Top Jamshedpur News of the day 04th February 2020, दुर्घटना, जयराम सिंह यादव, रघुनाथ मुर्मू, आयरन लेडी
जादूगोड़ा-हाता मार्ग पर एक अनियंत्रित हाइवा दीवार तोड़कर घर में जा घुसी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निजी सचिव जयराम सिंह यादव का निधन हो गया।
जमशेदपुर (जेएनएन)। जादूगोड़ा-हाता मार्ग पर अनियंत्रित हाइवा दीवार तोड़कर घर में जा घुसा। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निजी सचिव जयराम सिंह यादव का निधन हो गया। रघुनाथ मुर्मू ने बीस साल की उम्र में ही ओलचिकी लिपि की खोज की थी। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से संघर्ष कर जीत दर्ज करनेवालों में जुगसलाई की रितु रूंगटा भी हैं।
घर में जा घुसी तेज रफ्तार हाईवा, चालक गंभीर रूप से घायल
सड़क हादसों के लिए कुख्यात जादूगोड़ा-हाता मार्ग पर मंगलवार को फिर बड़ा हादसा हुआ। इस दुर्घटना में घायल चालक मौत से संघर्ष कर रहा है। हादसा 12 बजे के करीब जादूगोड़ा-हाता मार्ग के कालिकापुर गांव में काली मंदिर के समीप हुआ। हाता की ओर जा रही हाईवा अनियंत्रित होकर एक घर से जा भिड़ा। घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। चालक अपनी सीट पर फंस गया। इस दुर्घटना के समय गृहस्वामी डॉ हरिराम भगत, उनकी पत्नी सुनीता भगत और बेटी प्रिया भगत घर में थे। सभी चाय बना रहे थे। दीवार तोड़ने के बाद हाईवा ज्यादा आगे नहीं बढ़ा और तीनों बाल-बाल बच गए। आसपास के लोग पहुंचे और फंसे हाईवा चालक को निकालने की कोशिश शुरू की। पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस भी तत्काल पहुंची और लोगों की मदद से चालक को निकला गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए हाईवा चालक को जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) ले जाया गया। वहां उसे भर्ती कराया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निजी सचिव जयराम सिंह यादव का निधन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निजी सचिव जयराम सिंह यादव (75) का मंगलवार सुबह निधन हो गया। जयराम सिंह यादव सुबह उठे और असहज लगने की जानकारी परिजनों को दी। उन्हें तत्काल टीएमएच ले जाया गया। जांच के बाद पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन उनकी सांस टूट गई। जयराम सिंह टाटा स्टील से सेवानिवृत्त थे। टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक डॉ जेजे ईरानी के काफी करीब रहे थे। ईरानी भी उनकी कार्यकुशलता के कायल थे। लंबे समय तक टाटा स्टील के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त होने के पर वे रघुवर दास से सीधे तौर पर जुड़ गए। 15 वर्ष तक उनके निजी सचिव के रूप में काम किया।
महज बीस साल की उम्र में ही कर दी ओलचिकी लिपि की खोज
पंडित रघुनाथ मुर्मू। आदिवासी समाज का ऐसा चेहरा जिसे हर कोई सम्मान और श्रद्धा के नजरिए से देखता है। संताली भाषा की लिपि को इसी महान शख्स ने महज बीस वर्ष की उम्र में जन्म दिया। लिपि का नाम रखा- ओल चिकी। पांच मई 1905 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के डांडबुस गांव में जन्मे पंडित रघुनाथ मुर्मू का कहना था कि यदि आप अपनी भाषा-संस्कृति, लिपि, धर्म भूल जाएंगे तो आपका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। 15वीं शताब्दी में शुरु हुई संताली भाषा की लिपि का जन्म 1925 में हुआ था। एक फरवरी 1982 को पं. रघुनाथ मुर्मू चल बसे। वर्ष 1977 में झारखंड से सटे झाड़ग्राम के बेताकुंदरीडाही गांव में उन्होंने संताली विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। उन्हें गुरु गोमके यानी महान शिक्षक की उपाधि दी गई थी। इसके बाद वे डी-लिट से भी नवाजे गए थे।
कैंसर को हराकर जीता दुनिया का दिल, बन गईं आयरन लेडी
कैंसर का नाम सुनकर ही इंसान सहम उठाता है। जुगसलाई की रितु रुंगटा की कहानी ऐसी सोच रखनेवालों की धारणा बदल सकती है। कैंसर से जंग लड़ कर न सिर्फ सेहतमंद हुईं, बल्कि अपनी जीजिविषा के बूते लड़ते हुए उन्होंने यूरोप जाकर मिसेज आयरन लेडी का खिताब भी अपने नाम किया। दुनिया भर से इसमें प्रतिभागी शामिल हुए थे जबकि झारखंड से इकलौती रितू रुंगटा ही शामिल थीं। आत्मविश्वास से लबरेज रितु बिजनेस के क्षेत्र में भी परचम लहरा रही हैं। रितु रुंगटा कहती हैं कि अगस्त 2017 में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। उन्होंने तय किया- जो डर गया सो मर गया। आगे बढ़ीं और डट कर मुकाबला किया और आज बीमारी से जंग जीत गईं। कहती हैं कि लोगों को हिम्मत के साथ बीमारी से लडऩा चाहिए। नर्वस होने से बीमारियां ठीक होने के बजाए बढ़ जाती हैं। रितु रुंगटा का ब्रेस्ट कैंसर दूसरे अवस्था में था। एक साल तक मुंबई में इलाज हुआ।