यहां के लोगों को जल से जीवन नहीं, मिल रही बीमारियां और दुश्वारियां
पानी से यहां के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो बीमारी दूसरी पानी खरीद कर पीने की दुश्वारी। यहां का खारा पानी कपड़े भी ठीक से साफ नहीं करता।
जमशेदपुर[विश्वजीत भट्ट] । कहते हैं-जल ही जीवन है। लेकिन, हल्दीपोखर के लोगों के लिए बात इसके बिल्कुल उलट है। यहां लगभग तीन वर्ग किलोमीटर की परिधि में रहनेवाले लोगों को जल से जीवन नहीं, बल्कि बीमारियां और दुश्वारियां मिल रही हैं। क्षेत्र के बुजुर्गो की मानें तो लोग ये बीमारियां और दुश्वारियां पिछले 50 साल से भी अधिक समय से ङोल रहे हैं। कारण, यहां के चापाकल, बोरिंग खारा पानी उगलते हैं। यहां के लोगों का खाना नहीं पचता, असमय बाल सफेद हो जाते हैं। दांत पीले हो जाते हैं। हमेशा पेट खराब रहता है। इस पानी में बनी दाल और सब्जियां नहीं गलतीं।
खारे पानी से यहां के लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो बीमारी दूसरी पानी खरीद कर पीने की दुश्वारी। यहां का खारा पानी कपड़े भी ठीक से साफ नहीं करता। हल्दीपोखर पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी और पोटका प्रखंड मुख्यालय से 10 किमी दूर है और इस ग्रामीण क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार भी। इस बाजार में खरीदारी करने तथा दूसरे कामों से आने वाले लोगों के साथ ही हल्दीपोखर सहित आस-पास की 40 हजार आबादी की जिंदगी में यह खारा पानी जहर घोल रहा है।
बर्तन में रखने पर पानी हो जाता लाल
करीम सिटी कॉलेज भूगर्भशास्त्री डॉ. मो. रेयाज ने बताया कि इस इलाके में जमीन के अंदर की चट्टानों के मिश्रण में खारेपन के कारण चापाकलों से खारा पानी निकल रहा है। इसके बावजूद इस पर अभी गहन शोध की जरूरत है। स्थानीय निवासी गोपाल मिश्र कहते हैं कि एक तो यहां का पानी खारा है। ऊपर से पानी में आयरन की मात्र ज्यादा है। पानी को बर्तन में रखने पर लाल हो जाता है। स्थानीय व्यापारी गोपाल मिश्र बताते हैं कि कई जलमीनारों के लिए डीप बोरिंग की गई। लेकिन, जलमीनार व डीप बोरिंग भी अधूरी है। इसे चालू कर दिया जाए तो काफी हद तक पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी।
खारे पानी के प्रयोग से ये नुकसान
- कैल्शियम, फ्लोराइड की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
- फ्लोराइड की अधिक मात्र से दांतों में पीलापन और दांत धीरे-धीरे क्षीण होकर गिरने लगते हैं।
- इस पानी के प्रयोग से आमाशय कमजोर होता है।
- बाल सफेद होने लगते हैं, सिर में डैंड्रफ हो जाता है, आंखों में जलन होती है।
मीठा जल दिलाने के तमाम प्रयास बेनतीजा
पोटका प्रखंड 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष मनोज राम कहते हैं कि हलदीपोखर के लोगों को खारे पानी से मुक्ति दिलाने के लिए कई जगह डीप बोरिंग की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। पेयजल व स्वच्छता विभाग ने हल्दीपोखर बाजार में मुख्य सड़क के किनारे कोवाली टीओपी के समक्ष डीप बोरिंग व जलमीनार बनाई, लेकिन यहां भी खारा पानी ही निकला। अन्य जगहों पर भी कई डीप बोरिंग हुई, पर मीठा पानी नहीं निकला। लोगों के लिए मीठा जल अब भी किसी सपने की तरह है।
हर रोज पीएचसी पहुंच रहे पेट के रोगी
हल्दीपोखर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हर रोज औसतन लगभग 10 पेट के रोगी पहुंचते हैं। मंगलवार को तो एक महिला नंदिनी पीएचसी में पेट की समस्या के कारण भर्ती मिलीं। वे अपनी ससुराल ईचागढ़ से अपने मायके हल्दीपोखर आईं और पेट की बीमारी से पीड़ित हो गईं। दूसरी ओर, यहीं के शशि कालिंदी पेट की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और पिछले कई दिनों से बिस्तर पर हैं। उन्हें डॉक्टरों ने पेट के ऑपरेशन की सलाह दी है। इनके परिवार के अन्य सदस्य भी पेट की समस्या से ग्रस्त हैं।
10 रुपये में बिकता है 40 लीटर मीठा पानी
आस-पास के गांवों के लोग वर्षो से यहां दो से तीन किमी दूर से मीठा पानी लाकर हल्दीपोखर में दुकानों और घरों में बेचते हैं। 10 रुपये में 20-20 लीटर के दो गैलन मीठा पानी यहां बिकता है। यहां के लोग खुद भी गंगाडीह से लोग मीठा पानी ढोकर लाते हैं। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हल्दीपोखर भी लोगों को मीठा पानी मुहैया कराता है।
जांच में पीने योग्य नहीं पाया गया पानी
जिला स्तर पर कराई गई जांच में पानी पीने योग्य नहीं पाया गया। डब्ल्यूएचओ के मानकों से अधिक इसमें टीडीएस और फ्लोराइड पाया गया। टीडीएस की मात्र 3000 हजार तक पाई गई, जो डब्ल्यूएचओ के मानक से भी अधिक है। वहीं फ्लोराइड की मात्र 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है, जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार इसकी मात्र एक मिली ग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए।
कराई गई है डीप बोरिंग
पोटका प्रखंड में बड़ी संख्या में डीप बोरिंग कराई गई है। इसमें से कई बोरिंग हल्दीपोखर में भी होगी। लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए उस क्षेत्र की डीप बोरिंग व चापाकल के पानी की क्वालिटी जांच कराकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
-अमित कुमार, उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम