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बीमार कर्मचारियों के लिए इस कंपनी ने की अनोखी पहल, टाटा स्टील में बनेगा लीव बैंक

टाटा स्टील में कर्मचारियों के दान से एक बैंक बनाने की कवायद शुरू हो रही है, जिसका नाम होगा लीव बैंक। इसके गठन के लिए तैयारी शुरू कर है।

By Edited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 04:30 PM (IST)
बीमार कर्मचारियों के लिए इस कंपनी ने की अनोखी पहल, टाटा स्टील  में बनेगा लीव बैंक
बीमार कर्मचारियों के लिए इस कंपनी ने की अनोखी पहल, टाटा स्टील में बनेगा लीव बैंक

जमशेदपुर(जासं)। जी हां, यह पहल खास है। अगर आप इस कंपनी के कर्मचारी हैं और आपकी लीव समाप्त हो गई है तो भी चिंता की कोई बात नहीं। अगर आप बीमार पड़ जाते हैं तो भी आपकी सैलरी नहीं कटेगी। टाटा स्टील में कर्मचारियों के दान से एक बैंक बनाने की कवायद शुरू हो रही है, जिसका नाम होगा लीव बैंक।

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टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व ने इसके गठन के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इस तरह की व्यवस्था टाटा मोटर्स, लखनऊ सहित टाटा की कुछ कंपनियों में प्रभावी है। टाटा स्टील में कार्यरत कर्मचारियों को प्रतिवर्ष (सीएल में 7, एडिशनल पीएल में 30, पीएल में 14 व सिक लीव में 30) कुल 61 छुट्टियां मिलती हैं।

ये है योजना

योजना है कि कंपनी में कार्यरत 17 हजार कर्मचारी प्रतिवर्ष अपनी एक-एक छुट्टी दान में लीव बैंक कों देंगे। फिर इसी बैंक के माध्यम से जो कर्मचारी लंबे समय से बीमार हैं और उनकी पूरी छुट्टी खत्म हो चुकी है। उन्हें इस बैंक से छुट्टी उपलब्ध कराया जाएगा। जब कर्मचारी स्वस्थ होकर ड्यूटी ज्वाइन करेंगे तो बैंक से ली हुई पूरी छुट्टी को वापस करेंगे।

अभी यूनियन उठाती है बोझ

वर्तमान में जो कर्मचारी लंबी बीमारी के कारण अनफिट रहते हैं, छुट्टियां खत्म होने पर उन्हें अपना घर-परिवार चलाने के लिए यूनियन अपने कोष से दस दिन का बेसिक देती है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत इसका पूरा भार यूनियन के बजाए बैंक वहन करेगी। छुट्टी बेचने का है प्रावधान टाटा स्टील में कर्मचारी को अपनी छुट्टी बेचने का भी प्रावधान है। इसमें कर्मचारी सिक लीव मद में जमा 60 छुट्टी रखकर उससे ऊपर की पूरी छुट्टी बेच सकते हैं। वहीं, एडिशनल पीएल की पूरी छुट्टी बेच सकते हैं।

जल्द भेजा जाएगा मसौदा

टाटा स्टील में लीव बैंक बनाने के लिए जल्द ही एक मसौदा तैयार कर प्रबंधन को भेजा जाएगा। ऐसा बैंक बनने से कर्मचारियों को काफी फायदा होगा और यूनियन पर भी आर्थिक बोझ का दबाव कम होगा। इस तरह की व्यवस्था कुछ कंपनियों में प्रभावी है।

-सतीश कुमार सिंह, महासचिव


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