अब्दुल कलाम निशुल्क विद्यालय : यहां ज्ञान की पतवार से करते गुरबत की वैतरणी पार
ये न तो सुपर हीरो हैं और न ही कोई मसीहा। आम आदमी हैं। नौकरी करते हैं। कमाते-खाते हैं। इन सबके बीच थोड़ा सा समय निकाल ये लोग आम सा लगने वाला एक खास काम करते हैं।
जमशेदपुर, अन्वेश अंबष्ट। शिक्षा के बाजारीकरण की अंधाधुंध दौड़ में कई गरीब-जरूरतमंद प्रतिभाएं अक्सर सफलता की रेस से बाहर हो जाती हैं। उनकी गरीबी उनके लिए अभिशाप बन जाती है। ऐसे में कुछ लोग मायूसी के अंधेरे में टिमटिमाती रोशनी की तरह उम्मीद जगाते हैं। आज के हमारे इस किरदार की भूमिका भी ऐसी ही टिमटिमाती रोशनी की है।
ये न तो सुपर हीरो हैं और न ही कोई मसीहा। आम आदमी हैं। नौकरी करते हैं। कमाते-खाते हैं। इन सबके बीच थोड़ा सा समय निकाल ये लोग आम सा लगने वाला एक खास काम करते हैं। बस यही खूबी इन्हें बाकी लोगों से थोड़ा सा अलग करती है। समाज का हर सक्षम कमाने-खाने वाला आदमी यदि इनकी तरह थोड़ा सा समय निकाल यह खास काम करे तो बड़ा बदलाव तय है। ये गरीब बच्चों को तो पढ़ा ही रहे हैं, लेकिन इस बहाने ऐसे तमाम लोगों को भी सरोकार के प्रति उत्तरदायी होने का पाठ पढ़ा रहे, जो थोड़ा सा समय निकाल ऐसी पहल कर सकते हैं।
स्कूल का नाम भी प्रेरक
चलिए इनसे आपको रूबरू करा देते हैं। नाम है पारस नाथ मिश्रा। आरका जैन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं। आइसीएफएआइ यूनिवर्सिटी से इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में रिसर्च भी कर रहे हैं तो ऐसा क्या करते हैं मिश्रा जी? दरअसल वे अपने दैनिक रूटीन में से समय निकाल कर गरीब-जरूरतमंद बच्चों के लिए एक निश्शुल्क स्कूल चलाते हैं। स्कूल का नाम भी प्रेरक है। अब्दुल कलाम निशुल्क विद्यालय।
दिहाड़ी मजदूरों के बच्चों को पढ़ा रहे पारसनाथ
बागबेड़ा बजरंग टेकरी स्थित इस स्कूल में पारसनाथ ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं, जिनके माता-पिता दिन भर मजदूरी करते हैं। घर से दिन भर बाहर रहने के कारण माता-पिता बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते सो, पारसनाथ मिश्रा ऐसे बच्चों को शाम के समय अब्दुल कलाम निशुल्क विद्यालय में पढ़ाते हैं। उनके लिए भी शाम का समय मुफीद है और बच्चों के लिए भी सहूलियत हो जाती है। विद्यालय में शिक्षक भी रखा गया है।
2004 में मित्रों के साथ की पहल
बागबेड़ा निवासी पारसनाथ मिश्रा ने अपने मित्रों के साथ 2004 में गरीब बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करने की शुरुआत की। इसके तहत बच्चों को पठन-पाठन के लिए सामग्र्री भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए ही उन्होंने दोस्तों संग सुभाष युवा मंच की स्थापना की। आज इस विद्यालय के माध्यम से डेढ़ दर्जन से अधिक गरीब बच्चे जो बस्तियों मे रहते हैं, उन्हें मदद मिल रही है।
टॉपर को मदद कर बढ़ाया आगे
पारसनाथ मिश्रा बताते हैं कि मैट्रिक में शहर में टॉप करने वाला क्षितिज पॉल आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण विज्ञान संकाय से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। उसे उसकी इच्छा के अनुरूप आगे पढ़ाने के लिए उनकी ओर से मदद की गई। नतीजा यह कि क्षितिज ने इंटरमीडिएट की पढाई का खर्च निकल गया और आज वह (क्षितिज) खुद अपने घर का खर्च चला कर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा है।
टॉपर को करते हैं सम्मानित
पारसनाथ जुगसलाई आरपी पटेल स्कूल और रामजानकी स्कूल के टॉपर को हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष जयंती पर सम्मानित करते है।
इनकी भी सुनें
उचित मार्गदर्शन और संसाधन के अभाव में अक्सर प्रतिभाएं दम तोड़ देतीं है। हमारा उद्देश्य है की अभाव में प्रतिभा पिछड़ न जाए और गरीब प्रतिभाशाली बच्चों को उनका मुकाम मिल सके।
- पारसनाथ मिश्रा, शिक्षक