आया बनाकर आई थी, पुत्र बनकर इस युवती ने किया मुंहबोली मां का वार्षिक श्राद्ध Jamshedpur News
करीब डेढ़ दशक एक साथ रहने पर बने इस भावनात्मक लगाव की चर्चा कदमा स्थित एपी अपार्टमेंट से लेकर शहर में हो रही है।
जमशेदपुर (दिनेश शर्मा)। जिसने दहलीज पर आया (घरेलू काम करनेवाली) बनकर कदम रखा था, उसने अपनी मालकिन के निधन होने पर बेटा बनकर वार्षिक श्राद्ध के सभी विधान व पूरे रिवाज के साथ संपन्न कराए। करीब डेढ़ दशक एक साथ रहने पर बने इस भावनात्मक लगाव की चर्चा कदमा स्थित एपी अपार्टमेंट से लेकर शहर में हो रही है।
यहां एक घर की मालकिन देवयानी चक्रधरपुर के चंद्रजारकी गांव से सुनीता कुजूर नाम की छोटी सी लड़की को करीब 18 वर्ष पूर्व अपने साथ लाई थी। वर्ष भर पूर्व तक यह परिवार जमशेदपुर कदमा के फार्म एरिया के रोड नम्बर चार के बंगला नम्बर 5 में रहता था। देवयानी उर्फ पिंकी चक्रधरपुर में निर्मला स्कूल की संस्थापिका स्निग्धा चटर्जी की सबसे बड़ी संतान थी। वे टाटा स्टील में स्पोट्र्स एंड कल्चरल डिपार्टमेंट में अधिकारी के पद पर कार्यरत थीं। शारीरिक समस्याओं के कारण अपनी देखभाल के लिए चक्रधरपुर के चन्द्रजारकी गांव की सुनीता कुजूर को करीब 18 वर्ष पूर्व अपने साथ ले आईं। सुनीता को वही काम करने पड़ते थे जो आम मेड आया या नौकरानी का होता है। इस तरह करीब डेढ़ दशक निकल गए। समय के साथ भावनात्मक बंधन इतना मजबूत हो गया कि देवयानी उर्फ पिंकी ने अपने सहकर्मियों, पति एवं रिश्तेदारों तक से कह दिया कि सुनीता उनके लिए पुत्र के समान है। मृत्यु होने पर वही मुखग्नि देगी। पिछले वर्ष 14 नवम्बर की शाम टीएमएच के इंटेसिव केयर यूनिट में जब देवयानी चटर्जी ने अंतिम सांसे ली, तो उन्हें अपने निसंतान होने के दर्द से ज्यादा सुकून इस बात को लेकर था कि उनके पास सुनीता जैसी बेटी है।
सुनीता को मुखाग्नि देते देख हैरान हुए थे लोग
विगत 15 नवम्बर 2018 को देवयानी का पार्थिव शरीर बिष्टुपुर के आदित्यपुर मोड़ स्थित पार्वती घाट लाया गया। यहां जब पिण्डदान से लेकर तमाम परंपराओं का निर्वहन पुत्रवत सुनीता कुजूर ने करना शुरू किया, तो इस तथ्य को न जानने वाले लोग हैरान रह गए। देवयानी को मुखग्नि देते वक्त सुनीता का हाथ देवयानी के पति एमपी सारथी ने थाम रखा था।
वार्षिक श्राद्ध में पुत्रवत निभाई परम्परा
रविवार को जमशेदपुर कदमा के एपी एपार्टमेंन्ट में देवयानी उर्फ पिंकी के वार्षिक श्राद्ध में भी सुनीता ने सभी परम्पराएं, विधि विधान एवं पूजन पुत्रवत ही निभाई। उनके पिता बने एमपी सारथी बताते हैं कि सुनीता पढ़ाई भी कर रही है। उसकी परीक्षाएं चल रही थी और बारहवीं के एक-दो पेपर रह गए थे। जिसमें वह इग्नू की परीक्षा में पास नहीं हो सकी थी। अब इस बार फिर उसने परीक्षा दे दी है। पास होते ही उसे टाटा स्टील की नौकरी जो अनुकम्पा के आधार पर देवयानी की आश्रित को दी जानी है, मिलेगी। एमपी सारथी भी टाटा स्टील से ही सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्तमान में अधिक आयु व अस्वस्थ रहने के कारण सुनीता ही पूरे मनोयोग से उनकी देखभाल करती हैं।
अप्रैल 2018 में छोटे भाई की हत्या के बाद से व्यथित रहती थी देवयानी
27 अप्रैल 2018 को निर्मला स्कूल चक्रधरपुर के निदेशक बाबी उर्फ अमिताभ चटर्जी की हत्या उन्हीं के सबसे बड़े भाई लालू उर्फ प्रवीर चटर्जी एवं लालू के बेटे प्रमाण एवं उसके एक मित्र ने मिलकर कर दी थी। ये लोमहर्षक घटना बाबी की मां स्निग्धा चटर्जी की आंखों के सामने ही घटी थी। इस घटना के बाद से ही वे बेहद व्यथित रहने लगी थीं। उन्होंने टाटा स्टील में कार्य करने के दौरान अपने सहकर्मी एमपी सारथी से विवाह किया था। उनके पति ने यह जानते हुए भी उनसे शादी की थी कि वे चिकित्सकीय कारणों से कभी मां नहीं बन सकती। साथ ही उन्हें कुछ और भी शारीरिक समस्याएं थी।