठकर दफ्तर आते थे। अपने अधीन काम करने वाले सिटी मैनेजर को मास्क पहनकर शारीरिक दूरी बनाए रखने की नसीहत देकर चले जाते थे। लेकिन, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष पदाधकारी का कोरोना आने से पूर्व ही तबीयत खराब हो गयी, सो वह इलाज कराकर बाहर से आए, इसी बीच कोरोना ने दस्तक दे दी। कोरोना संक्रमण का डर ऐसा कि अब साहब तभी कार्यालय आते हैं, जब जरूरी काम हो, वरना घर से ही काम निपटा रहे हैं। दूसरी ओर, जब से शहर की आजादबस्ती में 25 लोगों को स्थानीय पुलिस ने पकड़ा है, उसके बाद से तो कहने लगे हैं कि जान है तो जहान है।
उपकरण के लिए तरस रहे
चर्चा है कि कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने उपायुक्त और सिविल सर्जन को करोड़ों रुपये का फंड आवंटित किया है। लेकिन, कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल और शहर के तीनों नगर निकायों में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को देखा जाए तो पता चलता है कि किसी को राजधानी रांची जैसी सुरक्षा सामग्री नहीं दी गई है। इससे चिकित्सा पदाधिकारी हो या स्वास्थ्य कर्मचारी सभी नाराज हैं। एक चिकित्सा पदाधिकारी कहते हैं कि सिविल सर्जन के पास कोरोना से बचाव के लिए फंड है, लेकिन उसका उपयोग एमजीएम अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों पर नहीं कर रहे हैं। जब बड़े साहब पूछते हैं तब उन्हें समझा देते हैं कि कहीं कोई कमी नहीं है, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और है। आजादनगर में भी सर्विलांस कर्मचारियों के पास कोई पुख्ता सुरक्षा किट उपलब्ध नहीं है। बेचारे डरे-डरे काम कर रहे हैं।
लात के भूत बात से नहीं मानते
एक कहावत है- लात के भूत बात से नहीं मानते। आपने भी सुना होगा। आजकल जमशेदपुर में यह खूब देखने को मिल रहा है। लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण न हो इसके लिए सरकार ने राज्य में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर रखा है। आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए खाद्य सामग्री की दुकान, सब्जी बाजार, दूध-फल, दवा की दुकान खोलने की इजाजत जिला प्रशासन ने दे दी है। लोगों से बार-बार अनुरोध किया गया कि कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी का पालन करें, लेकिन लोग बात मानते कहां। ग्राहक नियम कानून तोड़ डालते हैं। दुकान के पास ऐसी भीड़ लगा देते हैं मानों सामान मिलेगी ही नहीं। रविवार को तो मानगो वर्कर्स कॉलेज के पास मछली लेने वालों पर पुलिस ने लाठियां भी बरसाईं। लाठी खाने के बाद लोग शांत हो गए। पुलिस की लाठी देख लोग अनुशासित हो जाते हैैं।