वाजपेयी जी की बड़ी सीख : सेनापति बनने के लिए पहले सिपाही बनना जरूरी
अटल बिहारी वाजपेयी हर पत्रों का संजीदगी से जवाब देते थे। उन्होने जमशेदपुर के एक विद्यार्थी के पत्र के जवाब में सह बड़ी सीख दी थी- सेनापति बनने से पहले सिपाही बनना जरूरी है।
जेएनएन, जमशेदपुर : अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता विरले ही पैदा होते हैं। उन्हें कुशल संगठनकर्ता यूं ही नहीं कहा गया। लोगों को जोड़ने की अद्भुत कला। इसकी एक बानगी है जमशेदपुर के वर्कर्स कॉलेज के लेक्चरर डॉ राजीव कुमार को भेजा गया वाजपेयी जी का पत्र जो राजीव ने आज तक बड़े जतन से सहेज रखा है। अटल जी ने यह चिट्ठी एक जुलाई 1986 को राजीव के पत्र के जवाब में लिखी थी। इस पत्र का मजमून यह बड़ी सीख थी-सेनापति बनने के लिए पहले सिपाही बनना जरूरी है। 6, रायसीना रोड नई दिल्ली से लिखे पत्र में अटलजी ने पहले जवाब देने में देरी के लिए खेद जताया था। राजीव ने उन्हें पत्र 31 मई को भेजा था जबकि जवाब एक जुलाई को लिखा गया था। पत्र में वाजपेयी जी ने लिखे गए सभी तथ्यों का क्रमवार जवाब दिया। इसमें इस बात के लिए खुशी जताई कि राजीव एक सफल नागरिक बनना चाहते हैं। वाजपेयी जी ने आगे लिखा था कि कठिन परिश्रम, प्रमाणिकता और जनसेवा की भावना के बल पर व्यक्ति समाज और देश के प्रति उत्तरदायित्व का भली-भांति पालन कर सकता है। अटलजी ने राजीव को पढ़ाई के साथ रचनात्मक कार्यो में रुचि लेने की सलाह दी थी और यह भी जोड़ा था कि राजनीतिक और आर्थिक विषयों का अध्ययन जरूरी है। राजीव तब छात्र थे और चेनाब रोड साकची में रहते थे। राजीव को वाजपेयी जी ने जमशेदपुर के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित करने और दिल्ली आने पर जरूर मिलने के लिए भी लिखा था। राजीव पर पत्र का इतना असर हुआ कि वे अब भी अध्यापन कार्य के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जुड़े हैं और अटल के विचारों को फैला रहे हैं। वे पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं।