अब नियमों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत : नरेंद्रन
टाटा स्टील के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) सह प्रबंध निदेशक टीवी नेरंद्रन ने कहा कि अब नियमों को फिर से परिभाषित कारने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा स्टील के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) सह प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि प्रबंधन और टाटा वर्कर्स यूनियन का सौ साल का सफर शानदार रहा। हमने काफी कुछ सीखा, अब अपने सुनहरे भविष्य के लिए नियमों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। इसके लिए टाटा स्टील ही नहीं टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व को भी सोचना होगा। वे शनिवार को टाटा वर्कर्स यूनियन के शताब्दी वर्ष समारोह के समापन पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
भविष्य की यूनियन कैसा हो? विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पहले में कंपनी के अधिकारी इंग्लैंड और जर्मनी से आते थे, जिन्हें छुट्टी के लिए तीन माह का विशेष फर्लो लीव दिया जाता था। उस समय आने-जाने का साधन पानी जहाज था। जिससे आने-जाने में काफी समय लगता था। तब वह प्रासंगिक था, लेकिन आज फर्लो क्यों चाहिए? उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए क्या बेहतर होगा, यह सोचना होगा।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जरूरी है कि कर्मचारियों को सही प्रशिक्षण मिले। इसके लिए उन्होंने शावक नानावटी टेक्नीकल इंस्टीटयूट की तारीफ की जिसके तहत ई-मॉडयूल के तहत अब कर्मचारी घर बैठे ट्रेनिंग प्राप्त कर सकता है।
शताब्दी वर्ष पर सिक्के का अनावरण : इस मौके पर टीवी नरेंद्रन ने शताब्दी वर्ष पर 50 ग्राम सिक्के का भी अनावरण किया, जो साढ़े 13 हजार कर्मचारियों को उपहार स्वरूप दिए जाएंगे। इससे पहले राष्ट्रीय गान के बाद टाटा स्टील व विभिन्न कंपनियों से आए प्रतिनिधियों को यूनियन के सौ वर्षो के इतिहास पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।
कंपनी रहेगी तभी नौकरी भी सुरक्षित : टीवी नरेंद्रन ने कहा कि जब कंपनी रहेगी तभी तो नौकरी सुरक्षित रहेगी। यूनियन को शॉर्ट टर्म व लांग टर्म की जरूरत के अंतर को समझना होगा। सिर्फ अपने सेवानिवृत्त तक नहीं बल्कि कंपनी के उज्जवल भविष्य के लिए प्लानिंग करनी होगी। टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा ने इसी के तहत कंपनी को स्थापित किया था। उन्होंने कहा कि जब कंपनी की उत्पादन लागत कम होगी, उत्पादकता बढ़ेगी तो मुनाफा होगा, तभी निवेश होगा और नए रोजगार का रास्ता खुलेगा।
सीखने वाले अच्छे लीडर : प्रबंध निदेशक ने कहा कि कुछ पैदाइशी, तो कुछ सीख कर नेतृत्व करने वाले होते हैं। लेकिन जो ज्यादा सीखते हैं, वे अच्छे लीडर बनते हैं। इस मामले में टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों पर ज्यादा दबाव होता है क्योंकि हमारी तरह ये सेलेक्टेड (प्रतिनियुक्त) नहीं कर्मचारियों द्वारा चुने हुए इलेक्टेड (निर्वाचित) नेता हैं। भारतीय क्रिकेट टीम की तरह कर्मचारियों का इन पर काफी भरोसा होता है लेकिन कंपनी के बेहतर के लिए इन्हें कंपनी और कर्मचारियों के बीच सेतु का काम करना होगा।
भारतीय बाजार में कोरोना का असर नहीं : पत्रकारों से बातचीत में टीवी नरेंद्रन ने कहा कि यूरोपीय देश व चीन की तरह भारतीय बाजार पर कोरोना वायरस का इतना असर नहीं पड़ा है। केंद्र सरकार इसकी रोकथाम के लिए बेहतर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि देश में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार होने से देश में स्टील की डिमांड बढ़ी है। वहीं, उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी आने से यदि पुराने काम खत्म होंगे तो नए काम भी आएंगे। अब हमें सेफ्टी, पर्यावरण संरक्षण, डिजिटलाइजेशन व री-साइकिलिंग पर सोचना होगा। तभी प्रतियोगी बाजार में टिके रह सकते हैं।