एमजीएम में आइसीयू देख चौंकी टीम, कहा-यहां तो मरीज मर ही जाएंगे Jamshedpur News
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आदेश पर एमजीएम अस्पताल की जांच करने पहुंची उच्च स्तरीय टीम आइसीयू देखकर चौंक गई। कहा-यहां तो मरीज मर ही जाएंगे।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 01:26 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 01:26 PM (IST)
जमशेदपुर, जासं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की वास्तविक हालत जांचने के लिए छह सदस्यों वाली विशेषज्ञों की टीम अस्पताल पहुंची। इस टीम ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर यहां उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया और संभावनाओं का आंकलन किया।
टीम ने पहले अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय कुमार से मुलाकात की। इसके बाद टीम इमरजेंसी पहुंची। इमरजेंसी की स्थिति देख टीम निराश हुई। दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए टीम के सदस्यों ने बताया कि कई मरीजों से उन्होंने बातचीत करने पर उन्हें पता चला कि दिन के 11 बजने के बाद भी किसी डॉक्टर ने आकर मरीजों को नहीं देखा। वहीं इमरजेंसी के ऑपरेशन थिएटर में भी महीनों से ऑपरेशन नहीं हो रहा है। इमरजेंसी में 35 बेड पर 70 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा, जिसे देख टीम हैरानी रह गई। कहा ऐसी स्थिति में तो इलाज ही नहीं हो सकता।
कर्मचारियों की कमी से हुई अवगत
इसके अलावा टीम आइसीयू, मेडिसीन, शिशु रोग, स्त्री व प्रसव रोग आदि विभाग में टीम पहुंची। सभी स्थानों पर स्वास्थ्य कर्मचारियों व चिकित्सकों की कमी की जानकारी मिली। टीम के सदस्य निरीक्षण के पश्चात अधीक्षक कार्यालय पहुंचे, जहां प्राचार्य डॉ. पीके बारला, अधीक्षक डॉ. संजय कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल चौधरी के साथ बातचीत की। टीम ने अधीक्षक से पूछा कि इतने कम कर्मचारी में कैसे काम करते हैं। इस पर अधीक्षक ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को कर्मचारियों की कमी के संबंध में जानकारी दे दी है। टीम के सदस्यों में एन शरण, डा. रंजना शरण, डा. जया आदि शामिल थीं।
बेड पर अचेत पड़े मरीज को आइसीयू में रहना चाहिए
जांच करने पहुंची टीम ने इमरजेंसी में भर्ती एक मरीज सागर सरदार को देखा। उसकी स्थिति दयनीय थी। उसके परिजनों से पूछा गया तो बताया कि सोमवार को हीउसे भर्ती कराया गया है। इस पर टीम ने कहा कि आइसीयू के मरीज को बरामदे में रखा है। यह तो नियम के खिलाफ है। इसी बीच एक मरीज जवाहरनगर निवासी हुस्नआरा से पूछा गया तो उसने कहा कि अब तक उसे डाक्टर देखने नहीं आए। इसी बीच जब मौके पर तैनात चिकित्सक को जानकारी मिली तो वह मरीज से पूछताछ करने पहुंच गए। हालांकि बाद में विभागाध्यक्ष (हड्डी रोग) डॉ. जीएस बड़ाइक, विभागाध्यक्ष सर्जरी डॉ. दिवाकर हांसदा भी इमरजेंसी पहुंचे। जूनियर चिकित्सकों को हिदायत दी कि जब भी कोई मरीज आए तो खुद एक बार जांच पड़ताल कर उन्हें अहसास दिलाएं कि डॉक्टर मरीज का ख्याल रख रहे हैं। अव्यवस्था देखकर टीम ने कहा कि यहां तो मरीज मर ही जाएंगें।
नाम का है एमजीएम में आइसीयू
एमजीएम अस्पताल की आइसीयू की जांच करने जब टीम पहुंची तो आश्चर्य करने लगी। आइसीयू में छह सेक्शन मशीन लगे हुए हैं, लेकिन जब एक-दो-तीन करते हुए पांच मशीन खराब पड़ें थे। एक मात्र सेक्शन मशीन चालू हालत में मिली। किसी मशीन में आक्सीजन नहीं तो कहीं बैट्री खराब मिली। इसे देखकर जांच टीम ने कहा कि ऐसा आईसीयू होता है क्या। उन्होंने कहा कि यहां तो गंभीर मरीज इलाज से पहले ही मर जाएगा।
टीम स्वास्थ्य मंत्री को सौंपेगी रिपोर्ट
एमजीएम अस्पताल की सुधार के लिए कमियां जांचने पहुंची उच्च स्तरीय टीम के सदस्य (जो हजारीबाग आरोग्यम, रांची से जमशेदपुर आई थी) ने बातचीत में कहा कि वह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की पहल पर एमजीएम अस्पताल आए हैं। वे अपनाी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री को दे देंगे, उसके बाद अस्पताल को किस तरह सुधार करना है। इस पर मंत्री अपना निर्णय लेंगे।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें