जमशेदपुर के अस्पतालों में वेंंटिलेटर फुल, मरीजों की बढ़ती संख्या है वजह
Coronavirus Effect. कोविड-19 (कोरोना) को लेकर ऑक्सीजन के बाद सबसे ज्यादा जरूरत वेंटिलेटर की पड़ रही है। हालांकि यहां अन्य शहरों की तुलना में वेंटिलेटर की संख्या (176) पर्याप्त दिखती है लेकिन ऐसा नहीं है। मरीजों की बढ़ती संख्या से वेंटिलेटर कम पड़ रहे हैं।
जमशेदपुर,जासं। कोविड-19 (कोरोना) को लेकर ऑक्सीजन के बाद सबसे ज्यादा जरूरत वेंटिलेटर की पड़ रही है। हालांकि, यहां अन्य शहरों की तुलना में वेंटिलेटर की संख्या (176) पर्याप्त दिखती है, लेकिन ऐसा नहीं है। मरीजों की बढ़ती संख्या से वेंटिलेटर कम पड़ रहे हैं। टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में कुल 135 वेंटिलेटर हैं, जिसमें कोविड मरीजों के लिए 60 आरक्षित रखे गए हैं। अन्य मरीजों के लिए 75 वेंटिलेटर हैं, जिसमें 40 इंटेंसिव और 35 नन-इंटेसिव के लिए हैं। इसके बावजूद 95 फीसद से अधिक वेंटिलेटर फुल रहते हैं।
आम मरीजों के लिए वेंटिलेटर उपलब्ध कराने में अस्पताल प्रबंधन को कठिनाई होती है। वैसे भी टीएमएच में टाटा स्टील या टाटा समूह से जुड़ी कंपनियों के कर्मचारियों-अधिकारियों को प्राथमिकता मिलती है। बेड के अभाव में वेंटिलेटर बढ़ाना भी संभव नहीं हो रहा है। टाटा मोटर्स अस्पताल में 25 वेंटिलेटर है, जिसमें 15 कोरोना मरीजों के लिए रखे गए हैं, जबकि 10 अन्य बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए है। यहां भी सभी वेंटिलेटर फुल है।यही हाल कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) कालेज-अस्पताल का है, जहां 16 वेंटिलेटर हैं और सभी फुल है। यदि अभी कोई नया मरीज भर्ती हो जाए, तो उसे वेंटिलेटर मिलना मुश्किल है। स्थिति बिगड़ने पर टिनप्लेट अस्पताल से कर िदिया जात है रेफर
जिला प्रशासन के आग्रह पर टिनप्लेट अस्पताल को पूरी तरह कोविड मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, लेकिन वहां वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है। यहां जैसे ही किसी मरीज की स्थिति गंभीर होती है, उसे टीएमएच या टाटा मोटर्स अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर की सुविधा बढ़ाने में भी अस्पताल प्रबंधन को परेशानी हो रही है, क्योंकि उसके लायक बेड नहीं हैं। कोरोना काल में सभी अस्पतालों ने यथासंभव बेड की संख्या बढ़ा ली है। दूसरे अस्पताल, जिन्हें कोविड वार्ड के लिए तैयार किया गया था, वहां आज भी कोविड मरीजों को नहीं लिया जा रहा है।
वेंटिलेटर के अभाव में हो गई थी अधिवक्ता की मौत
शहर के जाने-माने अधिवक्ता व समाजसेवी गिरजाशंकर जायसवाल की मौत वेंटिलेटर के अभाव में ही हो गई थी। 24 अगस्त को उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर टीएमएच ले जाया गया था, लेकिन लाख प्रयास के बावजूद उन्हें वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हो सका। इसके बाद उन्हें टाटा मोटर्स अस्पताल ले जाया जाने लगा, लेकिन रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके शुभचिंतक बताते हैं कि यदि उन्हें वेंटिलेटर उपलब्ध हो जाता तो, शायद बच जाते।