एसएसपी ने मददगार बन बदल दी इस गांव की तकदीर
सबने ठान लिया कि उनके माथे पर नक्सलवाद का जो कलंक लगा था, उसे मिटा देना है।
अन्वेष अंबष्ट, जमशेदपुर। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम का जियान गांव कभी नक्सलवाद का गढ़ हुआ करता था। बम-बंदूकों, खून और दहशत के बीच विकास की बात करना मुश्किल था। घाटशिला अनुमंडल के इस गांव में अब बदलाव की बयार बह रही है। बदलाव के वाहक बने एसएसपी अनूप टी. मैथ्यू। उन्होंने तीन माह पूर्व गांव को गोद लिया था और इतने कम समय में जो कर दिखाया, वह सांसद और विधायकों द्वारा गोद लिए गए गांवों में तीन साल में भी नहीं हो पाता है।
खेती से हुई शुरुआत:
एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) मैथ्यू ने जिस दिन ट्रैक्टर पर सवार हो खेतों की जुताई शुरू की, ग्रामीण रोमांच से भर गए। सबने ठान लिया कि उनके माथे पर नक्सलवाद का जो कलंक लगा था, उसे मिटा देना है। आबोहवा में बारूदी गंध की जगह अब माटी की खुशबू बिखर रही है। गरीबी-बेकारी से मुक्त हो स्वयं को और गांव को विकास के रास्ते बढ़ाने की कोशिश हो रही है। शुरुआत खेती के जरिए हुई। एसएसपी मैथ्यू ने ऐसा ताना-बाना बुना कि पुलिस, प्रशासन, कॉरपोरेट व कृषि विभाग जियान की तकदीर बदलने में जुट गए हैं।
मुहैया कराया ट्रैक्टर और सिंचाई की सुविधा:
एसएसपी द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रैक्टर से खेती हो रही है। ड्रिप इरिगेशन व अस्थायी चेकडैम से सिंचाई कराई जा रही है। टाटा फाउंडेशन व कृषि विभाग उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। जुताई के बाद बीज बांटे गए हैं। करीब 25 एकड़ में खेती की व्यवस्था की गई है, जो आगे चलकर 300 एकड़ तक पहुंच जाएगी। पहले यहां सिर्फ धान की खेती होती थी। वह भी पूरी तरह बारिश पर निर्भर थी। अब स्थायी चेकडैम का निर्माण हो रहा है। जिससे धान सहित अन्य फसलें ली जा सकेंगी।
नक्सल दस्ते से कराया सरेंडर:
जियान गांव हार्डकोर नक्सली कान्हू मुंडा के दस्ते के लिए चर्चित रहा है। मैथ्यू बताते हैं, मैं 2008-09 में घाटशिला का एएसपी था, तब नक्सलियों का पूर्वी सिंहभूम में मुख्य केंद्र जियान ही था। 25 लाख के इनामी कान्हू मुंडा सहित दर्जनों नक्सली इसी गांव के थे। गांववालों से लगातार संवाद स्थापित कर उनको मुख्यधारा में लाने की कोशिश जारी थी। इसी क्षेत्र में कई बार एनकांउटर भी हुआ। दोबारा मैं जब एसएसपी होकर जमशेदपुर आया, तो जियान के लोगों से वादा किया कि आप लोग सरेंडर करें तो गांव का संपूर्ण विकास मैं खुद कराऊंगा। माओवादियों के कारण गांव वाले प्रशासन से पूरी तरह कट चुके थे। फरवरी 2017 में मुंडा ने अपने साथियों सहित जियान में ही मेरे सामने सरेंडर किया। जनसहभागिता से ही इस क्षेत्र से नक्सलवाद का सफाया हो सका।
इस तरह विकास के पथ पर चल पड़ा गांव:
मैथ्यू ने बताया कि लोग कृषि कार्य में जुट गए हैं। उन्हें इसमें प्रोत्साहित किया जा रहा है। जियान में छह सड़कों का निर्माण जल्द शुरू होगा। कागजाती प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एक जलापूर्ति योजना के साथ पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी को रोकने के लिए बड़ा चेकडैम बनाने पर विचार हो रहा है। एक आंगनबाड़ी केंद्र खुल चुका है। पक्की सड़क का निर्माण होने से गांव मुख्यालय से जुड़ जाएगा। बैंक शाखा भी खोली जाएगी। जियान में एक ही स्कूल है। प्राथमिक स्कूल 1973 में शुरू हुआ था। अब स्कूल भवन सभी सुविधाओं से लैस है। प्रशासन की कोशिश है कि ऐसी व्यवस्था हो कि उच्च स्कूली शिक्षा के लिए बच्चों को दूर न जाना पड़े।
ऐसे बदली लोगों की मानसिकता:
1998 से जनवरी 2017 तक पुलिस और प्रशासन के विरोधी रहे लोग अब सरकारी अधिकारियों का स्वागत करते नजर आते हैं। यहां की आबादी करीब 1200 है।
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जियान की हालत वास्तव में बदहाल थी। एसएसपी मैथ्यू ने जनसहभागिता से बहुत कम दिनों में ही गांव की तस्वीर बदल दी। उन्हें प्रशासनिक सहयोग भी दिया जा रहा है। गांव तक पक्की सड़क बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अमित कुमार, उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम
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