Chandra Grahan 2020: आज रात साल का पहला चंद्रग्रहण, नहीं पड़ेगी चंद्र पर राहु की छाया
Chandra Grahan 2020 आज रात साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। हालांकि भारत में प्रभाव नहीं दिखेगा। चंद्र ग्रहण शुक्रवार रात 10.38 बजे से शुरू होकर 2.42 बजे खत्म होगा।
जमशेदपुर, जासं। Chandra Grahan 2020 साल 2020 के शुरुआत में ही साल का पहला चंद्रग्रहण लग रहा है। भारत में इसका कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। यह ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार रात 10 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा और 11 जनवरी के तड़के 02 : 40 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण कुल 04 घंटे 01 मिनट की अवधि तक रहेगा। यह भारत समेत यूरोप, आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। हालांकि इसका कोई खास असर नहीं होने वाला है।
शुक्रवार को दिखने वाला चंद्रग्रहण को मांद्य चंद्रग्रहण कहा जाता है। मांद्य चंद्र ग्रहण होने से इस ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण काल में पूजा-पाठ आदि कर्म किए जा सकेंगे। लेकिन ये ग्रहण वैसा नहीं है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, सिर्फ चंद्र के आगे धूल की एक परत-सी छा जाएगी। इस कारण च्योतिषीय मत में चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं होगा। 2020 से पहले ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को दिखा था।
चंद्र ग्रहण को लेकर पंचागों में भेद
पंडितों के भिन्न-भिन्न मतों के अनुसार साल 2020 में चंद्र ग्रहण को लेकर कई पंचांग में भेद हैं। कुछ पंचांगों के अनुसार तो इस साल चंद्र ग्रहण होंगे ही नहीं, जबकि कुछ पंचांग में इस साल भर में 4 चंद्र ग्रहण होंगे। निर्णय सागर पंचांग के मुताबिक 10 जनवरी को लगने वाला ग्रहण रात में 10.38 बजे से शुरू होगा। इसका मध्य 12.40 बजे होगा, इसका मोक्ष रात 2.42 बजे पर होगा। ये ग्रहण करीब 4 घंटे 50 मिनट का रहेगा।
मांद्य चंद्र ग्रहण किसे कहते हैं...?
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया। इस प्रभाव को भी बहुत कम ही लोग समझ पाएंगे। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।
चंद्र पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी..
इस ग्रहण में चंद्रमा पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी। राहु एक छाया ग्रह है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में चंद्र पर छाया के रूप में राहु दिखता है, लेकिन इस ग्रहण में छाया नहीं बनेगी। जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी नहीं होगी। यह ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है। इसलिए इसका कोई दुष्प्रभाव या सूतक नही लगेगा।
क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण..?
जब चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। तब पृथ्वी की वजह से चंद्र पर सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जबकि मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस वजह से मांद्य चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है।
उपच्छाया ग्रहण किसे कहते हैं..?
किसी भी ग्रहण की खगोलीय घटना के साथ उसकी धार्मिक मान्यता का भी महत्व है। चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। लेकिन इस ग्रहण में चंद्रमा पर कोई प्रच्छाया नहीं है। यह केवल उपच्छाया ग्रहण है, जो कि सिर्फ आंख से नहीं दिखेगा। इसलिए इसे ग्रहण कहने के बजाए छाया का समय कहा जाता है।
नहीं लगेगा सूतक, ना होगा कोई असर
इस चंद्र ग्रहण को लेकर किसी तरह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मांद्य चंद्र ग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत होगा। अत: किसी भी मन्दिर का पट बंद नही होगा सभी पूजा-पाठ भी कर सकेंगे। च्योतिष के पंचांग के अनुसार इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं है।
2020 में होंगे चार चंद्र ग्रहण
इस साल चार चंद्र ग्रहण होंगे। ये चारों ही ग्रहण मांद्य चंद्र ग्रहण रहेंगे। इसीलिए कई अन्य पंचांग में चन्द्र ग्रहण होंगे ही नही दिखाया गया है। साथ ही चारो मांद्य चंद्र ग्रहण मेसे सिर्फ 10 जनवरी वाला ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा। इसके बाद तीन अन्य चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे। दूसरा ग्रहण शुक्रवार, 5 जून को होगा। तीसरा रविवार, 5 जुलाई को और चौथा सोमवार, 30 नवंबर को होगा।