पूर्वी सिंहभूम के प्रोजेक्ट विद्यालय के शिक्षकों को मिलेंगे 50-60 लाख
हाईकोर्ट ने निर्देश के बाद पूर्वी सिंहभूम के प्रोजेक्ट स्कूलों के शिक्षकों को 50 से 60 लाख वेतन के रूप में मिलेंगे।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : हाईकोर्ट द्वारा झारखंड सरकार को निर्देश दिए जाने के बाद प्रोजेक्ट उच्च विद्यालयों के शिक्षकों के बीच वेतन की आस जगी है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के अंदर इन स्कूल के शिक्षकों की नियुक्ति को नियमित मानते हुए दो माह के अंदर वेतन भुगतान का निर्देश दिया है। पूर्वी सिंहभूम के विभिन्न प्रोजेक्ट विद्यालयों में 32 शिक्षक कार्यरत है। वे इस निर्देश से काफी खुश है। इन शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से ही वेतन नहीं मिल रहा है। 33 वर्षो से अधिक समय से ही वे बिना वेतन के ही कार्य कर रहे हैं। इन शिक्षकों को अब कम से 50-60 लाख रुपये मिलेंगे। मालूम हो कि वर्ष 1985 से प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय के शिक्षक बिना वेतन के काम रहे हैं। सरकार ने जब इनकी नहीं सुनी तो 226 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर नियमित करने व बकाया भुगतान की मांग की। इसमें पूर्वी सिंहभूम के भी 32 शिक्षक शामिल हैं।
बिहार सरकार की थी स्कीम:
दरअसल बिहार सरकार ने प्रोजेक्ट विद्यालयों में 1981 से लेकर 1985 तक करीब 650 शिक्षकों की चार फेज में बहाली की थी। 81-82 में नियुक्ति हुए शिक्षकों को नियमित कर दिया गया, बाकी को छोड़ दिया गया। 1989 में पटना हाई कोर्ट ने इन लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन्हें नियमित करने का निर्देश दिया। बिहार सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए प्रत्येक की जांच कर नियमित करने का निर्देश दिया।
जांच के लिए बनी कमेटी:
झारखंड बनने के बाद 2006 में सरकार ने आलम कमेटी का गठन किया। कमेटी ने सभी की जांच कर दस फीसद लोगों को नियमित करने की अनुशंसा की, जिन्हें 2011 में नियमित कर दिया गया। कमेटी ने 90 फीसद लोगों को यह कहते हुए छांट दिया कि इनमें कई शिक्षकों ने पढ़ाने की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, वहीं, कुछ लोगों ने नियुक्ति के समय स्नातक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है।
2016 में दी चुनौती:
इसके बाद बाल मोहन प्रसाद सहित 226 लोगों ने 2016 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि बिना ट्रेनिंग वालों को समायोजित करने के लिए सरकार नीति बनाए। जिसपर जुलाई 2017 को हाई कोर्ट ने सरकार को नीति बनाने का निर्देश दिया। सरकार ने 25 अप्रैल 2018 को इस मामले में नीति बना दी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन की अनदेखी की गई थी। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सौरभ शेखर ने उक्त नीति का विरोध किया। सौरभ शेखर ने कोर्ट को बताया कि पहले फेज में बिना ट्रेनिंग वालों को भी नियमित किया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सरकार अपनी नीति में बदलाव करते हुए दो माह में इन्हें नियमित करे व सारी सुविधा के साथ बकाया वेतन भी दिया जाए।
पूर्वी सिंहभूम के इन 33 शिक्षकों को 33 साल से नहीं मिला है वेतन
1. परियोजना कन्या उवि पटमदा : दिलीप कुमार दत्ता, गणेश चंद्र दत्त, पंचानन महतो, चारुवाला महतो, तपन कुमार दत्त, मानिक चंद्र सहिस।
2. परियोजना बालिका उवि बहरागोड़ा : तापती मिश्रा, दीप्ति महंती, सुमति हांसदा,
3. परियोजना बालिका उवि मुसाबनी : मो. यासिन, शशि भूषण साव, खुदी राम महतो, जवाहर लाल महतो, ¨रकु सरकार, अजित कुमार मंडल, मो. जफर अली, वीणा कुमारी।
4. परियोजना बालिका उच्च विद्यालय पोटका : प्रद्युत कुमार मंडल, बसंत कुमार गोप, पद्यमलोचन मदिना, हराहन सरदार, शिशिर कुमार मंडल, वरुणा रानी मंडल, मो. इसफाक अहम, बृकोदल मंडल
5. परियोजना बालिका उवि डुमरिया : पुरन चंद्र महतो, अजित कुमार पंडा, यमुना प्रसाद मंडल, मिहिर कुमार पति, गौर चंद्र मदिना, नरेन नायेक, मधुसूदन नायेक।