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पूर्वी भारत के सबसे बड़े इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग की वेबसाइट तक अपडेट नहीं

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में पांच वर्ष पहले इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना की गई थी जो पूर्वी भारत की सबसे बड़ी इकाई है। विडंबना यह है कि इसका ढांचा बनकर तैयार हो गया है लेकिन इसे शुरू करने की बात तो दूर वेबसाइट तक अपडेट नहीं की गई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:21 PM (IST)
पूर्वी भारत के सबसे बड़े इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग की वेबसाइट तक अपडेट नहीं
आदित्यपुर इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर लिमिटेड कंपनी की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर । आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में पांच वर्ष पहले इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना की गई थी, जो पूर्वी भारत की सबसे बड़ी इकाई है। विडंबना यह है कि इसका ढांचा बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इसे शुरू करने की बात तो दूर, वेबसाइट तक अपडेट नहीं की गई है। इसके निदेशक मंडल में अब भी उद्योग सचिव के रवि कुमार, क्षेत्रीय निदेशक व पूर्वी सिंहभूम के पूर्व उपायुक्त अमित कुमार, क्षेत्रीय उपनिदेशक रंजना मिश्रा व जियाडा के सचिव हरिकुमार केशरी दिख रहे हैं, जबकि इन्हें पद से हटे एक से दो साल हो चुके हैं।

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इसे छोड़ भी दें तो आदित्यपुर इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर लिमिटेड कंपनी ने अब तक कंपनीज ऑफ रजिस्ट्रार को आवंटन की सूचना तक नहीं दी है। नियम के मुताबिक 15 दिन में यह सूचना नहीं देने पर प्रतिदिन एक हजार रुपये से लेकर प्रति आवंटन अधिकतम दो हजार करोड़ रुपये तक जुर्माना देना पड़ेगा। अब तक यहां 23 उद्यमियों को प्लाॅट और करीब 70 उद्यमियों को फ्लैटेड फैक्ट्री का आवंटन हो चुका है। ऑटोमोबाइल हब के रूप में जाना जाता है। यहां वाहनों के उपयोग में आने वाले मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल उत्पाद बनते हैं, लेकिन इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की आवश्यकता दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे, बेंगलुरू के अलावा काफी मात्रा में चीन, जापान व काेरिया से आयात किए जाते हैं। इसे देखते हुए 2016 में यहां इएमसी की स्थापना की गई थी, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मोमेंटम झारखंड के तहत लगाया था। इसके बाद फरवरी 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसका ऑनलाइन उद्घाटन किया था।

नहीं आया कोई बाहरी निवेशक

इएमसी के निर्माण से जुड़े उद्यमी अशोक बियानी बताते हैं कि अब तक कोई बाहरी निवेशक नहीं आया। शुरू में संभावना जताई गई थी कि यहां जापान व दक्षिण कोरिया के निवेशक आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एयरपोर्ट नहीं होने से यहां कोई बाहरी निवेशक नहीं आना चाहता है। इसके बावजूद यह किसी तरह शुरू हो जाए, तो स्थानीय उद्यमी कुछ प्रयास कर सकते हैं।

आंकड़ों में इएमसी

  • 2016 : में स्थापित हुई थी इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर लिमिटेड
  • 90 : एकड़ क्षेत्रफल186 : करोड़ प्रोजेक्ट की लागत
  • 41.48 : करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने किया निवेश
  • 90 : लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से किया आवंटन
  • 50 : प्रतिशत सब्सिडी पर निवेशकों को किया गया आवंटन
  • 23 : उद्यमियों को हुआ प्लॉट का आवंटन
  • 70 : उद्यमियों ने किया कुल निवेश

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