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जैसा नाम-वैसा कामः जन्मदिन पर जानें क्यों खास हैं टाटा स्टील के वेंडर प्रकाश बस्तियां

प्रकाश बस्तियां परिवार की गाडी खींचने के लिए भले टाटा स्टील में वेंडर का काम करते हैं लेकिन उनका जी तो समाजसेवा में रमता है। जन्मदिन पर जानिए जमशेदपुर के विजया गार्डेन में रहने में उडिया मूल के प्रकाश का सफरनामा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 10:13 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 11:28 AM (IST)
जैसा नाम-वैसा कामः जन्मदिन पर जानें क्यों खास हैं टाटा स्टील के वेंडर प्रकाश बस्तियां
प्रकाश कुमार बस्तियां। समाजसेवा ही है जिनकी पहचान।

जमशेदपुर, जासं। जैसा नाम-वैसा काम। टाटा स्टील के वेंडर के रूप में कार्य कर रहे प्रकाश कुमार बस्तियां ओडिया समाज की कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तथा महत्वपूर्ण पदों पर अपना दायित्व निभा रहे हैं। वे उत्कल एसाेसिएशन साकची तथा उत्कल समाज गोलमुरी के कार्यकारिणी पदों पर कार्य कर रहे हैं। समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता भी करते हैं।

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बस्तियां का जन्म 16 जनवरी 1961 को हुआ था। उनकी स्कूलिंग ओडिशा के जगतसिंहपुर क्षेत्र से हुई। बाद में वे पिता घनश्याम बस्तियां के साथ जमशेदपुर आ गए। उनके पिता भी टाटा स्टील में वेंडर के रूप में कार्य कर रहे थेे। प्रकाश बस्तियां ने स्नातक वर्कर्स कालेज मानगो से 1988 में किया। मां कमला बस्तियां घर का कामगाज संभालती हैं। प्रिया के साथ प्रकाश की शादी वर्ष 1997 में हुई थी। उनका बेटा पीयूष वर्तमान में एमबीए कर रहा है।

क्रिकेट के शौकीन हैं बस्तियां

प्रकाश कुमार बस्तियां का पूरा परिवार बारीडीह के विजया गार्डन में रहता है। यहां भी कई तरह के सामाजिक दायित्वों का निर्वाहन करते हैं। कोरोना काल में उन्होंने कई तरह के कार्य किए। वे क्रिकेट खेलने के शौकीन हैं। भारतीय टीम का जब भी क्रिकेट होता है तो वे टीवी से चिपके रहते हैं। फुर्सत के क्षणों में अभी भी वे क्रिकेट ही खेलते हैं।

परिवार के साथ समय बिताना सबसे महत्वपूर्ण कार्य

प्रकाश कुमार बस्तियां बताते हैं वे परिवार के साथ समय बिताने के लिए अपना समय निकाल ही लेते हैं। उस दिन वे कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। बस अपने परिवार के साथ रहते हैं। साथ मनपसंद घरेलू खाना खाते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी और मां भी बहुत सहयोग करती है।

समाजसेवा से मिलता सुकून

प्रकाश कुमार बस्तियां कहते हैं कि अपने लिए सब जीता है। दूसरों की सेवा या मदद करने में जो सुकून है उसके क्या कहने। जरूरतमंदों को मदद कर उन्हें बडी खुशी मिलती है। मिलनेवाली दुआआें से उनकी भी बडी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।


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