TATA STEEL : माइंस संकट से निपटने को टाटा स्टील ने उठाये ये कदम, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी संग करार
टाटा स्टील ने टेक्रिलिया एंड इंस्टीट्यूट फॉर मैन्युफैक्चरिंग (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी) के साथ करार किया है ताकि कंपनी नई मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी विकसित कर सके।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। टाटा स्टील के सामने वर्ष 2030 के बाद माइंस संकट गहराने वाला है। ऐसे में टाटा स्टील कम गुणवत्ता वाले रॉ मटेरियल (कच्चा माल) से भी उत्पादन करने की तैयारी शुरू कर रही है। इसके लिए कंपनी प्रबंधन ने टेक्रिलिया एंड इंस्टीट्यूट फॉर मैन्युफैक्चरिंग (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी) के साथ करार किया है ताकि कंपनी नई मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी विकसित कर सके।
टाटा स्टील ने अपने यहां टेक्नोलॉजी लीडरशिप एरिया (टीएलए) विकसित की है, जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करेगी। कंपनी का लक्ष्य है विश्व की पांच स्टील उत्पादन कंपनियों में अपनी जगह बनाना है। इसके अलावे कंपनी को नियमित रूप से कच्चा माल मिलते रहे, इसके लिए भी कंपनी प्रबंधन प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के तहत कच्चे माल की मोबिलिटी पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी स्टार्ट-अप कंपनियों से भी सहयोग लेगी जो नई-नई तकनीकों पर काम करती है। टाटा स्टील की टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन मैनेजमेंट कमेटी इस दिशा में काम करेगी।
कच्चे माल से होगा उत्पादन
टेक्रिलिया एंड इंस्टीट्यूट फॉर मैन्युफैक्चरिंग की मदद से टाटा स्टील कम गुणवत्ता वाले कच्चे माल से उत्पादन की तैयारी शुरू कर रही है। स्टील उत्पादन के लिए कंपनी वर्तमान में आयरन ओर, कोयला, चूना पत्थर सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती है। टाटा स्टील ने वाइस प्रेसिडेंट टेक्नोलॉजी एंड न्यू मटेरियल्स के नेतृत्व में तीन स्तर पर एक टीम गठित की है जो इस पर काम करेगी।
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