झारखंड हाईकोर्ट कोर्ट ने पूछा, महाधिवक्ता बताएं कैसे खुलेगी टायो रोल्स
jharkhand high court. महाधिवक्ता को पेश होकर बताना होगा कि सरकार ने टायो रोल्स को बंद नहीं करने का आदेश दिया था फिर भी प्रबंधन ने इसे कैसे बंद कर दिया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। झारखंड हाईकोर्ट में टायो रोल्स के क्लोजर से जुड़े चार मामलों पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने अगली सुनवाई में महाधिवक्ता पेश होने का आदेश दिया। महाधिवक्ता को पेश होकर बताना होगा कि सरकार ने टायो रोल्स को बंद नहीं करने का आदेश दिया था, फिर भी प्रबंधन ने इसे कैसे बंद कर दिया। साथ ही कंपनी कैसे खुलेगी? कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कैसे होगा? क्या राज्य सरकार कंपनी का अधिग्रहण करेगी? कंपनी का पुनरुद्वार कैसे होगा? जैसे प्रश्नों का उत्तर भी देना होगा।
टायो संघर्ष समिति का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि डब्ल्यूपीसी 3166/2018, डब्ल्यूपीसी 6690/2016, डब्ल्यूपीसी 671/2018 और डब्ल्यूपीएल 607/2018 के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान समिति की ओर से बताया गया कि आइबी एक्ट 25 (ओ) के तहत झारखंड सरकार ने सितंबर 2016 में टायो रोल्स को बंद करने का आदेश नहीं दिया है। इसके बावजूद प्रबंधन ने कंपनी बंद कर दिवालिया की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) चली गई।
प्रबंधन ने दिया एनसीएलटी में सुनवाई का हवाला
वहीं प्रबंधन की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गया कि एनसीएलटी की कोलकाता पीठ में इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया चल रही है। प्रक्रिया पूरी होने तक चारों मामले की सुनवाई रोक दी जाए और कंपनी के खिलाफ कोई भी दीवानी मुकदमा या कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं चले। वहीं समिति के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि एनसीएलटी का आदेश हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट पर लागू नहीं होता है। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि प्रबंधन सेक्शन 10 के तहत प्रबंधन कंपनी का दिवालिया कराना चाहती है ताकि टाटा स्टील को आवंटित 350 एकड़ जमीन पर कब्जा कर सके। जबकि संघर्ष समिति ने सेक्शन 9 के तहत टाटा स्टील से आवंटित जमीन लेकर उसे टायो रोल्स को देने और फिर उसे ऐसी कंपनी को देने की अपील की, जो उसे फिर से चला सके।