ज्ञान के प्रवाह से हुनरमंद बन रहीं बेटियां, हस्तकला में हैं दक्ष; पढ़िए Jamshedpur News
गालूडीह स्थित कस्तूरबा विद्यालय में 495 छात्राएं शिक्षा ले रही हैं। इनमें 10वीं की 75 छात्रााएं हस्तकला में पूरी तरह से दक्ष हैं। उनके प्रशिक्षण के लिए बाहर से ट्रेनर को बुलाया जाता है।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 03:21 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 03:21 PM (IST)
घाटशिला( पूर्वी सिंहभूम), मंतोष मंडल । Vocational education for students of Kasturba Vidyalaya Galudih शिक्षा के साथ-साथ विद्यालय में हुनरमंद बनने का भी प्रशिक्षण छात्रओं को दिया जा रहा है जिससे वह भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें। कई छात्रओं के हाथों में कई हुनर है जिसकी बदौलत अब उनकी एक अलग पहचान बन गई है।
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के गालूडीह स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ हस्तशिल्प का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। किताबी ज्ञान के अलावा उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाने का प्रयास है। उनकी कला का नमूना सोमवार को घाटशिला प्रखंड में विधिक सेवा प्राधिकार की ओर लगे शिविर में देखने को मिला। छात्रओं ने स्टॉल लगाकर हस्त निर्मित सामग्री की प्रदर्शनी लगाई थी। जिसका अवलोकन कर अधिकारियों ने खूब प्रशंसा कर प्रोत्साहित किया।
आसान होगी स्वाबलंबन की राह
वार्डन रिंकी कुमारी ने बताया कि विद्यालय की छात्राओं को वोकेशनल कोर्स के तहत हुनरमंद बनाया जाता है। हस्तशिल्प कला में उन्हें परांगत करने का प्रयास रहता है ताकि शिक्षा पूर्ण कर विद्यालय से जब निकलें तो उनके हाथों में इतना हुनर रहे कि वह आत्मनिर्भर बन सकें।
परीक्षा के बाद खाली समय में प्रशिक्षण
वहीं प्रदर्शनी के दौरान विद्यालय की छात्र भवानी पॉल, लक्ष्मी महतो, पायल हेम्ब्रम, मिली कुमारी ने बताया कि वोकेशनल कोर्स के तहत उन्होंने कई चीजें बनाने का प्रशिक्षण लिया है। इसके तहत कई तरह की हस्त निर्मित सामग्री बनाना सिखाया जाता है। जिसमें आभूषण, लकड़ी की कलाकृतियां, पेंटिंग, लेडिज पर्स, सजावट की सामग्री समेत कई अन्य चीजें बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण शिक्षा अवधि के समय नहीं, बल्कि परीक्षा समाप्त होने के बाद खाली समय में दिया जाता है ताकि शिक्षा पर कोई प्रभाव न पड़े।
प्रशिक्षित छात्राएं सहपाठियों को दे रही ट्रेनिंग
कस्तूरबा की कई छात्रएं हस्त निर्मित सामग्री बनाने में इतनी हुनरमंद हो गई हैं कि विद्यालय की अन्य छात्राओं को प्रशिक्षण दे रहीं हैं। फिलहाल वे अपनी बनी सामग्री को कहीं बेच नहीं सकती हैं, बल्कि विद्यालय में आने वाले अतिथियों को उपहार स्वरूप भेंट की जाती है। इन सामग्री को बनाने के लिए छात्राओं को स्कूल द्वारा सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है। स्कूल से निकलने के बाद आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। सभी को इसका लाभ भविष्य में मिलेगा।
विद्यालय की 75 छात्राएं हस्तकला में निपुण
वर्तमान में गालूडीह स्थित कस्तूरबा विद्यालय में 495 छात्रएं शिक्षा ले रही हैं। जिसमें 10वीं की 75 छात्रएं हस्तकला में पूरी तरह से दक्ष हैं। उनके प्रशिक्षण के लिए बाहर से ट्रेनर को बुलाया जाता है। जो दो से तीन माह में उन्हें दक्ष बना देते हैं। आठवीं और नौवीं कक्षा से उनका प्रशिक्षण शुरू कर दिया जाता है।
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