जल संरक्षण कर लाखों कमा रहे पोटका के किसान
मिट्टी व पत्थर से डैम बनाकर जलस्त्रोत को बचाकर साल भर सुरक्षित रखते पानी।
संवाद सूत्र, पोटका : पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित पोटका प्रखंड के हेसड़ा पंचायत में किसानों ने जलस्त्रोत को बचाकर ऐसा जलाशय बना लिया है, जिससे ना केवल साल भर पानी जमा रहता है, बल्कि उससे खेती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं। हेसड़ा पंचायत में एक झरना है, जिसका नाम हेसड़ा झरना है। इसके जल संरक्षण कर करीब 10 किसान अपनी 10 एकड़ जमीन में सब्जी तो उगा ही रहे हैं, मछली व बतख पालन भी कर रहे हैं।
हेसड़ा के ग्राम प्रधान राम रंजन प्रधान बताते हैं कि इस पारंपरिक जल स्त्रोत से सालों भर पानी बहता रहता है। इसमें स्नान करने के लिए करीब 10 किलोमीटर दूर तक के लोग आते हैं। इसी जलाशय से लगभग एक दर्जन किसान साग-सब्जी व धान उगा र लाखों रुपये कमा रहे हैं। इस झरने का पानी कभी नहीं सूखता है, जबकि किसान मोटर लगाकर भी दिन-रात सिचाई करते हैं। गर्मी के मौसम में भी दिन-रात मोटर लगाकर सिचाई करने के बाद भी यह नहीं सूखता है। इस जलस्त्रोत की देखभाल ग्रामीण ही करते हैं। इन्होंने मिट्टी-पत्थर से डैम का निर्माण किया है, ताकि जलाशय का पानी इधर-उधर बेकार ना बह जाए।
किसान कोकिल दास बताते हैं कि इस गर्मी में भी हम इस झरने के पानी से सब्जी की खेती कर रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। यदि इसकी ठीक से सफाई हो जाए तो बड़े पैमाने पर बतख व मछली पालन किया जा सकता है। इस झरने का पानी को हम लोग पेयजल के रूप में भी उपयोग करते हैं।
चंद्रा सरदार कहते हैं कि विकट परिस्थिति में भी भिडी, टमाटर, झींगी, करेला, टमाटर आदि उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। झरने के पानी को हम बचाकर रखते हैं, क्योंकि यह हम लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस झरने से खेती करने वालों में शंभू दास, रामरंजन प्रधान, नुनू सरदार आदि ने भी इस जलाशय का गुणगान किया।