अध्यक्ष के बयान से आया टीडब्ल्यूयू की राजनीति में नया भूचाल, जानिए क्या कहा
गेड रिवीजन संबंधी अध्यक्ष आर रवि प्रसाद के बयान से टाटा वर्कर्स यूनियन की रानीति गरमा कही है। अध्यक्ष ने जानिए क्या कहा है।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 03:40 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 03:40 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व नेतृत्व ने कंपनी प्रबंधन से सात वर्षों के लिए ग्रेड रिवीजन समझौता और तीन रुपये डीए परप्वाइंट पर समझौता कर लिया है। इसके कारण ही यूनियन नेतृत्व पर इस वर्ष सात वर्षों के लिए समझौता करने का दबाव है। न्यू सीरीज ग्रेड के कमेटी मेंबर चाहे तो वे समझौते की कॉपी दिखा सकते हैं।
यूनियन कार्यालय में कमेटी मेंबरों को संबोधित करते हुए यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने ये बातें कहीं। अध्यक्ष के इस कथन से ही यूनियन की राजनीति में नया भूचाल आ गया है। एनएस ग्रेड से लेकर स्टील वेज के जिन कमेटी मेंबरों को अध्यक्ष द्वारा कही गई बातों का पता चला वे अचंभित हैं और इसकी सच्चाई जानने के लिए पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह, पूर्व महासचिव बीके डिंडा व पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव उर्फ टुन्नू चौधरी से संपर्क किया। लेकिन सभी ने कहा कि अगर उन्होंने ऐसा कोई समझौता किया है तो वर्तमान यूनियन नेतृत्व इसे सार्वजनिक करे।
पूर्व महासिचव ने कही ये बात
बीके डिंडा ने तो यहां तक कहा है कि उन्हें याद नहीं है कि उनके कार्यकाल में नोट्स ऑफ कंक्लूजन बना था। लेकिन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद के इस कथन से टाटा वर्कर्स यूनियन की राजनीति में एक सुनामी सी आ गई है और हर कोई चाहता है कि अगर यूनियन नेतृत्व ने 6 अगस्त 2014 को नोट्स ऑफ कंक्लूजन के माध्यम से ऐसा कोई समझौता किया है जो जनवरी 2018 से उसे सीधे प्रभावी कर दिया जाएगा तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
नोट्स ऑफ कंक्लूजन के कारण दबाव
उधर, प्रबंधन के साथ हुई बैठक से लौटकर डिप्टी प्रेसिडेंट अरविंद पांडेय व महामंत्री सतीश कुमार सिंह ने कमेटी मेंबरों को बताया नोट्स ऑफ कंक्लूजन के कारण ही यूनियन पर दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले में यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद का पक्ष जानने के लिए तीन बार उनके मोबाइल पर फोन किया गया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
पूर्व अध्यक्ष ने ये कहा
एसके बेंजामिन, आरबीबी सिंह, रघुनाथ पांडेय सहित सभी यूनियन अध्यक्षों ने जब भी प्रबंधन के साथ ग्रेड रिवीजन पर समझौता किया है तो दोनो पक्ष एक-दूसरे को नोट्स ऑफ कंक्लूजन देते हैं। इसमें भविष्य में उन बिंदुओं पर बात करने पर सहमति ली जाती है। मेरा सभी कमेटी मेंबरों से आग्रह है कि यूनियन कार्यालय से नोट्स ऑफ कंक्लूजन की कॉपी लें और उसकी स्टडी करें। यूनियन नेतृत्व से सवाल करें कि वे नोट्स ऑफ कंक्लूजन का मतलब क्या समझते हैं? अगर उसमें लिखे सभी बातें एग्रीमेंट का पार्ट है तो यूनियन नेतृत्व फिर प्रबंधन से बात क्यों कर रहा है? पूरे नोट्स ऑफ कंक्लूजन को लागू करा दे।
-पीएन सिंह, पूर्व अध्यक्ष, टीडब्ल्यूयू
तो यूनियन से वार्ता क्यों
आरोप लगाने वाले ये जान ले कि नोट्स ऑफ कंक्लूजन व एग्रीमेंट के बीच अंतर क्या होता है। हर बार ग्रेड की बैठक के बाद कई बिंदुओं पर सहमति बनती है और कई बिंदुओं पर नहीं। दोनो पक्षों के बीच नोट्स ऑफ कंक्लूजन बनता है कि इस पर भविष्य में बात की जाएगी। अगर नोट्स ऑफ कंक्लूजन को ही कोई एग्रीमेंट मान रही है तो प्रबंधन अब तक यूनियन से बात नहीं करती। त्रिपक्षीय समझौते का हवाला देते हुए उसे अब तक प्रबंधन लागू कर दिए रहती। पीएन सिंह ऐसा कोई समझौता कभी नहीं करेंगे क्योंकि वे हर एक प्वाइंट को बारिकी से पढ़ते और समझते थे। अगर समझौता है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।
-बीके डिंडा, पूर्व महासचिव, टीडब्ल्यूयू
समझौता होगा त्रिपक्षीय
ग्रेड रिवीजन का समझौता त्रिपक्षीय होता है। इसमें उपश्रमायुक्त भी उपस्थित रहते हैं। अगर पूर्व यूनियन नेतृत्व ने वर्तमान समय के लिए भी समझौता कर लिया है तो फिर प्रबंधन क्यों कर रहा है? अगर यूनियन नेतृत्व को एग्रीमेंट और नोट्स ऑफ कंक्लूजन के बीच अंतर नहीं पता तो ये वर्तमान समझौता कैसे कर पाएंगे?
-संजीव उर्फ टुन्नू चौधरी, पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट
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