Top Jamshedpur News of the day, 25th November 2019, मैनहर्ट, सोशल मीडिया, ईचागढ़, रांगाटांड़
कंसल्टेंट कंपनी मैनहर्ट को किए गए भुगतान का मुद़दा सरयू राय ने उठाया है। समीर महंती को लेकर कुणाल सारंगी व हेमंत सोरेन में सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप लगाया जा रहा है।
जमशेदपुर (जेएनएन)। जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने मैनहर्ट कंसल्टेंट पर 21 करोड़ रुपये खर्च करने के मुद़दे को उठाया है। प्रत्याशी समीर महंती को लेकर कुणाल सारंगी व हेमंत सोरेन के बीच सोशल मीडिया परआरोप-प्रत्यारोप वायरल हो रहा है। ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में 24 वर्ष तक सुधीर महतो व अरविंद कुमार सिंह का ही बोलबाला रहा। पटमदा के रांगाटांड में सुविधाओं का घोर अभाव है।
सरयू ने उठाया मैनहर्ट का मुद्दा
झारखंड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे सरयू राय ने सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट का मुद्दा उठाया। सरयू ने कहा कि 2005 में रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था। इस पर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। इसकी जांच के लिए पांच अभियंता प्रमुख की कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने करीब 17 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि एजेंसी और इसे नियुक्त करने वाले पर कार्रवाई होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने भी दो बार सरकार को नोटिस जारी दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सरयू ने कहा कि मेरी समझ से मुख्यमंत्री पर यह बड़ा गहरा दाग है। मैं राष्ट्रीय नेताओं से भी पूछना चाहता हूं कि उन्हें इसकी जानकारी 2014 के पहले से थी कि नहीं। यदि जानकारी थी तो उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए इन्हें प्रस्तावित क्यों किया।
समीर को ले सोशल मीडिया पर भिड़े कुणाल और हेमंत
पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में झामुमो और भाजपा के प्रत्याशियों द्वारा सोशल मीडिया पर वार-पलटवार के कारण चुनावी माहौल गरमा गया है। इस मामले में झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन के शामिल हो जाने से मामला और भी दिलचस्प हो गया है। कुछ दिनों पहले तक हेमंत सोरेन के करीबी रहे बहरागोड़ा विधायक कुणाल षाड़ंगी ने रविवार को उन पर कई गंभीर आरोप मढ़े। यहां तक कहा कि हेमंत सोरेन का बालू कारोबारियों से घनिष्ठ संबंध रहा है, जिसकी गूंज विधानसभा में भी सुनाई पड़ चुकी है। उनके शासन में झारखंड के बालू को मुंबई के व्यापारियों के हाथों बेच दिया गया। कुणाल ने यहां तक कह दिया कि ज्यादा मुंह मत खुलवाइए नहीं तो मैं इतनी बातें जानता हूं कि प्रचार के लिए आना भी मुश्किल हो जाएगा।
24 वर्ष सुधीर व अरविंद ही रहे ईचागढ़ के केंद्र बिंदु
ईचागढ़ की राजनीति पृष्ठभूमि काफी दिलचस्प है। यहां वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में साधुचरण महतो की एंट्री के पहले 24 साल तक दो नेताओं के इर्द-गिर्द राजनीति घूमती रही। एक अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह तीन बार विधायक रहे, तो दूसरे सुधीर महतो ने दो बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके पूर्व 23 साल तक यहां की राजनीति राज परिवार व घनश्याम महतो पर ही केंद्रित रही। झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले निर्मल महतो की हत्या के बाद उनके भाई सुधीर महतो का प्रवेश वर्ष 1990 चुनाव में ईचागढ़ की राजनीति में हुआ। ईचागढ़ की राजनीति में अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह ने वर्ष 1995 में हुए विधानसभा का चुनाव जीता। इसके साथ ही ईचागढ़ की राजनीति सुधीर महतो और अरविंद कुमार सिंह के इर्द-गिर्द घूमने लगी। यह सिलसिला सुधीर महतो की मृत्यु तक चलता रहा। उनके निधन के बाद वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में साधुचरण महतो ने चुनाव जीता।
कच्ची सड़क बता रही रांगाटांड़ की कहानी
जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के पटमदा प्रखंड मुख्यालय से करीब दो-ढाई किलोमीटर की दूरी पर है रांगाटांड गांव जाने के लिए पक्की सड़क चार-पांच किलोमीटर के बाद खत्म हो जाती है। यहां से कच्ची सड़क पर चलना होता है। गांव की कच्ची सड़क पर बहते पानी की बाबत पूछने पर ग्रामीण बताते हैं कि सड़क कभी बनी ही नहीं। हां अभी पिछले चुनाव (लोकसभा चुनाव) में नेताजी ने मापी कराकर बनवाने का वादा जरूर किया था। गांव में बिजली के पोल पर तार बेतरतीब और काफी नीचे तक झूल रहे हैं। ग्रामीणों से जब विधानसभा चुनाव के बारे में जानकारी लेने पर जवाब मिला, गांव में पिछले दस वर्षो में विधायक तो नहीं आये लेकिन हां वोट मांगने नेताओं के कार्यकर्ता जरूर आते हैं। बुजुर्ग ग्रामीण पूर्णचंद्र महतो बताते है कि सात साल पूर्व जलमीनार बनी थी, लेकिन उससे कभी जलापूर्ति नहीं हुई। अब तो उसका पंप भी मशीन सहित जमीन के अंदर धंस गया है। जलमीनार का पंप हाउस गांव के युवकों का ‘क्लब’ बन गया है