Tata Workers Union : चुनाव पर असंतुष्ट विपक्ष को टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व ने दिया जवाब
टाटा वर्कर्स यूनियन में 12 जनवरी को चुनाव हुआ। इस चुनाव की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष के तीन कमेटी मेंबरों ने श्रमायुक्त से लेकर उप श्रमायुक्त तक शिकायत दर्ज कराते हुए पूरी प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन में 12 जनवरी को निर्वाचन पदाधिकारी का और 31 जनवरी से लेकर एक फरवरी तक 214 कमेटी मेंबर से लेकर 11 ऑफिस बियरर का चुनाव हुआ। इस चुनाव की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष के तीन कमेटी मेंबरों ने श्रमायुक्त से लेकर उप श्रमायुक्त तक शिकायत दर्ज कराते हुए पूरी प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है। विपक्ष की शिकायत पर यूनियन नेतृत्व ने पहले ही सभी दस्तावेज व यूनियन संविधान के तहत कराए गए चुनाव पर अपना जवाब उप श्रमायुक्त को सौप चुके हैं। गुरुवार को इस मामले में उप श्रमायुक्त ने एक बार फिर यूनियन नेतृत्व द्वारा सौxपे गए जवाब पर उनकी प्रतिक्रिया ली जो शुक्रवार को सभी अखबारों की सुर्खियां बनी। इसमें विपक्ष ने एक बार भी यूनियन चुनाव की प्रक्रिया पर असंतुष्टता जाहिर की। इस मामले में यूनियन नेतृत्व ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में विपक्ष के असंतुष्ट होने वाले बिंदुओं पर विस्तार से जवाब दिया।
विपक्ष का पहला आरोप : चुनाव पदाधिकारी और चुनाव उप समिति के लिए कैसे 12,500 कर्मचारियों को सूचना दी गई। जबकि कंपनी के 89 चेकहाउस, 16 मुख्य कैंटीन और 116 सब कैंटीन में नोटिस नहीं चिपकाया गया।
यूनियन नेतृत्व का जवाब : चुनाव पदाधिकारी (आरओ) और चुनाव उप समिति का चुनाव वर्तमान यूनियन ने नहीं बल्कि पूर्व अध्यक्ष के नेतृत्व में हुआ। इस चुनाव में पिछले चुनाव में अपनाई गई प्रक्रिया को ही अपनाया गया। रही बात चुनाव पदाधिकारी व चुनाव उप समिति के चुनाव में आम सदस्यों के सम्मिलित होने की तो इस चुनाव में आम सदस्य मतदान नहीं करते बल्कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि यानि कमेटी मेंबर गुप्त मतदान प्रक्रिया में शामिल होते हैं। यदि चुनाव पदाधिकारी व उप चुनाव समिति के चुनाव में यदि सभी विभागों तक सूचना नहीं दी गई तो एलडी-1, सीआरएम, कोक प्लांट, सिक्योरिटी, पावर हाउस-4, सेफ्टी, सिंटर प्लांट, आरएमएम और एचएसएम सहित अन्य विभागों से कैसे कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई और कई कर्मचारी प्रतिनिधि चुनाव जीते भी।
विपक्ष का आरोप : चुनाव क्षेत्र के परिसीमन में गड़बड़ी का आरोप है। कहीं 33 पर एक तो कहीं 170 पर दो सीट बनाया गया।
यूनियन नेतृत्व का जवाब : यूनियन के संविधान की धारा 10 की उप धारा (जे) ये कहता है कि चुनाव के लिए निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण निर्वाचन पदाधिकारी (आरओ) और उप चुनाव समिति के सदस्य मिलकर करेंगे। इसमें पिछले चुनाव की परंपरा को आधार बना सकते हैं। यदि किसी सीट पर सभी सरदस्यों के बीच सहमति नहीं बनी तो सात सदस्य वोटिंग करेंगे। जिनके पक्ष पर ज्यादा वोट आएंगे, उसके आधार पर सीट तय होगा। लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के निर्धारण में तो कभी भी वोटिंग की भी जरूरत नहीं पड़ी। सभी निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण में उप चुनाव समिति की सहमति रही। सभी ने निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण की फाइनल लिस्ट पर हस्ताक्षर भी किया है।
विपक्ष का आरोप : श्रमायुक्त के आदेश का उल्लघंन किया गया। सभी शिकायतों का निपटारा किए बिना चुनाव कराया।
यूनियन नेतृत्व का जवाब : आरोप पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद है। चुनाव से एक दिन पहले श्रमायुक्त ने इस संबंध में हमें पत्र भेजा था। जिसमें हमने लिखित जवाब देकर बता दिया था कि शिकायतों पर हमने क्या संज्ञान लिया है। हर शिकायत पर संज्ञान लेकर इसका जवाब भी हमने श्रमायुक्त से लेकर उप श्रमायुक्त को भेज दिया था।
विपक्ष का आरोप : यूनियन नेतृत्व ने चुनाव कराया लेकिन इसकी अनुमति श्रम विभाग से नहीं ली।
यूनियन नेतृत्व का जवाब : बिना तथ्य व अधूरी जानकारी के विपक्ष कोई भी आरोप लगा दे रहे हैं तो यह भी गलत है। शायद विपक्ष को पता नहीं है कि चुनाव पदाधिकारी और उप चुनाव समिति के सदस्यों का चुनाव उप श्रमायुक्त द्वारा प्रतिनियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति में ही हुआ है। यूनियन चुनाव कराने को लेकर यूनियन की ओर से पहले भी श्रम विभाग को पत्र भेजा गया था। जिसके बाद ही श्रमायुक्त के प्रतिनिधि के रूप में स्थानीय स्तर पर उपश्रमायुक्त की ओर से पर्यवेक्षक न सिर्फ प्रतिनियुक्त हुआ बल्कि उनकी देखरेख में चुनाव हुआ और सभी विजयी उम्मीदवारों को पर्यवेक्षक के हाथों ही निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र भी दिया गया।