Jharkhand Assembly Election 2019 : 1952 से अबतक यूं रहा है चक्रधरपुर विधानसभा का सफर Chaibasa News
1952 से अबतक सात बार झारखण्ड नामधारी दल एक बार जनसंघ व चार बार भाजपा दो बार निर्दलीय एक-एक बार जनता पार्टी व कांग्रेस को सफलता मिली है।
By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 01:25 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 01:25 PM (IST)
चक्रधरपुर (दिनेश शर्मा)। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से झारखंड पार्टी के सुखदेव माझी चुने गए थे। 1952 में हुए पहले चुनाव के बाद अब तक हुए चुनाव के परिणामों पर निगाहें डाली जाए, तो स्पष्ट होता है कि क्षेत्र में सात बार झारखण्ड नामधारी दल, एक बार जनसंघ व चार बार भाजपा, दो बार निर्दलीय, एक-एक बार जनता पार्टी व कांग्रेस को सफलता मिली है।
हालांकि 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी रुद्र प्रताप षाडंग़ी एवं 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले लोग जनसंघ अथवा भाजपा के ही कहे जाते हैं। इस प्रकार चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक भारतीय जनता पार्टी के दबदबे का इतिहास रहा है। जबकि भाजपा को चुनौती झारखंड नामधारी दलों से ही मिलती रही है। क्षेत्र से कांग्रेस सिर्फ एक बार 1972 में चुनाव जीत सकी है।
1952 में जब बिहार में विस के क्षेत्रों की कुल संख्या 330 थी, तो चक्रधरपुर को संख्या 320 दी गई थी। 1957 में चक्रधरपुर एवं खरसावां क्षेत्र को मिलाकर चक्रधरपुर सामान्य क्षेत्र व चक्रधरपुर अनुसूचित जनजाति आरक्षित क्षेत्र दो विधायक के लिए चुनाव हुआ। इस वर्ष से बिहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की कुल संख्या घटाकर 318 कर दी गई। पांच वर्ष बाद 1962 के चुनाव में इसे पुन: खरसावां से अलग कर दिया गया। इस बार क्षेत्र संख्या 292 को सोनुवा (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र बना दिया गया और चक्रधरपुर को 293 (सामान्य) क्षेत्र का दर्जा दिया गया। 1967 के चुनाव में 293 चक्रधरपुर को पुन: अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। तब से आज तक यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है।
चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए पहले चुनाव में 1952 में झारखण्ड पार्टी के सुखदेव माझी विजयी हुए। 1957 में चक्रधरपुर सामान्य क्षेत्र से झारखण्ड पार्टी के श्यामल पसारी एवं चक्रधरपुर अनुसूचित जनजाति सुरक्षित से झारखंड पार्टी के हरिचरण सोय निर्वाचित हुए। 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी रूद्र प्रताप षाड़ंगी, 1967 में जनसंघ के उम्मीदवार मझिया माझी, 1969 में निर्दलीय प्रत्याशी हरिचरण सोय, 1972 में कांग्रेस के थियोडर बोदरा, 1977 में जनता पार्टी के जगन्नाथ बांकिरा, 1980 में झामुमो के देवेन्द्र माझी, 1985 में भाजपा के जगन्नाथ बांकिरा, 1990 में झामुमो के बहादुर उरांव, 1995 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा व 2000 में भाजपा के चुमनू उरांव, वर्ष 2005 में झामुमो के सुखराम उरांव व वर्ष 2009 में भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा विजयी हुए।
2014 के चुनाव में झामुमो के शशिभूषण सामड ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही नवमी उरांव को पराजित कर विधायक का ताज हासिल किया। 7 मई 1968 से 16 मार्च 1972 तक बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे थियोडर बोदरा को 1972 में कांग्रेस ने चक्रधरपुर से प्रत्याशी बनाया और पहली बार जीत हासिल की। 1977 में बिहार विधानसभा का पुनर्गठन कर संख्या बढ़ाकर 324 कर दी गई। चक्रधरपुर की क्षेत्र संख्या 299 कर दी गई। इस विधानसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास को देखने पर स्पष्ट होता है कि यहां कभी भी विधायक रहा व्यक्ति चुनाव नहीं जीत पाया है। अर्थात लगातार दो चुनाव में किसी को जीत हासिल नहीं हो सकी।
हालांकि हरिचरण सोय ने 1957 में झारखण्ड पार्टी तथा 1969 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर एवं 1977 में जगन्नाथ बांकिरा ने जनता पार्टी व 1985 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता था। जबकि भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा ने 1995 के बाद वर्ष 2009 में सफलता दोहराई। यानि विगत 16 चुनावों में सिर्फ 3 शख्स ही दो-दो बार चुनाव जीतने का कारनामा दिखा पाए हैं। लेकिन ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि दो जहां दूसरी बार अपने पुराने दल के टिकट पर चुनाव नहीं जीता, वहीं भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा को वर्ष 2005 में करारी शिकस्त मिली थी। यानि एंटी इन्कम्बैंसी फैक्टर का चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही प्रभाव है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें