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मांगें मनवाने के लिए यूनियन को होना पड़ता थोड़ा टेढ़ा

इस देश में दो चीज सबसे मुश्किल थी। एक है पैसा कमाना और दूसरा है दूसरों से स्वीकृति प्राप्त करना। इसके लिए जरूरी है कि आपका आचरण कैसा है? ये दोनों काफी मुश्किल है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 08:21 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 08:21 AM (IST)
मांगें मनवाने के लिए यूनियन को होना पड़ता थोड़ा टेढ़ा
मांगें मनवाने के लिए यूनियन को होना पड़ता थोड़ा टेढ़ा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इस देश में दो चीज सबसे मुश्किल थी। एक है पैसा कमाना और दूसरा है दूसरों से स्वीकृति प्राप्त करना। इसके लिए जरूरी है कि आपका आचरण कैसा है? ये दोनों काफी मुश्किल है। इसलिए किसी भी यूनियन को अपनी बात मनवाने के लिए थोड़ा टेढ़ा होना होगा, क्योंकि जंगल में सीधे पेड़ सबसे पहले कटते हैं।

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ये बातें टाटा वर्कर्स यूनियन (टीडब्ल्यूयू) द्वारा आयोजित शताब्दी समारोह में 'भविष्य की यूनियन कैसी हो' विषय होंडा एमएसआइ कंपनी के निदेशक (जनरल एंड कॉरपोरेट अफेयर्स) हरभजन सिंह ने कहीं। यूनियन कार्यालय में हरभजन सिंह ने इससे पहले 1976 में टाटा स्टील में बतौर ट्रेड अप्रेंटिस ज्वाइन किया। इसके बाद वर्ष 1989 से 2006 तक कमेटी मेंबर से लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष भी रहे।

उन्होंने कहा कि समस्या तब उत्पन्न होती है, जब कंपनी प्रबंधन और ट्रेड यूनियन खुद को एक सीमा में बांध लेते हैं। लेकिन इससे उनका ही नुकसान होता है। हरभजन ने कहा कि उन्होंने दसवीं पास कर ट्रेड अप्रेंटिस ज्वाइन किया था। कंपनी में काम करते हुए स्नातक, एलएलबी के बाद एक्सएलआरआइ से मैनेजमेंट कर खुद को अपडेट किया। ऐसा हर कर्मचारी को करना चाहिए।

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आज का कर्मचारी हो चुका स्मार्ट : काजिम

इंडस्ट्रीयल रिलेशन सम्मेलन में सप्लाइस के संस्थापक सह सीईओ नदीम काजिम ने कहा कि आज के दौर में टेक्नोलॉजी बहुत जरूरी है। लेकिन आज का कर्मचारी काफी स्मार्ट हो चुका है। उसे उत्पादकता, कास्ट कंट्रोल, कंपनी में अपनी शेयरिग, बैलेंस शीट, सभी चीजें समझ में आती हैं। ऐसे कर्मचारियों की कंपनी के प्रति अपेक्षा भी बढ़ गई है।

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प्रबंधन-यूनियन सिक्के के एक ही पहलू : रवि

टाटा मोटर्स के चीफ एचआर रवि सिंह ने कहा कि आज के समय में कंपनी प्रबंधन और ट्रेड यूनियन अलग-अलग नहीं, बल्कि सिक्के के एक ही पहलू हैं। इसलिए कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए दोनों को मिलकर सोचना होगा। परिवर्तन को स्वीकार करना होगा। हर दो-तीन दशक में एक बड़ी औद्योगिक क्रांति आई, जिसने पूरी कंपनी को बदल कर रख दिया।

जादू की झप्पी मिस नहीं करना चाहिए : संदीप

टाटा स्टील बीएसएल के चीफ एचआर संदीप धीर ने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान ढूंढना है तो धरातल में जाना होगा। जो बदलाव आ रहे हैं उसके प्रति यूनियन को भी अपनी सोच बदलनी होगी। एक उदाहरण देते हुए कहा कि जब बच्चा कोई डिमांड करता है तो आप पहले उसे डांटते हैं। नाराज होने पर उसे मनाने के लिए जादू की झप्पी देते हैं। यह पहल यूनियन के साथ भी मिस नहीं हो ना चाहिए।

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बेस्ट प्रैक्टिस की दी जानकारी

सम्मेलन के दूसरे सत्र में विभिन्न यूनियन के प्रतिनिधियों ने अपने यहां होने वाले बेस्ट प्रैक्टिस की जानकारी दी। इस मौके पर सिएट टायर यूनियन के अध्यक्ष एसके यादव, टाइटन यूनियन अध्यक्ष एसएनएन मूर्ति, टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन महामंत्री आरके सिंह व टाटा वर्कर्स यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट ने अपने यहां पूर्व से अब तक हुए परिवर्तन व बेस्ट प्रैक्टिस की जानकारी दी। यूनियन उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम ने शायराना अंदाज में सत्र का संचालन किया।

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प्रबंधन में भी बदलाव की जरूरत : महामंत्री

अपने संबोधन में टाटा वर्कर्स यूनियन महामंत्री सतीश कुमार सिंह ने कहा कि बदलते समय के साथ कंपनी प्रबंधन में भी बदलाव की जरूरत है। पहले के आइआर अधिकारी कर्मचारी को उनके नाम से पहचानते थे, अब वो अपनत्व खत्म हो चुका है। यह फिर से शुरू होना चाहिए। उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाना चाहिए। आज कर्मचारियों की अपेक्षा काफी बढ़ गई है। पहले कर्मचारियों को कंपनी प्रबंधन से तेल, साबुन व डस्टर मिलते थे। अब कर्मचारी डाटा, टैबलेट व लैपटॉप की अपेक्षा प्रबंधन से करते हैं।

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जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट बना चैम्पियन

टाटा वर्कर्स यूनियन द्वारा इंडस्ट्री 4.0 व भविष्य के यूनियन विषय पर बिजनेस केस स्टडी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इसमें भुवनेश्वर की जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की प्रज्ञन्या पी. नायडू व सैयद ओ अबरार विजेता बने, जिन्हें 35 हजार रुपये की इनामी राशि मिली। दूसरे स्थान पर टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई के एसएस गोदांडे व विश्वेश विवेक को 25 हजार रुपये, जबकि तीसरे स्थान पर जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंस रांची की शिखा उपाध्याय व रीतिका पाठक व इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट रांची के दर्पण व विवेक साहू संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे। दोनो टीमों को 10-10 हजार रुपये की इनामी राशि मिली।

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टीडब्ल्यूयू 12 दिव्यांग बच्चों का उठाएगी खर्च

शताब्दी वर्ष में यूनियन अपने सामाजिक कार्य के तहत स्कूल ऑफ होप के 12 दिव्यांग बच्चों के एक वर्ष का खर्च उठाएगी। सम्मेलन के दौरान स्कूल की वाइस प्रिंसिपल को यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने चेक दिया।

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