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रूंगटा कंपनी की जनसुनवाई में नहीं पहुंचे ग्रामीण, कार्यक्रम करना पड़ा स्थगित

मेसर्स रूंगटा माइंस लिमिटेड के प्रस्ताव पर जिला प्रशासन की ओर से शुक्रवार को मध्य विद्यालय चालियामा में रैयती भूमि अधिग्रहण को लेकर आयोजित लोक सुनवाई एवं रैयती भूमि अर्जन से संबंधित ग्रामसभा में प्रभावित गांव के लोग नहीं पहुंचे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 05:26 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 05:26 PM (IST)
रूंगटा कंपनी की जनसुनवाई में नहीं पहुंचे ग्रामीण, कार्यक्रम करना पड़ा स्थगित
जनसुनवाई कार्यक्रम में खाली कुर्सियों के बीच बैठे पदाधिकारी ग्रामीणों का इंतजार करते हुए। जागरण

सरायकेला, जासं। मेसर्स रूंगटा माइंस लिमिटेड के प्रस्ताव पर जिला प्रशासन की ओर से शुक्रवार को मध्य विद्यालय चालियामा में रैयती भूमि अधिग्रहण को लेकर आयोजित लोक सुनवाई एवं रैयती भूमि अर्जन से संबंधित ग्रामसभा में प्रभावित गांव के लोग नहीं पहुंचे। इस वजह से लोक सुनवाई कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया।

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गौरतलब हो कि मेसर्स रूंगटा माइंस लिमिटेड के प्रस्ताव पर चालियामा स्थित स्टील प्लांट के विस्तारीकरण के लिए ग्राम चालियामा में 41.58 एकड़ एवं बांकसाई में 17.49 एकड़ रैयती भूमि के भूमि अर्जन के लिए लोकसुनवाई एवं ग्रामसभा आहूत की गई थी जिसमें जिले के डीडीसी प्रवीण गागराई, अनुमंडलाधिकारी रामकृष्ण कुमार, भूमि सुधार उप समाहर्ता सरोज लकड़ा, सीओ निवेदिता नियति, थाना प्रभारी शम्भू शरण दास समेत जिला एवं स्थानीय प्रशासन पहुंचे थे। वहीं कंपनी प्रबंधन की तरफ से एवीपी वीके सिंह समेत प्रबंधन के लोग उपस्थित थे। लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद प्रभावित गांव से ग्रामीण लोकसुनवाई में नहीं आए। जिससे आखिरकार कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा। बिना लोकसुनवाई एवं ग्रामसभा के ही अफसरों एवं कंपनी प्रबंधन को वापस जाना पड़ा। 

दूसरी जगह लोकसुनवाई के विरोध में ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

धरना स्थल पर आकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करते एसडीओ रामकृष्ण कुमार। जागरण 

इधर प्रभावित गांव के कुछ ग्रामीणों ने कर्यक्रम स्थल से दूसरी जगह पर लोक सुनवाई एवं ग्रामसभा के विरोध में बैठे रहे। हाथों में तख्तियां लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किए। ग्रामीणों का कहना था कि वे अपनी जमीन देना नहीं चाहते हैं। इस दौरान विरोध स्थल पर आकर कंपनी प्रबंधन एवं जिला प्रशासन ने रैतदारों को समझाने बुझाने का प्रयास किये। परंतु ग्रामीण नहीं माने।


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