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Weekly News Roundup Jamshedpur : नहीं हजम हो रही दलील, पढ़ि‍ए शिक्षा जगत की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. बेल्डीह चर्च स्कूल कक्षा सातवीं के छात्र रिशांत ओझा के मामले में गर्दन बचाने की कवायद में जुटा है। लेकिन वह खुद ही इसमें उलझता जा रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 09:35 AM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 09:35 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur :  नहीं हजम हो रही दलील, पढ़ि‍ए शिक्षा जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : नहीं हजम हो रही दलील, पढ़ि‍ए शिक्षा जगत की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, वेंकटेश्‍वर राव। Weekly News Roundup Jamshedpur बेल्डीह चर्च स्कूल कक्षा सातवीं के छात्र रिशांत ओझा के मामले में गर्दन बचाने की कवायद में जुटा है। लेकिन, वह खुद ही इसमें उलझता जा रहा है। स्कूल द्वारा यह बताने की कोशिश की गई कि रिशांत ओझा के परिजन रिपोर्ट कार्ड लेने नहीं आये थे। जबकि, परिजनों का कहना है कि वे स्कूल गए थे।

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स्कूल द्वारा परिजन से बिना पूछे ही स्कूल फीस माफ कर दिए जाने से मामला और गर्म हो गया। सिर्फ यही नहीं स्कूल ने इसे सार्वजनिक तक कर डाला है। जबकि, रिशांत के पिता टाटा स्टील में काम करते हैं। सबसे अहम बात यह है कि रिशांत की आंख में चोट लगने के बाद स्कूल का एक भी व्यक्ति उसके घर तक नहीं गया। यहां तक फीस माफ करने की सूचना रिशांत के परिजन को डाक के माध्यम से भेजी गई। स्कूल की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व उपायुक्त से की गई है।

कोरोना के बीच शिक्षकों का रोना

कोरोना को लेकर सरकार द्वारा स्कूल और कॉलेज बंद करने संबंधी निर्णय के बाद विभागीय स्तर से आदेश जारी किया गया। इसके तहत स्कूलों व कॉलेजों में कक्षाएं स्थगित रहेंगी। यानी बच्चे पढऩे के लिए स्कूल नहीं आएंगे। लेकिन, शिक्षकों और कर्मचारियों को कॉलेज आना होगा। परीक्षा सहित अन्य कार्य संपादित करने होंगे। अब शिक्षकों व कर्मचारियों में इस बात का भय सता रहा कि क्या उन्हें कोरोना नहीं होगा। इन शिक्षकों और कर्मचारियों को परीक्षाएं संचालित करनी हैं। मूल्यांकन का कार्य भी करना है। परीक्षा के कार्य में छात्रों की भीड़ तो होगी ही। वहीं, मूल्यांकन कार्य में भी शिक्षकों की भीड़ होगी। प्रशासनिक निर्णय के अनुसार जहां भी 20 से ज्यादा लोगों के जुटने के आसार हैं, वैसे सभी कार्यक्रम को स्थगित कर दिया जाए। लेकिन, कोरोना के बीच शिक्षकों व कर्मचारियों का रोना सुनने वाला कोई नहीं है। वे सभी अपने आला अधिकारियों को कोस रहे हैं।

डीईओ साहब आज नहीं हैं

पूर्वी सिंहभूम के जिला शिक्षा विभाग के मालिक जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) शिवेंद्र कुमार दो-दो जगह दायित्व संभाल रहे हैं। वे शुक्रवार और शनिवार को सरायकेला-खरसावां जिले का दायित्व संभालते हंै। ऐसे में दोनों दिन पूर्वी सिंहभूम शिक्षा विभाग के कर्मचारी मस्ती में रहते हैं। आराम से काम करते हैं या गपशप में मशगूल रहते हैं। पूछने पर बताया जाता है कि साहब नहीं हैं, क्या करेंगे। कर्मचारी भी अपनी संचिकाओं को समेट कर अपनी जगह पर नहीं रहते हैं। किसी को कोई मतलब नहीं। कर्मचारी दो दिन काफी खुश रहते हैं। यदि किसी दिन साहब पांच बजे कार्यालय आ जाते हैं तो उनकी हंसी गायब हो जाती है। उनके आने के बाद बेचारे कर्मचारी रात आठ बजे तक काम करते दिखते हैं। कर्मचारी साहब को ही कोसते हैं कि काहे शाम को आ गए। जाने के बाद आते। मंजर देखना है तो शुक्रवार व शनिवार को यहां चले आइए।

भाड़ में जाए नियम-कानून

निजी स्कूलों ने सरकारी नियम नहीं मानने की कसम खा रखी है। तभी तो बिना खौफ के ही अपने परिसर में किताब बेच रहे हैं। प्रत्येक दिन अभिभावकों को बुलाकर स्कूल से ही किताब लेने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि, इसका विरोध कई संगठन कर रहे हैं। लिखित शिकायत दी है। इसके बावजूद निजी स्कूलों बेफिक्र हैं। जिला प्रशासन की आंख के नीचे दुकानदारी चला रहे हैं। कुछ अभिभावक किताब दुकान भी जा रहे हैं तो उन्हें दुकानदार स्पष्ट रूप से कह रहे कि वे उन्हें किताबें नहीं दे सकते हैं। स्कूलों से ही किताब लेना होगा। मजबूरीवश अभिभावक किताब खरीदने को लाचार हैं। उनके पास कोई विकल्प नहीं है। प्रशासन उनकी बात सुनने को तैयार नहीं। इतना ही नहीं, स्कूल यह भी पता लगा रहे कि किसने अब तक किताब नहीं खरीदी है। बकायदा ऐसे अभिभावकों को वे फोन कर किताब शीघ्र खरीदने का दबाव डाल रहे हैं।


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