कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए टाटा स्टील ने सीएसआइआर के साथ किया एमओयू
जासं जमशेदपुर टाटा स्टील ने कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन व स्टोरेज (सीसीयूएस) के क्षेत्र में
जासं, जमशेदपुर : टाटा स्टील ने कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन व स्टोरेज (सीसीयूएस) के क्षेत्र में सहयोग के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के साथ एमओयू किया है। इस रणनीतिक एमओयू के तहत कंपनी प्रबंधन जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ एक पहल है ताकि पेरिस समझौते का अनुपालन किया जा सके।
नए समझौते से सीसीयूएस प्रौद्योगिकी को विकसित करने और इसके क्रियान्यन में तेजी लाने का काम करेगी। इन प्रौद्योगिकियों को कार्बन उत्सर्जन क्षेत्र जैसे पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट, खाद प्लांट आदि क्षेत्र में डी-कार्बानाइज्ड इकोनॉमी के अवस्था में परिवर्तन में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।
नए एमओयू के तहत उद्योग से उत्सर्जित होने वाले सीओ 2 कैप्चर इस्तेमाल और भंडारण के प्रमुख क्षेत्रों में काम करेगा। सीएसआइआर के नोडल ऑफिसर सह राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिग अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. राकेश कुमार और टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट डा. देवाशीष भट्रटाचार्य इसका नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा कई अन्य सीएसआइआर की प्रयोगशालाएं भी इस क्षेत्र में अपनी विविध क्षमताओं के साथ हिस्सा लेंगी।
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'वैश्विक स्तर पर भारत जैसे विकासशील देश में स्टील उद्योग की स्थितरता आवश्यक है। हम एक पैमाने पर सीओ 2 को कैप्चर करने, और इसका उपयोग के लिए किफायती संसाधन खोजेंगे। इसके लिए टाटा स्टील और सीएसआइआर के बीच बौद्यिक और अनुसंधान शक्ति को साझा करने के लिए एमओयू किया गया है। मुझे विश्वास है कि यह पहल भारत को सीसीयूएस के क्षेत्र में वर्ल्ड डीलर के रूप में विकसित करने में मदद करेगी।
-टीवी नरेंद्रन, सीइओ सह एमडी, टाटा स्टील
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वर्ष 1942 में स्थापित हुआ है सीएसआइआर
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआइआर) की स्थापना वर्ष 1942 में हुई है। यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है। यह दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक औद्योगिक अनुंसधान संस्थानों में से एक है। पिछले कुछ वर्षो में इसने अनुससंधान और विकास के माध्यम से कई उद्योगों और स्थानीय राज्य सरकारों को अपना आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ में बढ़ोतरी करने में मदद की है।