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टाटा वर्कर्स यूनियन ने लिखी भारत में मजदूर आंदोलन की गाथा

पांच मार्च 1920 को कोलकाता उच्च न्यायालय के बैरिस्टर एसएन हलदर के नेतृत्व में जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन की स्थापना की गई।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 01:59 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 01:59 PM (IST)
टाटा वर्कर्स यूनियन ने लिखी भारत में मजदूर आंदोलन की गाथा
टाटा वर्कर्स यूनियन ने लिखी भारत में मजदूर आंदोलन की गाथा

जमशेदपुर (जासं)। यूरोप समेत दुनिया के देशों में मजदूरों का एकजुट होना 18वीं शताब्दी के मध्य में शुरू हो गया था, जबकि भारत में मजदूर आंदोलन का वास्तविक आरंभ प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 में माना जाता है। इसी वर्ष मद्रास में सूती कपड़े के कारखाने (बकिंघम कारनेटिक मिल) में मद्रास लेबर यूनियन की स्थापना की गई। इसके 1919 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन बना, जिससे जमशेदपुर में भी मजदूर वर्ग एकजुट होने लगा।

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पांच मार्च 1920 को कोलकाता उच्च न्यायालय के बैरिस्टर एसएन हलदर के नेतृत्व में जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन की स्थापना की गई। तब से लेकर आज तक इस यूनियन ने ना केवल एक से बढ़कर एक इतिहास रचे, बल्कि लगातार कुशल नेतृत्व मिलने से यह देश की सबसे बड़ी और धनी यूनियन में शुमार हो गई। इस यूनियन का नेतृत्व नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसी हस्ती ने आठ वर्ष तक किया, तो यूनियन का मार्गदर्शन करने वालों में महात्मा गांधी, देशबंधु चित्तरंजन दास, लाला लाजपत राय, पं. मोतीलाल नेहरू, दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रतिष्ठित नेता शामिल रहे।   


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