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क्रिकेट की किचकिच: 83 साल बाद स्कूल और क्लबों का मताधिकार खत्म

झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ने जमशेदपुर के क्लबों और स्कूलों का मताधिकार छीन लिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 11:58 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 03:48 PM (IST)
क्रिकेट की किचकिच: 83 साल बाद स्कूल और क्लबों का मताधिकार खत्म
क्रिकेट की किचकिच: 83 साल बाद स्कूल और क्लबों का मताधिकार खत्म

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर:जमशेपुर के लिए बुरी खबर। झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) में पिछले 83 साल से स्कूल-क्लब को मिलने वाला मताधिकार अब खत्म होने जा रहा है। जेएससीए में क्लब का 29 व स्कूल का 25 मत है। राची स्थित जेएससीए अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित प्रबंध समिति की बैठक में बहुमत से यह निर्णय पारित कर दिया गया। साथ ही जमशेदपुर को जिला क्रिकेट संघ बनाने का भी प्रस्ताव पारित कर दिया गया। 23 सितंबर को विशेष आम सभा (एसजीएम) बुलाकर इसे पास कर दिया जाएगा। इसके साथ ही जमशेदपुर को नया जिला बनाने पर भी विचार चल रहा है। अभी तक जेएससीए का हेडक्वार्टर होने के कारण जमशेदपुर में कोई जिला क्रिकेट संघ नहीं था। जब इस बाबत जेएससीए के अध्यक्ष कुलदीप सिंह व सचिव देवब्रत चक्रवर्ती से दूरभाष से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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स्कूल-क्लब प्रतिनिधि ने किया जोरदार विरोध : प्रबंध समिति की बैठक में जब स्कूल-क्लब का मताधिकार खत्म करने का प्रस्ताव आया तो स्कूल-क्लब प्रतिनिधि ललन राय ने इसका जमकर विरोध किया। उन्होंने दूसरे राज्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) में दो हजार सदस्य हैं, लेकिन उन्हें वोटिंग राइट (मताधिकार) नहीं है। कैब में सिर्फ जिला व क्लब को ही मत देने का अधिकार है। अगर नियम बनाना ही है तो कैब की तरह बनाए। दिल्ली में आजीवन सदस्य, जिला व क्लब के पास वोटिंग राइट है, वहीं राजस्थान क्रिकेट संघ का चुनाव में सिर्फ जिला संघ ही मतदान कर सकते हैं। अभी हाल फिलहाल सर्विसेज, रेलवे व यूनिवर्सिटी को इसलिए वोटिंग राइट मिला है, क्योंकि वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के टूर्नामेंट में भाग लेता है। हाल ही में बीसीसीआइ ने नेशनल क्रिकेट क्लब (कोलकाता) व महाराष्ट्र क्त्रिकेट क्लब (मुंबई) की मान्यता इसलिए रद कर दी, क्योंकि वह किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं लेता था। इसके बावजूद उसे मत देने का अधिकार था।


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