ये यूं ही नहीं कहे जाते प्रकृति प्रेमी, देखी है प्राकृतिक रंगों से घर की ऐसी सजावट
दीपावली के मौसम में पूर्वी सिंहभूम के सुदूर आदिवासी बहुल गांव गदड़ा में घरों की सुंदरता देखते ही बन रही है।
जमशेदपुर(जेएनएन)। झारखंड का आदिवासी समाज प्रकृति के जितना करीब है, उतना ही प्रकृति में रचा-बसा। प्रकृति से बेहइंतहा प्यार इनकी खासियत है। सामान्य दिन हो या पर्व-त्योहार, प्रकृति प्रेम का रंग झलकता है। दीपावली के मौसम में पूर्वी सिंहभूम के सुदूर आदिवासी बहुल गांव गदड़ा में घरों की सुंदरता देखते ही बन रही है। वह आधुनिक रंग रोगन से नहीं, बल्कि प्रकृति के रंग, मिट्टी, गोबर, बालू, जली बैट्री और पेड़ के पत्तों, राख आदि से। सचमुच प्राकृतिक रंगों से घरों में सुंदरता बिखेरने की कला के आप कायल हो जाएंगे। तो देखिए तस्वीरों में जीवंत कला:
गदड़ा में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। यहां दीपावली पर घराें को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इसकी सजावट में केमिकल रंगों का प्रयोग नहीं होता है।
घर की यह सजावट देखकर आप वाहवाही देने से खुद को नहीं रोक पायेंगे। हाथों से प्राकृतिक रंगों से की गई चित्रकारी भी आपको लुभाएगी।