हिंदू मंदिर में हस्तपेक्ष करने का अधिकार सरकार को नहीं, हिंदू जनजागृति समिति के ऑनलाइन संवाद में बोले तेलंगाना के स्वामी परिपूर्णानंद महाराज
स्वामी परिपूर्णानंद महाराज ने कहा कि हिंदू मंदिरों की व्यवस्थापन या प्रबंध समितियों में अन्य धर्मियों ने भी घुसपैठ की है। हिंदू मंदिरों के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। जो लोग हिंदू मंदिरों का कामकाज चलाना चाहते हैं वे ही हिंदू देवी-देवताआें को ‘शैतान’ मानते हैं।
जमशेदपुर, जासं। हिंदू जनजागृति समिति का ‘हिंदू देवस्थानों को सेक्यूलर बनाने का षडयंत्र’ विषयक ऑनलाइन संवाद हुआ, जिसमें तेलंगाना के स्वामी परिपूर्णानंद महाराज ने कहा कि हिंदू मंदिरों की व्यवस्थापन या प्रबंध समितियों में अन्य धर्मियों ने भी घुसपैठ की है। हिंदू मंदिरों के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। जो विधर्मी लोग हिंदू मंदिरों का कामकाज चलाना चाहते हैं, वे ही हिंदू देवी-देवताआें को ‘शैतान’ मानते हैं।
मंदिर परिसर के पास अन्य धर्मावलंबी अपनी दुकान खोलते हैं, किंतु मस्जिद व चर्च के समीप हिंदुआें के उत्सवों की शोभायात्रा निकालने पर उसका विरोध किया जाता है। ‘हलाल’ पर प्रतिबंध लगाने, हिंदुआें के उत्सवों के निमित्त शोभायात्राआें को स्वतंत्रता देने पर सर्वोच्च न्यायालय को निर्णय करना चाहिए, परंतु हिंदुआें के मंदिर अन्य धर्मियों के नियंत्रण में देने का निर्णय हिंदुआें पर लादा जा रहा है। सरकार या सर्वोच्च न्यायालय को हिंदुआें के मंदिरों के प्रबंधन या नियमों में हस्तपेक्ष करने का अधिकार नहीं है।
हिंदुओं का पैसा दूसरे धर्म में क्यों उपयोग हो
इस आनलाइन संवाद में जमशेदपुर से हिंदू जनजागृति समिति के सदस्य सुदामा शर्मा भी जुड़े थे। उन्होंने बताया कि इस संवाद में ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सरकार किसी भी प्रकार से हिंदुआें के मंदिरों को नियंत्रण में नहीं रख सकती। भक्त एवं श्रद्धालु जो पैसा हिंदुआें के मंदिर में अर्पण करते हैं, वह पैसा सरकार अन्य धर्मियों के लिए कैसे उपयोग में ला सकती है? यह हिंदुआें के साथ विश्वासघात और घोटाला है। मंदिरों में केवल देवताआें के नियम चलेंगे। हिंदुआें के मंदिर व्यवस्थापन में अन्य धर्मीय हस्तक्षेप कर हिंदुआें के मंदिर भ्रष्ट कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद-26 के अनुसार ‘हिंदुआें को अपने मंदिरों की व्यवस्था देखने का पूर्ण अधिकार है’, तथा अनुच्छेद-25 के अनुसार ‘हिंदुआें को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता अबाधित रखकर धर्म अपनी पद्धति से जीने का अधिकार है।’ अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि इस विषय में हिंदुआें का पक्ष वे सर्वोच्च न्यायालय में रखेंगे, यदि न्यायालय ने इसकी अनदेखी की, तो जनता में जागृति कर हिंदुआें की आवाज लोकप्रतिनिधियों द्वारा संसद में पहुचाएंगे।
मंदिर परिसर में हिंदुओं को ही दुकान खोलने की अनुमति मिले
कर्नाटक के अधिवक्ता श्रीहरि कुत्स ने कहा कि अन्य धर्मियों को मंदिर परिसर में दुकान खोलने के लिए अनुमति दी जाती है, परंतु क्या मस्जिद परिसर में हिंदुआें को दुकान चलाने के लिए दिए जाएंगे? सरकार मंदिरों को प्रेक्षणीय, पर्यटन स्थल के समान क्यों देख रही है? इस पर रोक लगनी चाहिए। हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता नरेंद्र सुर्वे ने कहा कि मंदिर धर्म की आधारशिला है। विविध सरकारों ने मंदिरों को अधिग्रहीत कर मंदिरों को लूटना आरंभ किया है। अनेक मंदिरों की भूमि पर अतिक्रमण कर वह भूमि हड़प ली गई। मंदिरों के धन का अनुचित उपयोग हज यात्राआें को अनुदान देने सहित अनेक बातों के लिए किया जा रहा है। अब उन्होंने धार्मिक परंपराआें में हस्तक्षेप करना आरंभ किया है। हिंदुआें की मंदिर संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास एक सुनियोजित षड्यंत्र द्वारा किए जा रहे हैं। यह वेदनादायी है, जिससे हिंदुआें के मन में असंतोष का निर्माण हो रहा है। अब हिंदू समाज यह अधिक काल तक सहन नहीं करेगा।