करोड़ों के जीएसटी फर्जीवाड़ा में पटना से पिता-पुत्र समेत तीन गिरफ्तार Jamshedpur News
आरोपितों के खिलाफ जमशेदपुर के टेल्को थाना में 9 करोड़ और बिष्टुपुर थाना में 37 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया गया था।
जमशेदपुर (जासं)। करोड़ों रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़ा के मामले में जमशेदपुर पुलिस की टीम ने बिहार के पटना के विभिन्न स्थानों में छापामारी कर पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र नेहरु नगर आनंद हैरिटेज अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 103 निवासी प्रदीप कुमार 51, उसके पुत्र अभिजीत कुमार (27), और दानापुर थाना के खगरी रोड तकियापुर पुलिस चौकी के आशुतोष कुमार उर्फ राणा (26) को गिरफ्तार किया है।
आरोपित मूल रुप से पटना के पंडारक थाना के गोवासा शेखपुरा के रहने वाले है। इनकी तलाश पुलिस को जमशेदपुर के टेल्को थाना में 2018 में 9 करोड़ और बिष्टुपुर थाना में 37 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़ा में दर्ज मामले में थी। वरीय पुलिस अधीक्षक अनूप बिरथरे ने पत्रकारों को मंगलवार को इसकी जानकारी दी। बताया आरोपितों की गिरफ्तारी में पटना पुलिस का सहयोगी सराहनीय रहा।
एसएसपी के अनुसार आरोपितों से पूछताछ में इनके सहयोगियों की जानकारी मिली है जिनकी गिरफ्तारी को कई राज्यों में पुलिस की छापामारी चल रही है। आरोपितों ने जीएसटी का फर्जी पंजीकरण कर कागजात बनाकर करोड़ों के राजस्व की चोरी की। इनका जुड़ाव अंतराज्यीय गिरोह से है। चार मोबाइल जब्त की गई है। सभी को मंगलवार शाम न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गिरोह की गिरफ्तारी में सीसीआर डीएसपी सुधीर कुमार और बिष्टुपुर थाना के इंस्पेक्टर राजेश प्रकाश सिन्हा की अहम भूमिका रही।
बिष्टुपुर थाना में 37 करोड़ फर्जीवाड़ा की मई 2018 में दर्ज की गई थी प्राथमिकी
झारखंड राज्य कर विभाग ने बिष्टुपुर थाना में 28 मई 2018 को अंकित शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जिसमें फर्जी दस्तावेज-कागजात के आधार पर सरकार राजस्व को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया। विभाग के जमशेदपुर अंचल में पदस्थापित कर पदाधिकारी सुनील कुमार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया था कि अंकित शर्मा नामक व्यक्ति ने कृष्णा इंटरप्राइजेज के नाम से जीएसटीएन आईडी लिया है। वह इसी नंबर के आधार पर ना केवल 'ई-वे बिल (रोड परमिट) जारी करता था, बल्कि जीएसटी रिटर्न भी दाखिल करता था।
इस नंबर के माध्यम से करोड़ों रुपये के माल का कारोबार किया गया। विभाग के अधिकारी जब अंकित शर्मा के पते बिरसानगर, जोन 1-बी स्थित मकान संख्या 789 में गए, तो वहां एक महिला मिली। उसने बताया कि वह इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानती। इसके बाद जब उसका आधार कार्ड व पैन कार्ड खंगाला गया, तो वह भी फर्जी मिला। यही नहीं, वस्तु एवं सेवा कर निबंधन (जीएसटीएन) में दर्शाया गया बैंक खाता भी फर्जी निकला। इससे विभाग को यह भी पता नहीं चल सका है कि अंकित शर्मा नामक कोई व्यक्ति है भी कि नहीं। इसे सरकारी राजस्व के खिलाफ गंभीर अपराध मानते हुए विभाग ने पुलिस को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।
ऐसे सामने आया था मामला
झारखंड राज्य कर विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल को इस फर्जीवाड़े की जानकारी दिल्ली स्थित जीएसटी मुख्यालय से मिली। विभाग के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) संजय कुमार प्रसाद ने बताया कि जीएसटी का निबंधन से लेकर सारा लेन-देन ऑनलाइन होता है। दिल्ली मुख्यालय से सूचना मिली कि जमशेदपुर निवासी एक व्यापारी ने करोड़ों रुपये का कारोबार किया है, तो सैकड़ों ई-वे बिल भी जारी किए हैं।
इसके एवज में सरकार के खजाने में एक रुपये का भी राजस्व नहीं मिला है, लिहाजा वसूल किया जाए। जीएसटी के पोर्टल पर अंकित शर्मा के नाम से जो दस्तावेज डंप मिले, उसके मुताबिक उस पर करीब 37 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। यह फर्जीवाड़ा जुलाई से नवंबर 2017 के बीच किया गया है, जिसमें लोहे का सरिया से लेकर अलग-अलग माल का कारोबार किया गया है।
बिहार- झारखंड में राजस्थान निवासी की हुई थी पहली गिरफ्तारी
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में करोड़ों का फर्जीवाड़ा करने का खुलासा जमशेदपुर से हुआ, तो इस मामले में बिहार-झारखंड की पहली गिरफ्तारी भी जमशेदपुर से मई 2018 में हुई थी। केंद्रीय जीएसटी के अन्वेषण ब्यूरो ने राजस्थान के जोधरपुर निवासी दिनेश व्यास को गिरफ्तार किया था।
फर्जी बिल पर करोड़ों का किया कारोबार
विभागीय अधिकारी को पूछताछ में यह जानकारी मिली कि इस व्यक्ति ने ना केवल फर्जी बिल पर करोड़ों रुपये का कारोबार किया, बल्कि करीब 10 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का दावा-भुगतान भी किया। विभाग ने जब बिल में वर्णित ट्रांसपोर्टरों और कारोबारियों से पूछताछ की तो पता चला कि इसने श्रीमाली इंडस्ट्रीज के नाम से वास्तविक रूप में कोई माल खरीदा ही नहीं था। सारा कारोबार कागज में ही हुआ था।
दूसरी गिरफ्तारी झारखंड के बोकारो से सत्यप्रकाश की हुई थी
दूसरी गिरफ्तारी झारखंड के बोकारो निवासी सत्यप्रकाश सिंह को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ दर्जनों फर्म के नाम से फर्जी बिल बनाकर 30 करोड़ रुपये घोटाले का आरोप है।