Move to Jagran APP

आंखों में आज भी तैर रहा वो खौफनाक मंजर, पढिए चाईबासा लौटे मजदूरों की जुबानी हादसे की कहानी

चमोली हादसे में बाल-बाल बचे चाइबासा के मजदूर लंबे समय बाद घर लौट आए हैं। उनकी आंखों में आज भी हादसे का वो खौफनाक मंजर तैर रहा है। इन्होंने अपने 18 साथियों को खोया है। कहते हैं- गांव में नून-रोटी ही खाएंगे लेकिन अब कभी परदेश नहीं जाएंगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 09:43 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 09:49 AM (IST)
आंखों में आज भी तैर रहा वो खौफनाक मंजर, पढिए चाईबासा लौटे मजदूरों की जुबानी हादसे की कहानी
चमोली से लौटे झारखंड के चाइबासा के मजदूर। जागरण

मनोहरपुर (पश्चिमी सिंहभूम), जासं। उत्तराखंड के चमोली की नीति घाटी सुमना में ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे की घटना से बच निकले झारखंड के रानियां प्रखंड के राय कंडुलना, मंगलदास पहान एवं गुदड़ी प्रखंड के फिलिप बुढ़ को घर लौटने का सकून है। लेकिन आंखों में आज भी वो खौफनाक मंजर तैर रहा है। अपने 18 साथियों को खोने व चार साथियों के लापता होने का दर्द उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता है।

prime article banner

ये घटना से इतने आहत हैं कि अब काम के लिए अपने गांव से बाहर जाने से तौबा कर रहे हैं। उत्तराखंड की घटना में किसी तरह बच निकले घायल मजदूर गुरुवार की शाम को मनोहरपुर होकर अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान मनोहरपुर में लौट रहे मजदूरों की मुलाकात हुई। घर लौट रहे घायल मजदूरों में रानियां प्रखंड के बनाकेल गांव के 35 वर्षीय राय कंडुलना, 33 वर्षीय मंगल दास पाहन व गुदड़ी के टोमडेल निवासी 21 वर्षीय फिलिप बुढ़ हैं। मजदूरों ने बताया कि अब कभी भी वे काम करने अपने घर से दूर दराज अन्य शहरों व राज्यों में नहीं जाएंगे। उन्होंने उत्तराखंड की घटना में अपने 18 साथियों के मारे जाने का दावा भी किया है। बताया कि उनके 4 साथियों का अबतक पता नहीं चल पाया है। मजदूर फिलिप बुढ़ ने बताया कि 25 मजदूर उत्तराखंड के चमोली के भारत-चीन सीमा स्थित सुमना में सड़क कटिंग व पुल का काम करने बंदगांव के मसीह दास के साथ गए थे। बीते 23 अप्रैल को काम करने के दौरान भारी बर्फबारी के चलते ग्लेशियर टूट गया।

12 घंटे तक बर्फ में दबा रहा था

उसने बताया कि ग्लेशियर टूटने की आवाज इतनी जोरदार थी कि कुछ समझ आना बंद हो गया। इस हादसे में उसने झारखंड के कुल 18 मजदूरों की मौत होने का दावा किया है। मृतकों में रनिया प्रखंड के एक ही परिवार के सांगेन कंडुलना, नियरन कंडुलना व पॉल कंडुलना, बंदगांव के मसीह दास, सोसन हपड़गारा व तोरपा के सुनील बरवा शामिल हैं। हादसे के दौरान मसीह दास लगभग 12 घंटे तक बर्फ में दबा रहा था। बाद में बचाव दल व अन्य साथियों ने उसे बचाया था। उसने बताया कि उसका बांया हाथ काफ़ी प्रभावित हुआ था। वहीं घटना से वे सहमे हुए हैं और भविष्य में कभी भी बाहर काम के लिए नहीं जाने का फैसला लिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.