फिलहाल दिवालिया नहीं होगी टायो रोल्स, पुनर्जीवित योजना पर सुनवाई का आदेश Jamshedpur News
फिलहाल टायो रोल्स कंपनी दिवालिया नहीं होगी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने 21 फरवरी को अपने ही आदेश पर सफाई देते हुए ये बातें कहीं।
- कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए 16 मार्च को फिर होगी सुनवाई
- संघर्ष समिति की मांग, कंपनी को मिले 330 दिन को री स्टोर करे कोर्ट
जमशेदपुर, जासं। फिलहाल टायो रोल्स कंपनी दिवालिया नहीं होगी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने 21 फरवरी को अपने ही आदेश पर सफाई देते हुए ये बातें कहीं। साथ ही कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए तीन प्रस्तावित योजना सहित टायो संघर्ष समिति के पुनर्जीवित योजना पर 16 मार्च को सुनवाई करने का आदेश दिया है।
एनसीएलटी की कोलकाता बेंच में केस संख्या सीए (आइबी) 1793/केबी/2019 व सीपी (आइबी) 701/केबी/2017 पर शुक्रवार को टायो संघर्ष समिति की ओर से वरीय अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने जोरदार बहस की। बकौल अखिलेश, उन्होंने कोर्ट के पिछले सुनवाई में दिवालिया करने के आदेश पर सवाल उठाए। कहा कि जब 28 फरवरी को इस मामले की सुनवाई होनी थी तो कोर्ट 21 फरवरी को टायो रोल्स को दिवालिया घोषित करने का आदेश कैसे दे सकती है।
उठाया कर्मी की मौत का मसला
अखिलेश के अनुसार, न्यायाधीश केआर जिनन व एचसी सूरी की डबल बेंच ने कहा कि उन्होंने कंपनी को दिवालिया करने का कोई आदेश नहीं दिया है। इस पर अखिलेश ने कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस आदेश से एक कर्मचारी की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? आखिर कोर्ट को इतनी हड़बड़ी किस बात की थी। वहीं, उन्होंने रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) अनीस अग्रवाल द्वारा झारखंड राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के पुनर्जीवित प्लान को स्वीकृत करने पर भी सवाल उठाया।
टायो रोल्स मामले में कोर्ट ने आरपी से तीन आवेदनों पर मांगा शपथपत्र
टायो रोल्स कंपनी को दिवालिया घोषित करे के सवाल पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में सुनवाई के क्रम में टायो संघर्ष समिति की ओर से कोर्ट ने तीन शपथ पत्र दाखिल किए गए हैं। इसमें उन्हें भी रिजॉल्यूशन प्लान देने का मौका देने, एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट को खारिज किया जाए, क्योंकि इसमें टायो रोल्स की परिसंपत्ति व जमीन का मूल्यांकन नहीं किया गया है। टाटा स्टील के नाम से 300 एकड़ जमीन दिखाया गया है।
फर्जीवाड़ा करके जेबीवीएनएल खुद 90 प्रतिशत का मालिक बन बैठा
दूसरी ओर मामले की सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी प्लान को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) में पास कराने के लिए 66 फीसदी वोटिंग की जरूरत हेती है। लेकिन, फर्जीवाड़ा करके जेबीवीएनएल खुद 90 प्रतिशत का मालिक बन बैठा। आरपी की ओर से जेबीवीएनएल द्वारा जो प्लान पास किया गया है उसकी कॉपी सीओसी के किसी भी सदस्य को नहीं दी गई। इस पर कोर्ट ने आरपी को निर्देश दिया कि वे सीओसी के सदस्यों को जेबीवीएनएल के पुनर्जीवित प्लान की कॉपी उपलब्ध कराए। मालूम हो कि टायो रोल्स को पुनर्जीवित करने के लिए झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, ओडिसा मेटालिक्स प्राइवेट लिमिटेड व इलेक्ट्रो स्टील स्टील्स लिमिटेड ने अपना प्लान दिया है। वहीं, टीआरएल कंपनी द्वारा टायो रोल्स को दिवालिया घोषित करने का प्रस्ताव कोर्ट में आवेदन दिया था।
शपथ पत्र के माध्यम से मांगा जवाब
वहीं, तीसरा, टायो रोल्स को पुनर्जीवित करने के लिए कोर्ट द्वारा दिए गए 330 दिनों को पुन: री-स्टोर किया जाए। क्योंकि, पुराने आरपी विनीता अग्रवाल व नए आरपी अनीस अग्रवाल ने कंपनी को पुनर्जीवित करने के बजाए उसे दिवालिया करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। इस पर कोर्ट ने दो सप्ताह के समिति के तीनों आवेदनों पर आरपी अनीस अग्रवाल से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने को कहा है।
30 नहीं 100 माह का मिले वेतन : अजय
टायो संघर्ष समिति के संयोजक अजय शर्मा ने आरपी अनीस अग्रवाल से मांग की है कि कर्मचारियों को 30 माह नहीं बल्कि 100 माह का वेतन दिलाया जाए। टाटा स्टील भी उन्हें 32 माह का वेतन देने को तैयार थी, जबकि झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम लिमिटेड उन्हें मात्र 30 माह का वेतन दे रही है। उनकी ओर से 220 करोड़ का क्लेम किया गया, जबकि प्लान के तहत उन्हें 28 करोड़ दिए जा रहे हैं। अजय ने आरपी से 45 साल तक के कर्मचारियों को नौकरी सहित सभी कर्मचारियों को पीएफ, ग्रेच्युटी का पैसा दिलाने की मांग की है।