Tata Steel: अगले पांच साल में ओएमक्यू की उत्पादन क्षमता बढ़ाएगी टाटा स्टील
टाटा स्टील आने वाले दिनों में नोवामुंडी कटमाती जोड़ा व खोंडबोंड स्थित लौह अयस्क माइंस की उत्पादन क्षमता बढ़ाने जा रही है। टाटा स्टील की इन कैप्टिव माइंस से फिलहाल लगभग 30 मिलियन टन प्रति वर्ष किया जा रहा है।
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : टाटा स्टील आने वाले दिनों में नोवामुंडी, कटमाती, जोड़ा व खोंडबोंड स्थित लौह अयस्क माइंस की उत्पादन क्षमता बढ़ाने जा रही है। टाटा स्टील की इन कैप्टिव माइंस से फिलहाल लगभग 30 मिलियन टन प्रति वर्ष किया जा रहा है। टाटा स्टील ओएमक्यू के जीएम अतुल कुमार भटनागर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अगले पांच वर्ष में लौह अयस्त उत्पादन क्षमता को 30 से बढ़ाकर 45 मिलियन टन प्रति वर्ष करने की योजना है। नोवामुंडी माइंस में फिलहाल 9 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन हो रहा है।
2025-26 तक 50 मीट्रिक टन लौह अयस्क की डिमांड होगी। उन्होंने बताया कि यह मौजूदा लौह अयस्क खदानों की क्षमता को बढ़ाकर किया जाएगा। अतुल भटनागर ने बताया कि टाटा स्टील का जमशेदपुर व कलिंगनगर के अलावा ऊषा मार्टिन व अंगुल प्लांट को लौह अयस्क की आपूर्ति की जाती है। उन्होंने बताया कि जमशेदपुर व कलिंगनगर स्थित स्टील प्लांटों में लौह अयस्क की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्तमान क्षमता पर्याप्त है। टाटा स्टील ने वर्ष 1925 में नोवामुंडी में खनन शुरू किया था नोवामुंडी आयरन माइन 2025 में खनन के 100 साल पूरे कर लेगी।
सौर ऊर्जा को भी मिल रहा बढ़ावा
अतुल भटनागर ने बताया कि ओएमक्यू वैसे क्षेत्रों में सौर ऊर्जा स्थापित कर रही है, जहां खनन हो चुका है। उन्होंने बताया कि खनन क्षेत्र में सौर ऊर्जा संयंत्र खानों के सतत विकास का एक उदाहरण है। प्रगतिशील खदान बंद करने की योजना की स्वीकृति सरकार से ली जाती है और अनुपालन की निगरानी नियामक एजेंसियों द्वारा की जाती है।माइनिंग में भी हो रहा ड्रोन का इस्तेमालउन्होंने बताया कि माइनिंग क्षेत्र में भी ड्रोन का उपयोग सर्वेक्षण और निगरानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे स्टॉक माप, खदान से खुदाई की मात्रा का मात्रात्मक सर्वेक्षण, फेस सर्वे, डंप यार्ड मॉनिटरिंग, लीज बाउंड्री मॉनिटरिंग, ग्रीन बेल्ट मॉनिटरिंग, हाई रेजोल्यूशन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी।
माइनिंग में भी महिलाएं रच रही इतिहास
अतुल भटनागर ने बताया कि टाटा स्टील माइनिंग क्षेत्र में भी महिलाओं को भी हाथ आजमाने का मौका दे रही है। नोवामुंडी के जामपानी गांव की 33 वर्षीय रेवती पूर्ति अपने गांव की मुखिया है और दो बच्चों की मां है। इसी साल फरवरी में दो बेटियों की मां रेवती जैसी 23 महिला प्रशिक्षुओं को एचईएमएम (हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी) प्रशिक्षु के रूप में माइंस-तेजस्विनी 2.0 में शामिल किया गया। अब आत्मविश्वास से अपने दम पर उत्खनन का संचालन कर सकती है। वह एक ऐसी महिला का एक बेहतरीन उदाहरण हैं जो बिना किसी समझौते के काम और परिवार को संभाल सकती है। वह पुरुष प्रधान खनन क्षेत्र को चुनौती दे रही हैं।
पर्यावरण पर विशेष जोर
ओएमक्यू के जीएम भटनागर ने बताया कि ओएमक्यू डिवीजन (जिसमें सभी चार खदानें शामिल हैं) में पौधारोपण की संख्या में साल दर साल वृद्धि वित्त वर्ष 19 में लगभग 23,000 से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 28,000 हो गई। वित्त वर्ष 21 में यह 40,000 से अधिक है।