हेलमेट का इतिहास है सदियों पुराना, वेदों में भी है हेलमेट का उल्लेख; ये रही पूरी कहानी
वेदों में हेलमेट का उल्लेख किया गया है। हेलमेट का सबसे पुराना प्रयोग सुमेर सभ्यता में 2500 ईसा पूर्व में दिखाई देता है।
मुसाबनी (पूर्वी सिंहभूम), मुरारी प्रसाद सिंह। एक सितंबर से ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना राशि पांच गुना तक बढ़ा दी गयी है। आमजन के बीच जुर्माना राशि बढ़ाए जाने का डर साफ दिखने लगा है। ज्यादा लोग हेलमेट खरीदने लगे हैं। इस वजह से हेलमेट की डिमांड एकबारगी बढ़ गई है। सड़कों के किनारे जहां-तहां हेलमेट की दुकानों में भी इजाफा हुआ है। डेढ़ सौ रुपये से पांच सौ रुपये तक लोकल हेलमेट बिक रहे हैं। हेलमेट विक्रेता ने बताया कि लोकल हेलमेट को लोग अपने सिर की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि पुलिस से बचने के लिए खरीद रहे हैं।
नये कानून से बाजारों में हेलमेट की बढ़ी मांग
यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ जाने के डर से बाजारों में हेलमेट की बिक्री बढ़ गई है। खासकर ब्रांडेड हेलमेट की मांग युवकों और उनके अभिभावकों के बीच ज्यादा है। पहले 700 से 1000 हजार रुपए में ब्रांडेड हेलमेट की बिक्री की जाती थी। लेकिन हेलमेट की मांग में एकाएक बढ़ोतरी से ब्रांडेड हेलमेट का स्टॉक कम हो गया है। जिससे उसकी कीमत में उछाल आया है और 900 सौ से लेकर 1500 रूपए में हेलमेट मिल रहा है। दुकानदारों के मुताबिक पहले लोकल कंपनियों के हेलमेट की मांग ज्यादा थी। लेकिन नए यातायात नियम आने के बाद लोग सुरक्षा की दृष्टि से खुद ही ब्रांडेड कंपनियों के हेलमेट खरीद रहे हैं।
हेलमेट का इतिहास है पुराना
वेदों में हेलमेट का उल्लेख किया गया है। हेलमेट का सबसे पुराना प्रयोग सुमेर सभ्यता में 2500 ईसा पूर्व में दिखाई देता है। तब मोटी चमड़े या ऊन की टोपी पर ताम्रपत्र जोड़ कर लोग हेलमेट पहनते थे और युद्ध में तलवार से वार और तीर के हमले से अपना बचाव करते थे। उस वक्त मोटर वाहन नहीं हुआ करता था। बाबजूद इसके लोग अपनी सुरक्षा में हेलमेट का इस्तेमाल किया करते थे। भारत में 1600 ईसा पूर्व के वेदों में भी हेलमेट का उल्लेख है जहां उन्हें शिप्र कहा गया है।
पुलिस के भय से लगा रहे हैं हेलमेट
हेलमेट लगाना वाहन चालकों के लिए आवश्यक है यह बताना पड़ रहा है पुलिस को। जबकि हेलमेट लगाने से हादसे में जान बचती, जीवन को सुरक्षित करती है। पुलिस की ओर से चलाए गए अभियान से लोगों में हेलमेट के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग अपनी सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि पुलिस के भय यानी चालान से बचने के लिए हेलमेट लगा रहे हैं। हेलमेट की मांग अचानक बढ़ गई है। ब्रांडेड की तुलना में लोकल हेलमेट भी ज्यादा बिकने लगी है।
लोग सस्ते के चक्कर में
ब्रांडेड हेलमेट के व्यापारी सरदार ङ्क्षपदे सिंह ने बताया कि हेलमेट की मांग तो बढ़ी है लेकिन लोग सस्ते के चक्कर में है। सुरक्षा की ङ्क्षचता नहीं है बल्कि चालान का डर है। वाहन चालकों को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। बेहतर क्वालिटी के हेलमेट से ही सुरक्षा संभव है। इस पर लोगों को ध्यान देना चाहिए। सड़क किनारे बिकने वाले हेलमेट मानक के अनुसार नहीं होता है। कम कीमत होने के कारण लोग इस ओर ज्यादा ध्यान देते है। पुरुषों के साथ ही अब महिलाएं भी हेलमेट खरीद रही है। युवा वर्ग में जागरूकता बढ़ रही हैं।
आलस्य नहीं सुरक्षा आवश्यक
हेलमेट केवल थोड़ी सी आलस्य की वजह से नहीं लगाते हैं जबकि हम सभी जानते हैं कि इससे हमें घातक नुकसान हो सकता है। कभी-कभी जान भी जा सकती है। साथ ही कुछ लोग खराब क्वालिटी का हेलमेट पहनते हैं। कोई भी हादसा होने पर हेलमेट चोट को 70 प्रतिशत से ज्यादा कम कर सकता है और जान बचने की संभावना को 50 फीसद तक बढ़ा सकता है। सिर की चोट ऐसी है कि इसमें हमारी जान जल्दी जा सकती है इसलिए इसे बचाना ज्यादा जरूरी हैं। दोपहिया वाहन में पीछे बैठने वाले अकसर हेलमेट नहीं लगाते और ये समझते हैं कि ट्रैफिक पुलिस केवल चालक का ही हेलमेट ज्यादा देखता हैं और उसी का हेलमेट लगाना जरूरी हैं। शोध से पता चला है कि हादसा होने पर चालक से अधिक पीछे बैठने वाले खतरा होता हैं। इसलिए सभी बैठने वालों को हेलमेट लगाना चाहिए।
- इसका रखें ख्याल
- हेलमेट पूरे चेहरे को ढके रहे जिससे आपका सिर और पूरा चेहरा चोट लगने से बचा रहे।
- हेलमेट के सामने वाला ग्लास अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए जिससे दिखने में कोई समस्या न हो।
- हेलमेट का रंग हल्का होना चाहिए क्योंकि गहरा रंग दोपहिया वाहन चलाने के लिए अच्छा नहीं होता है।
क्या है ट्रैफिक के नए नियम में
हाल ही में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक के नए नियम लागू किए हैं। इसमें नाबालिग कार चलाते समय पकड़ा गया तो वाहन मालिक को तीन साल तक की सजा हो सकती है और कार चलाने वाले नाबालिग को 25 हजार रुपये की धनराशि का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। इमरजेंसी वाहन के गुजरने के दौरान रास्ता नहीं देने वाले को दस हजार रुपये का जुर्माना पड़ेगा। गति सीमा तोडऩे वाने को एक हजार रुपये, मध्यम श्रेणी के कामर्शियल वाहन वाले को चार हजार रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। बगैर लाइसेंस चलाने पर दस हजार, सीट बेल्ट के बगैर कार चलाने पर एक हजार, बगैर इंश्योरेंस ड्राइविंग पर दो हजार, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर दस हजार और छह माह की जेल, दोपहिया पर ओवरलोडिंग पर दो हजार और तीन साल के लिए लाइसेंस सस्पेंड करने की कार्रवाई होगी। इसके साथ ही बगैर प्रदूषण सर्टिफिकेट पर अब दो हजार रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।