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इन्हें कहा जाता भारतीय फुटबॉल की दुर्गा, रूढियों को तोड़कर पाया मुकाम, जानिए

अर्जुन पुरस्कार प्राप्त बेमबेम ने 15 साल तक भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तानी की। हालांकि उनका यह सफर आसान नहीं रहा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 11:28 AM (IST)
इन्हें कहा जाता भारतीय फुटबॉल की दुर्गा, रूढियों को तोड़कर पाया मुकाम, जानिए
इन्हें कहा जाता भारतीय फुटबॉल की दुर्गा, रूढियों को तोड़कर पाया मुकाम, जानिए

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  इन्हें यूं ही भारतीय फुटबॉल की दुर्गा नहीं कहा जाता। रुढि़वादी परिवार से आने वाली मणिपुर की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर बेमबेम देवी अपने सपनों को साकार करने लिए न सिर्फ समाज बल्कि परिवार के आगे भी सिर नहीं झुकाया। अंत में परिवार वालों ने हार मान उन्हें फुटबॉल खेलने की इजाजत दे दी। आज बेमबेम एशियाई फुटबॉल की दुनिया में जाना-पहचाना नाम है। 

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सोमवार को जेएसए महिला फुटबॉल लीग का फाइनल में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची बेमबेम ने पुरानी यादों को साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने कॅरियर की शुरुआत स्थानीय क्लब से की थी। जब पहली बार मणिपुर की अंडर-13 फुटबॉल टीम में जगह मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।  बेमबेम ने बताया कि शुरुआत में घर में फुटबॉल खेलने के लिए अनुमति नहीं मिली। पिता इसके खिलाफ थे। पिता कहते थे, तुम्हें सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना है, लेकिन धुन की पक्की बेमबेम की दुनिया तो गोल सा फुटबॉल में सिमटकर रह गया था। पिता की इच्छा के खिलाफ वह अपने चचेरे भाई के साथ फुटबॉल खेलने जाने लगी। 

भाइयों ने दिया लड़कों का नाम 

बेमबेम के हावभाव को देख भाइयों ने उसे लड़का वाला नाम दे दिया, ताकि कोई लड़की नहीं समझ सके। मैं लड़की होकर फुटबॉल खेली। इस दौरान हेयरकट भी लड़कों की तरह था। उस समय महिला फुटबॉल टीम का नामोनिशान नहीं था। पांच साल के बाद मैंने लड़कियों के टीम के साथ अपने को जोड़ा और महिला में हिस्सा लेने लगी। 

सुविधाओं का था घोर अभाव 

आज के समय में खिलाडिय़ों के लिए अच्छी सुविधाएं दी जा रही है, लेकिन वह ऐसे समय में फुटबॉल खेल रही थी जब सुविधाओं का घोर अभाव था। खासतौर से महिला के बारे में कोई ध्यान भी नहीं देता था। बेमबेम ने फुटबॉल के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया है। यहां तक कि शादी नहीं करने का फैसला भी कर लिया है। 

अर्जुन पुरस्कार से की गईं सम्मानित 

मणिपुर पुलिस में कार्यरत बेमबेम देवी को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने 2015 में रिटायरमेंट के बाद 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में शामिल कर लिया। साथ ही इस प्रतियोगिता को बेमबेम देवी के लिए फेयरवेल टूर्नामेंट का नाम भी दिया गया। बेमबेम देवी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने नेपाल को चार गोल से हराकर खिताब अपने नाम कर लिया।

महिला टीम की है सहायक कोच

फिलहाल अंडर 17 महिला टीम के सहायक कोच के रूप में कार्यरत देवी मणिपुर पुलिस स्पोर्ट्स क्लब काम कर रही है। इसके साथ साथ महिला फुटबॉल को प्रमोट करने के लिए देश के अन्य भागों में भी जा रही है । लगभग 15 साल तक भारतीय महिला टीम की कप्तानी करने वाली देवी को भारत सरकार ने वर्ष 2017 में अर्जुन पुरस्कार देकर सम्मानित किया। वह देश की पहली उन्होंने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष प्रियरंजन दास मुंशी के समय महिला फुटबॉल की बराबरी के लिए आवाज उठाई और इसके बाद से महिला फुटबॉलरों को पुरुष फुटबॉल की तरह सुविधाएं दी जाने लगी। जमशेदपुर पहुंचकर बेमबेम देगी बहुत खुश हूं और कहा कि यहां पर फुटबॉल की सुविधाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। 

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