तीन करोड़ 70 लाख गबन मामले में मांगा सत्यापन प्रतिवेदन Jamshedpur News
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना घोटाला मामले में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों से मांगा प्रतिवेदन।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (आइजीएमएसवाइ) में तीन करोड़ 70 लाख के गबन मामले में जिले के सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों से सत्यापन प्रतिवेदन तलब किया गया है।
योजना के तहत गर्भवतियों की आर्थिक सहायता के लिए दी जानेवाली सहयोग राशि को लाभुकों के खाते में हस्तांतरित नहीं किया गया और उपयोगिता प्रमाणपत्र सौंप दिया गया था। दैनिक जागरण में इस गड़बड़झाले की खबर 2018 में प्रकाशित की गई थी। एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर विगत 27 सितंबर को - 15 दिन में मांगी थी करोड़ों के घोटाले की रिपोर्ट, बीत गए एक साल - शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई। इसके बाद जिला समाज कल्याण विभाग की नींद खुली और सत्यापन प्रतिवेदन तलब किया गया। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी की ओर से सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को पत्र जारी कर कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में आइजीएमएसवाइ अंतर्गत लाभुकों को भुगतान नहीं करने संबंधी सत्यापन प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराया जाए।
क्या था मामला
मामला गर्भवतियों के लिए आवंटित 3 करोड़ 70 लाख के उस घोटाले से जुड़ा है जो कभी लाभुकों तक पहुंचे ही नहीं। केंद्र सरकार ने 2010 में इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को गर्भधारण के दो महीने बाद से लेकर प्रसव के छह महीने बाद तक दो किस्तों में छह हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जानी थी।
इस योजना का उद्देश्य सुरक्षित प्रसव व सुरक्षित मातृत्व में सहयोग करने का था। योजना शुरू होने के बाद 2016-17 तक इस योजना की राशि निकासी तो की गई लेकिन लाभुकों के खाते में पैसा नहीं हस्तांतरित किया गया। कागजों में दिखा दिया गया कि लाभुकों को राशि का भुगतान कर दिया गया है। उपयोगिता प्रमाणपत्र तक सौंप दिया गया। खुद महिला विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ. अमिताभ कौशल ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता मानते हुए पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से तत्काल रिपोर्ट देने व कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
27 सितंबर 2018 को दिए गए थे जांच के आदेश
वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी रामप्रवेश प्रसाद ने 27 सितंबर 2018 को पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त को निर्देशित किया था कि मामले की जांच किसी वरीय अधिकारी की अध्यक्षता में कराकर 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।