Move to Jagran APP

मोक्ष के लिए लॉकर में इंतजार

कोरोना संक्रमण या अन्य वजहों से काल के गाल में समा गए लोगों की अस्थियां अभी भी मोक्ष के इंतजार में श्मशान के लॉकर में पड़ी हैं। स्वजनों ने शमशान घाटों पर अस्थियां तो रख दीं लेकिन उसे लेने नहीं आ रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 09:30 AM (IST)
मोक्ष के लिए लॉकर में इंतजार
मोक्ष के लिए लॉकर में इंतजार

अन्वेश अंबष्ट, जमशेदपुर : कोरोना संक्रमण या अन्य वजहों से काल के गाल में समा गए लोगों की अस्थियां अभी भी मोक्ष के इंतजार में श्मशान के लॉकर में पड़ी हैं। स्वजनों ने शमशान घाटों पर अस्थियां तो रख दीं, लेकिन उसे लेने नहीं आ रहे। कुछ ने अस्थियों को रखने के लिए समय सीमा को बढ़ा दिया है। नए सिरे से पंजीयन कराएं तो कुछ लोग एक माह के बाद अस्थियों को लेने पहुंच रहे हैं। अब भी 115 लोगों की अस्थियां शहर के तीन श्मशान घाटों पर रखी हैं जिसे लेने के लिए लोग नहीं आ रहे।

loksabha election banner

मान्यता है कि अस्थियों को गंगा या यमुना में प्रवाहित करने से मृत आत्मा को मुक्ति मिलती है। साकची सुवर्णरेखा बर्निंग घाट पर 45 और जुगसलाई पार्वती घाट पर 12 लोगों की अस्थियां 60 दिनों से पड़ी हैं। जमशेदपुर में जुगसलाई में शिव घाट, जुगसलाई में पार्वती घाट और साकची में सुवर्णरेखा बर्निंग घाट है। बता दें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कई लोगों को अंतिम समय में स्वजनों के दर्शन भी नहीं हुए। अस्पताल से सीधे जिला प्रशासन के आदेश पर सुवर्णरेखा बर्निंग घाट पर कोविड नियमों का पालन करते हुए शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। सुवर्णरेखा बर्निंग घाट पर छह लोगों की अस्थियां हैं जिनकी मौत कोरोना संक्रमण से हुई थी। साकची सुवर्णरेखा घाट के प्रबंधन की मानें तो पहली बार इतनी संख्या में अस्थि कलश रखे हुए हैं।

दरअसल, शहर में कोरोना की दूसरी लहर का असर सबसे अधिक देखने को मिला। संक्रमित मरीजों की मौत हुई। सुवर्णरेखा श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित को छोड़ दूसरे श्मशान घाटों पर अप्रैल 10 के बाद मई अंतिम तक हर दिन 50 से 60 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। शवों के अंतिम संस्कार को स्वजनों को 10 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा था। पार्वती घाट पर अधिक शवों का अंतिम संस्कार होने के कारण अस्थि कलश रखने को लॉकर में जगह नहीं बची थी। इसके बाद बाहर अस्थियों को रखा गया।

जुगसलाई पार्वती घाट पर अस्थि कलश रखने का शुल्क 50 रुपये है, जो सिर्फ 15 दिनों के लिए है। 15 दिन से अधिक होने पर तारीखें बढ़ाई जा रही हैं। यहीं हाल सुवर्णरेखा बर्निंग घाट का है। जुगसलाई पार्वती घाट के मैनेजर विनोद तिवारी और साकची बर्निंग घाट के कर्मचारी की मानें तो आवागमन की सुविधा नहीं होने के कारण लोग अस्थि को इच्छा और परंपरा अनुसार बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं। लेकिन अनलॉक होने पर स्वजन अस्थियां ले जा रहे हैं तो कुछ लोग अभी तारीख बढ़वा रहे हैं।

----------

क्या कहते हैं मृतक के स्वजन

पिता की अस्थियां प्रयागराज में गंगा में प्रवाहित करनी है। ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो। लेकिन लाकडाउन होने के कारण नहीं जा सका। जैसे ही आवागमन की सुविधा रफ्तार पकडे़गी, अस्थियों को ले जाकर गंगा में विसर्जित करुंगा। खुद अच्छा नहीं लग रहा है, लेकिन मजबूरी है।

- एसके सिंह, टेल्को

--------

मेरा पैतृक आवास बिहार के गोपालंगज में है। इच्छा है कि पिता की अस्थियों को पटना जाकर गंगा में प्रवाहित करूं। बसों का आवागमन बिहार में लाकडाउन के कारण नहीं हो पा रहा था। झारखंड से बिहार बसें नहीं जा रही हैं। जैसे ही बसों का परिचालन होगा, सबसे पहले अस्थियों का विसर्जन करूंगा।

-राजू प्रसाद, कीताडीह

-----------

हिदू परंपरा के अनुसार लोग अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को प्रयागराज, हरिद्वार, काशी, बंगाल और बिहार में जाकर गंगा में विसर्जित करते हैं ताकि मरने वालों को मोक्ष की प्राप्ति हो। घर-परिवार में शांति बनी रहे। धर्मानुसार 10 दिन के भीतर अस्थियों का विसर्जन कर देना चाहिए। कुछ लोग जहां शव का अंतिम संस्कार होता है, वहीं नदी में ही अस्थियों को विसर्जित कर देते है।

-पंडित एसके त्रिपाठी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.