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द्वितीय विश्वयुद्ध में टाटानगर टैंक ने छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के, अब टाटा मोटर्स ने बनाया माइक्रो बुलेटप्रूफ व्हीकल

1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जमशेदपुर स्थित टाटा मोटर्स प्लांट ने ब्रिटिश सेना को टैंक की सप्लाई की थी। इस टैंक का नाम टाटानगर टैंक रखा गया था। अब टाटा मोटर्स ने एक बार फिर सेना के लिए माइक्रो बुलेटप्रूफ वाहन बनाया है।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:04 AM (IST)
द्वितीय विश्वयुद्ध में टाटानगर टैंक ने छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के, अब टाटा मोटर्स ने बनाया माइक्रो बुलेटप्रूफ व्हीकल
अब टाटा मोटर्स ने बनाया माइक्रो बुलेटप्रूफ व्हीकल

जमशेदपुर, जासं। द्वितीय विश्वयुद्ध एक सितंबर 1939 से दो सितंबर 1945 के बीच लड़ा गया था। इसमें टाटा कंपनी ने भारतीय सेना को एक टैंक दिया था, जो टाटानगर टैंक के नाम से मशहूर हुआ था। इसने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। एक बार फिर टाटा मोटर्स ने माइक्रो बुलेटप्रूफ वाहन बनाकर वाहन निर्माता कंपनियों को चौंका दिया है। देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स कार से लेकर अर्थमूवर्स मशीनरी तक बनाती ही है, सेना के लिए एक से बढ़कर एक भारी वाहन भी बनाती है।

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टाटा मोटर्स ने नैनो की तर्ज पर बनाया बख्तरबंद वाहन

टाटा ने नैनो कार की तर्ज पर माइक्रो बुलेटप्रूफ व्हीकल बनाया है, जो एक बहुत ही छोटा बख्तरबंद वाहन है। टाटा मोटर्स ने पहली बार 2012 में नेशनल डिफेंस एक्सपो में माइक्रो बुलेट प्रूफ वाहन या एमबीपीवी का प्रदर्शन किया था। यह एक वास्तविक लड़ाकू वाहन है, जिसे भारत के कमांडो को इनडोर युद्ध की स्थितियों-परिस्थितियों के साथ संघर्षों से निपटने में मदद करेगा। इसे भारतीय रक्षा बलों की आवश्यकता के अनुसार सुसज्जित किया गया है। यह वाहन उन स्थानों तक जा सकता है, जहां बड़े लड़ाकू वाहन नहीं जा सकते। किसी भी अन्य वाहन के विपरीत यह कॉम्पैक्ट लड़ाकू वाहन जमीन पर चलने वाला सुरक्षात्मक मोबाइल समाधान के रूप में बनाया गया है, जो विशेष रूप से शॉपिंग मॉल, ट्रेन स्टेशन, हवाईअड्डा टर्मिनल और अन्य छोटी इमारतों जैसी तंग जगहों में सैन्य कार्रवाई के काम आएगा। टाटानगर टैंक का यह मॉडल आज भी टाटा स्टील व टाटा मोटर्स के प्लांट में सुरक्षित है, जिसे कंपनी भ्रमण करने वाले हैरत से देखते हैं। यह टैंक भी ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन इसकी मारक क्षमता जबरदस्त थी।

इसका लुक डराने वाला नहीं

इस बख्तरबंद वाहन का लुक पहली नजर में डराने वाला नहीं है, यानी जब तक आप इसकी क्षमता के बारे में नहीं जान लेते, आप नहीं डरेंगे। लेकिन इसे कमतर नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि इसमें घातक मारक क्षमता है। यह बख्तरबंद वाहन बुलेटप्रूफ है, इसमें कई शूटिंग पोर्ट और बड़ी बख्तरबंद खिड़कियां हैं जो ऑपरेटर को एक उत्कृष्ट चौतरफा दृश्य प्रदान करती हैं। टाटा का मानना ​​है कि छोटी जगहों पर विद्रोहियों से निपटने में यह वाहन बेहद प्रभावी होगा।

सीढ़ियों पर भी चढ़ने-उतरने में सक्षम

अपने छोटे आकार के कारण, एमबीपीवी का उच्च शक्ति से भार अनुपात है। इसके सभी चार पहिए स्टीयर और स्विवेल कर सकते हैं, जिससे वाहन बेहद गतिशील हो जाता है। यहां तक ​​कि यह सीढ़ियों से ऊपर और नीचे ड्राइव कर सकता है और किसी इमारत की ऊपरी मंजिल पर भी धावा बोल सकता है। चूंकि यह इलेक्ट्रिक द्वारा संचालित है, इसलिए वाहन चलने की घर्र-घर्र वाली आवाज नहीं निकलती, जिससे दुश्मन सचेत हो जाए। यह बेहद शांत गति से दुश्मन के पास पहुंच जाएगा और दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा।

लंबे समय से सेना की थी मांग

इस तरह के माइक्रो असॉल्ट व्हीकल की जरूरत भारत के कमांडो फोर्सेज को काफी समय से महसूस हो रही थी। टाटा मोटर्स का मानना ​​है कि इस प्रकार के वाहन की मांग काफी है, क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां विद्रोहियों ने सीमित स्थानों के अंदर शरण ली है। कमांडो समूह इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी समाधान खोजने में असमर्थ रहे हैं। इसके आकार को देखते हुए हो सकता है कि एमबीपीवी देखने में आकर्षक न लगे, क्योंकि जब कोई लड़ाकू वाहन का उल्लेख करता है, तो सबसे पहली बात जो दिमाग में आती है वह है कुछ अटपटा सा वाहन। उम्मीद है कि इस छोटे से टाटा के शक्तिशाली लड़ाकू वाहन से सेना की ताकत आतंकवादी घटनाओं में काफी बढ़ जाएगी।


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