जमशेदपुर, अरविंद श्रीवास्तव। Weekly News Roundup Jamshedpur आर्थिक मंदी से जूझ रही टाटा मोटर्स व उसकी सहायक कंपनियों का उत्पादन कब बढ़ेगा, इस पर सबकी नजर है। ब्लॉक - क्लोजर व बंदी की मार झेल रही इन कंपनियों की हालत खराब हो गई है। नए वित्तीय वर्ष में इनकी स्थिति में सुधार होने की संभावना है। 2020 में नए मॉडल की गाडिय़ां बनने की वजह से उत्पादन बढ़ेगा, जिसके संकेत मिल रहे हैं।
टाटा मोटर्स समेत अन्य कंपनियों का उत्पादन मार्च महीने से बढ़ जाएगा। इससे टाटा मोटर्स को आपूर्ति करने वाली आदित्यपुर की कंपनियों में भी रौनक आएगी। फिलहाल बीएस फोर मॉडल की गाडिय़ां खरीदने से ग्राहक परहेज कर रहे हैं। अब आगे जो भी गाडिय़ां बनेंगी उसमें बीएस सिक्स के इंजन लगेंगे। उसका मॉडल भी अलग होगा। इस वजह से भी नई गाडिय़ों की बिक्री बढऩा तय है। इससे कंपनियों का उत्पादन बढ़ेगा, तो काम से बैठाए गए हजारों अस्थायी कर्मचारियों की वापसी भी होगी।
राकेश्वर या शिवलखन, तय करेगा प्रबंधन
टाटा स्टील ग्रोथ शॉप की मान्यता प्राप्त टिस्को मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय रहेंगे या शिवलखन सिंह, इस सवाल पर अंतिम फैसला कंपनी प्रबंधन को करना है। राकेश्वर पांडेय जहां यूनियन संविधान की दुहाई दे रहे हैं, वहीं शिवलखन सिंह पुरानी परंपरा का हवाला दे रहे हैं। कमेटी मीटिंग में नए अध्यक्ष का चुनाव करने को सही ठहराया जा रहा है। यूनियन में अध्यक्ष बनने को लेकर लामबंदी अब भी नहीं थमी हैै। दांव-पेच जारी है। राकेश्वर पांडेय यूनियन के तीन साल का कार्यकाल पूरा होने तक अध्यक्ष बने रहने की बात कर रहे हैं, तो शिवलखन अब नए अध्यक्ष के रूप में अपने को प्रस्तुत कर रहे हैं। अब यह ममला टाटा स्टील ग्रोथ शॉप से निकलकर टाटा स्टील प्रबंधन के पास पहुंच गया है। इस मसले पर कंपनी के वरीय अधिकारियों के बीच मंथन जारी है। अब इस संबंध में फैसला टाटा स्टील प्रबंधन को करना है।
आपसी विवाद में यूनियन का बंटाधार
जिस टेल्को वर्कर्स यूनियन का नेतृत्व प्रख्यात मजदूर नेता माइकल जॉन, गोपेश्वर, बीजी गोपाल, सिद्धेश्वर चौधरी, एसएल पासी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे, झारखंड के पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह जैसी हस्तियां कर चुकी हैं, उसका आपसी विवाद में बंटाधार हो गया है। इस यूनियन का गठन 1940 के दशक में हुआ था। कंपनी को विकास शिखर पर पहुंचाने वाली इस यूनियन का मामला न्यायालय में लंबित है। टेल्को यूनियन का बुरा हाल देखकर इसके 90 फीसद से ज्यादा मेंबर आज नई यूनियन की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। जिस यूनियन परिसर में कभी सैकड़ों का जमावड़ा लगता था वहां अब वीरानगी का आलम है। यूनियन परिसर में घास-फूस उग आए हैं। दीवारें भी बदरंग दिखने लगी हैं। ऐसा लगता है कि इस यूनियन का कोई वारिस ही नहीं है। यदि है तो उसका ध्यान कोर्ट-कचहरी में ज्यादा लगा हुआ है। विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है।
अब बकाया पाने को लगी होड़
सालों से बंद इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) की नीलामी की घोषणा के बाद कर्मचारियों में बकाया राशि पाने की होड़ मची है। कल तक कंपनी खुलने का इंतजार करने वाले कर्मचारी अब अपने कागजात एकत्रित करने में जुटे हुए हैं। केबुल एसोसिएशन हॉल में बकाया राशि पाने के लिए फार्म बंट रहा है। पिछले दिनों कर्मचारियों ने बैठक की थी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश के आलोक में तय हुआ था कि बकाया राशि के लिए आवेदन किया जाए। इसी के तहत कर्मचारी कागजात जमा कर रहे हैं। अभी तक 700 कर्मचारियों ने फार्म ले लिया है। इस फार्म के साथ कोर्ट की सत्यापित कॉपी उपलब्ध करानी है। इसे लेकर सौ रुपये लिए जा रहे हैं। इससे कागजात की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कर्मचारियों को परेशानी नहीं हो इसके लिए केबुल एसोसिएशन हॉल में फार्म लेने और कोर्ट की सत्यापित कॉपी बनवाने आदि का कार्य हो रहा है।