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स्‍वीडन में भी झारखंड की रानी मिस्त्रियों के कार्यों को मिली सराहना Jamshedpur News

स्टॉकहोम में 25 से 30 अगस्त तक आयोजित किए गए विश्‍व जल सप्‍ताह-2019 में पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्‍त्‍ रविशंकर शुक्‍ला ने किया देश का प्रतिनिधित्‍व।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 08:41 PM (IST)
स्‍वीडन में भी झारखंड की रानी मिस्त्रियों के कार्यों को मिली सराहना Jamshedpur News
स्‍वीडन में भी झारखंड की रानी मिस्त्रियों के कार्यों को मिली सराहना Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। स्वीडन के स्टॉकहोम में 25-30 अगस्त तक वल्र्ड वाटर वीक-2019 का आयोजन किया गया था।138 देशों के 4,000 प्रतिभागी शामिल हुए। भारतीय प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय मंत्री (जलशक्ति मंत्रालय) गजेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में शामिल हुआ, जबकि झारखंड सरकार से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव आराधना पटनायक व पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला गए थे।

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उपायुक्त मंगलवार को शहर लौटने पर स्वीडन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि वहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा झारखंड में जल संचयन के क्षेत्र में रानी मिस्त्रियों द्वारा किए जा रहे कार्यों को विश्व के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया, जिसे काफी सराहना मिली। उपायुक्त ने बताया कि जब पूरा विश्व जल संकट से जूझ रहा है, ऐसे में पूर्वी सिंहभूम जिला में भविष्य में होने वाले जल संकट से बचाव के लिए जल संरक्षण व जल संचयन को लेकर किए जा रहे लगातार सामूहिक प्रयास सुखद अनुभूति देते हैं। इसके सुखद परिणाम भी आने वाले दिनों में परिलक्षित होंगे।

उन्‍होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण हेतु किए जा रहे नित नए प्रयोगों से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। वल्र्ड वॉटर वीक से बहुत कुछ सीखने को मिला, जिसका अनुसरण झारखंड व पूर्वी सिंहभूम जिले में किया जाएगा। वैसे वहां नदी जल प्रबंधन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको के बीच हुए समझौते से भी बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। स्टॉकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टीट्यूट द्वारा 1991 में शुरू किया गया यह वार्षिक कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष एक विशिष्ट विषय का अनुसरण करता है, ताकि पानी से संबंधित विषय की गहन समीक्षा हो सके। इस साल का विषय वाटर फॉर सोसाइटी था। 

गुणवत्ता युक्त जल का संकट

उपायुक्त ने बताया कि जल संरक्षण जैसे शब्द सुनकर आपके दिमाग में आएगा, वो है पानी की उपलब्धता। लेकिन पानी की गुणवत्ता के बारे में पहले विचार नहीं आता। दरअसल समुद्र में तो बहुत पानी है, लेकिन उसका उपयोग पीने में नहीं किया जा सकता। दुनिया में गुणवत्ता युक्त जल का संकट ज्यादा है। 


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