Move to Jagran APP

Pravasi LIVE : मोटरसाइकिल बेचकर महाराष्ट्र से घर लौटे सरायकेला के तीन मजदूर

Pravasi LIVE. बाइक और घर का सामान बेचकर इन्होंने 70 हजार रुपये जुटाए। इसके बाद किराए की कार से सरायकेला पहुंचे। ये रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ गए थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 02:17 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 02:17 PM (IST)
Pravasi LIVE : मोटरसाइकिल बेचकर महाराष्ट्र से घर लौटे सरायकेला के तीन मजदूर
Pravasi LIVE : मोटरसाइकिल बेचकर महाराष्ट्र से घर लौटे सरायकेला के तीन मजदूर

सरायकेला, प्रमोद सिंह। Pravasi LIVE सराकेला-खरसावां जिले के राजनगर क्षेत्र के रहनेवाले गोविंद साहु, रोहित साहु और राजखरसावां निवासी तरुण कुमार साहु के लिए सुबह बेहद सुहानी रही। तीनों तीन दिन सफर कर गांव लौट आए हैं। घर-परिवार में खुशी है, लेकिन ये अभी घर नहीं जाएंगे। प्रशासन ने क्वारंटाइन कर दिया है। बाइक और घर का सामान बेचकर इन्होंने 70 हजार रुपये जुटाए। इसके बाद किराए की कार से सरायकेला पहुंचे। ये रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ गए थे। वहां सभी एक संस्थान में काम कर रहे थे। 

loksabha election banner

तरुण कुमार साहु कहते हैं कि पत्नी और भांजी फरवरी में घूमने के लिए उनके पास आए थे। इस बीच लॉकडाउन में फंस गए। उधर, कामकाज बंद हो गया। दो माह तक किसी तरह घर का खर्च चलाया, जब पैसे खत्म होने लगे तो चिंता दोगुनी हो गई। दो हफ्ते पावरोटी और बिस्कुट खाकर तीनों ने दिन गुजारी। अंत में घर का सामन बेचकर गांव लौटने की योजना बनाई। रोजगार पाने के लिए अब कभी परदेस नहीं जाएंगे। गांव में ही मजदूरी करेंगे। ऑनलाइन निबंधन से नहीं मिला फायदा

गोविंद साहु बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार के एप पर ऑनलाइन निबंधन कराया। लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। ट्रेन या बस से घर भेजने का प्रबंध नहीं किया गया। रुपये-पैसे खत्म हो गए थे। जिंदा रहने के लिए घर लौटना जरूरी था। इसलिए अपनी बाइक 20 हजार रुपये में बेच दी। दूसरे साथी रोहित ने भी अपनी बाइक 15 हजार में बेच दी। किसी तरह 70 हजार रुपये का इंतजाम हुआ तो घर लौट पाए।

15 दिन बाद कंपनी ने खड़े कर दिए हाथ

रोहित साहु बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद कंपनी ने पंद्रह दिनों तक भोजन के लिए पैसा दिया। इसके बाद हाथ खड़े कर दिए। उधर, मकान मालिक किराए के लिए परेशान करने लगा। कोई विकल्प नहीं बचा तो घर आने की योजना बनानी पड़ी। बाइक बेचनी पड़ी। लेकिन, अब खुश हैं कि अपने गांव पहुंच गए हैं। यहां भरोसा है कि भूख से नहीं मरेंगे। गांव में कुछ न कुछ काम तो मिल ही जाएगा। धीरे-धीरे यह बुरा दौर भी गुजर जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.