इनसे सीखें : पानी की किल्लत से हलकान ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाया पानी बैंक
पानी के संकट से हलकान झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के पटमदा प्रखंड के ग्रामीणों ने खास पहल की। उन्होंने श्रमदान कर अनोखा पानी बैंक तैयार किया है।
जमशेदपुर, मनोज सिंह। इनकी पहल सराहनीय तो है ही औरों के लिए सीख भी। खासकर उनलोगों के लिए जो समस्याओं से हलकान तो रहते हैं, लेकिन उसके समाधान के लिए खुद पहल करने की बजाय शासन-प्रशासन पर ठीकरा फोड़कर हलकान होते रहते हैं। पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर से 12 किलोमीटर दूर पटमदा प्रखंड के धूसरा गांव के (डोगागरल टोला) के लोगों ने गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत दूर करने के लिए श्रमदान कर पानी बैंक बना लिया।
डोगागरल टोला में मुख्यरूप से आदिम जनजाति सबर परिवार रहते हैं। सबर राज्य सरकार की सूची में विलुप्तप्राय जनजाति के रूप में दर्ज हैं। यहां वर्षों पुराना चेकडैम था जो इस वर्ष भीषण गर्मी में सूख गया और लोगों को दूर-दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ा। पानी की किल्लत की जानकारी जब (नाबार्ड ) राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के जिला प्रबंधक सिद्धार्थ शंकर को मिली तो वे धूसरा गांव के (डोगागरल टोला) पहुंच गए। उन्होंने आदिम जनजाति बहुल इस गांव में समाजसेवी के रूप में काम कर रहे दीनबंधु मार्डी से मुलाकात की। इसके बाद गांव वालों के साथ एक बैठक की। बैठक में लोगों को पानी की किल्लत दूर करने के उपाय बताए।
श्रमदान का सुझाया रास्ता
पानी बैंक के लिए श्रमदान करते ग्रामीण।
ग्रामीणों को समझाया गया कि श्रमदान करने से कैसे उनके गांव में पानी की किल्लत दूर हो सकती है। जब लोगों को समझ में आ गया कि श्रमदान से वाकई में उनके गांव में पानी कि किल्लत दूर हो जाएगी तो गांव के 23 महिला-पुरुष कुदाल-फावड़ा लेकर पहाड़ पर टूट पड़े। दो दिनों के अंदर पहाड़ से (एलबीएस) लूज बोल्डर स्ट्रक्चर से चैकडैम के उपर नालों को घेर दिया। अब जरा भी बारिश या झरना का पानी बहेगा वह एलबीएस) लूज बोल्डर स्ट्रक्चर से टकराते हुए नीचे की ओर आएगा। ऐसी स्थिति में पानी की रफ्तार धीरे होकर चेकडैम में जमा होगा। इससे चेक डैम कभी नहीं सूखेगा। यह प्रक्रिया सालों भर चलती रहेगी। अब धूसरा गांव की (डोगागरल टोला) सबर बस्ती में पानी की किल्लत नहीं होगी।
इन्होंने किया श्रमदान
दीनबंधु मार्डी, रजनीकांत सिंह, शिबू मांडी, निर्मल सबर, सुशांकर सबर, धनंजय सबर, सरला सबर, शुरूबाली सबर, मिठू सबर, प्रतिमा सबर, सुनंदा सबर, शहरबाली सबर, मोहिता सबर, चांदमनी सबर, सतीका सबर, रवि सबर, छवि मांडी, सुरूबाली मांडी, चांदमनी मांडी, देबू मांडी, कमल मांडी, सुरेश सबर एवं कालीपद।
पांच गांवों को गोद लेने की तैयारी
जिस प्रकार पटमदा प्रखंड के धूसरा गांव के (डोगागरल टोला) में लोगों को पानी की किल्लत को दूर करने के लिए श्रमदान के लिए प्रेरित किया गया। उसी प्रकार वह पांच गांवों को गोद लेकर ग्रामीणों के श्रमदान से पानी की किल्लत को दूर करेंगे। जरूरत पडऩे पर नाबार्ड राशि भी खर्च करेगी।
- सिद्धार्थ शंकर, जिला प्रबंधक, नाबार्ड।