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इस तकनीक का प्रयोग कर नेत्रहीन छपे अक्षरों को सुन करेंगे पढ़ाई

यह सिस्टम एक विशेष सॉफ्टवेयर की बदौलत काम करता है। सॉफ्टवेयर छपे हुए अक्षरों को पहचानकर उसे ऑडियो फाइल में कन्वर्ट कर देता है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 03:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 May 2018 03:29 PM (IST)
इस तकनीक का प्रयोग कर नेत्रहीन छपे अक्षरों को सुन करेंगे पढ़ाई
इस तकनीक का प्रयोग कर नेत्रहीन छपे अक्षरों को सुन करेंगे पढ़ाई

विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर। अजग-गजब आविष्कारों की बदौलत तकनीक ने जिंदगी आसान कर दी है। यह सिलसिला अभी जारी है। इसी कड़ी का अगला पड़ाव है टॉकिंग बुक्स। शाब्दिक अर्थ कहा जाए तो ऐसी किताब जो बोल सकती है। पढ़ने-सुनने में यह अजीब लग सकता है लेकिन है सच। सच होने के साथ ही उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं जो देखकर पढ़ सकने में असमर्थ हैं। टॉकिंग बुक्स विधा विकसित की गई है, जिसमें किताब खुद अपना मजमून बताएंगी। यूं कहें कि पन्नों पर अंकित अक्षरों को बोलकर बताएगी। इस टॉकिंग बुक्स की अवधारणा को मूर्त स्वरूप दिया है शहर के करीम सिटी कॉलेज ने।

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कॉलेज की लाइब्रेरी में इसके तहत एक विशेष सिस्टम भी स्थापित किया जा चुका है। यह सिस्टम एक विशेष सॉफ्टवेयर की बदौलत काम करता है। एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो छपे हुए अक्षरों को पहचानकर उसे ऑडियो फाइल में कन्वर्ट कर देता है। इस ऑडियो फाइल से आवाज को सुनकर पुस्तक के मजमून को जाना जा सकता है।

इसके तहत दो कंप्यूटर, लेक्स इंस्टेंट रीडर व स्कैनर को मिलाकर एक विशेष पैकेज करीम सिटी कॉलेज में स्थापित किया गया है। फिलहाल अंग्रेजी की पुस्तकों को या मैटर को ऑडियो फाइल में परिवर्तित करने में यह सक्षम है। कॉलेज की ओर से हिंदी भाषा के लिए यह सुविधा शुरू करने का काम जारी है। हिंदी भाषी क्षेत्र होने व हिंदी की अहमियत को समझते हुए इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है।

यह है तकनीक

इसे प्रयोग करने के लिए कोई भी लिखित सामग्री को कैमरे के अंदर रखा जाता है। इससे जुड़े कंप्यूटर के कीबोर्ड पर इंटर बटन दबाने के कुछ सेकेंड में ही यह विशेष सॉफ्टवेयर अंकित सामग्री को ऑडियो फाइल में तब्दील कर देती है। महाविद्यालय में कुछ ऐसे छात्र थे जो देख पाने में असमर्थता के बावजूद आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे। उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनी और अमल में भी लाई गई।

ईद के बाद होगा इस सुविधा का उद्घाटन

हम ऐसे अन्य लोगों को भी इस सुविधा का लाभ देना चाहते हैं जिनको इसकी जरूरत है। कोई भी जरूरतमंद अपनी पुस्तक लेकर भी हमारे यहां आ सकता है या यहां की लाइब्रेरी से भी पुस्तक लेकर इस सुविधा का प्रयोग कर सकता है। हिंदी के लिए सॉफ्टवेयर को स्थापित किया जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि ईद के बाद इस सुविधा का उद्घाटन कर दिया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस सुविधा का उपयोग करने के लिए कॉलेज में नामांकित होना जरूरी नहीं है। कोई भी जरूरतमंद इसका लाभ उठा सकेगा।

-डॉ. मो. जकारिया, प्राचार्य करीम सिटी कॉलेज


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