स्थानीय लोगों की मदद से ही होगा आयरन ओर फाइंस का उपयोग : मुकेश
एनआइटी जमशेदपुर में सिटर ग्रेड लौह अयस्क चूर्ण (आयरन ओर फाइंस) गुणवत्ता संबंधित चुनौतियां विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
जासं, जमशेदपुर : एनआइटी जमशेदपुर में सिटर ग्रेड लौह अयस्क चूर्ण (आयरन ओर फाइंस) : गुणवत्ता संबंधित चुनौतियां विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें एनआइटी जमशेदपुर के निदेशक प्रोफेसर करुणेश कुमार शुक्ला ने विषय प्रवेश कराते हुए तीनों भुजाओं के बारे में जानकारी दी। कहा कि तीन भुजा में पहला क्षेत्रों के विशेषज्ञ, दूसरा शिक्षाविद एवं तीसरा शासी निकाय हैं। यह त्रिभुज देश और दुनिया में काफी बड़ा अंतर ला सकता है। वेबिनार के मुख्य अतिथि स्टील रिसर्च एवं टेक्नोलाजी मिशन के निदेशक मुकेश कुमार ने गुआ लौह अयस्क चूर्ण (आयरन ओर फाइंस) को मददेनजर रखते हुए अपनी बातें कही। उन्होंने कहा कि माइंस के साथ समाज एवं पर्यावरण के विकास की ओर अग्रसर होना है। हमें ऐसा प्रयास करना है कि पर्यावरण को कम से कम हानि पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से आयरन ओर फाइंस के उपयोग एवं सहभागिता सुनिश्चित की जा सकें। जिससे कि उनकी आय में वृद्धि हो। यहीं उन्नत भारत अभियान का लक्ष्य भी है। इस वेबिनार में गुआ माइंस के महाप्रबंधक विपिन गिरी ने कहा कि हमारे देश में स्टील की खपत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसी वजह से स्टील के उत्पाद पर ध्यान देने की जरुरत है। गुआ आयरन ओर फाइंस की मदद से इस ओर जाया जा सकता है, जिससे की हवा, पानी एवं जल संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा सरकार भी इन कार्यों को प्रेरित कर रही है। उन्होंने ने बताया कि सरकार दो बड़े प्रोजेक्ट जो कि 10 मिलियन टन बेनेफिसिएन्स और चार मिलियन टन पैलेट प्लांट के लिए हामी भर चुकी है। जिसके लिए उन्नत भारत अभियान और एनआइटी जमशेदपुर द्वारा प्रेरित मिश्री लाल विश्वकर्मा स्टार्टअप की ओर आगे बढ़ चुके हैं। इस विचार मंथन में सीएसआइआर-एनएमएल जमशेदपुर के वरीय प्रधान वैज्ञानिक डा. जे पाल ने माइक्रोफाइन (-0.5 मिमी) के उपयोग पर चर्चा की और उपयोग की जाने वाली दो तकनीकों को सुझाया । इसके अलावा भी कई विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। इस वेबिनार को सफल बनाने में बिपिन गिरी एवं उन्नत भारत अभियान के क्षेत्रीय संयोजक डा. रणजीत प्रसाद का सहयोग सराहनीय रहा।